महर्षि दयानंद सेवाश्रम स्वर्ण जयंती पर विराट वैदिक सम्मेलन का हुआ शुभारंभ, पहुंचे देश के प्रख्यात विद्वान

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रितेश गुप्ता, थांदला
महर्षि दयानंद सेवाश्रम के स्वर्ण जयंती पर आयोजित विराट वैदिक सम्मेलन का भव्य शुभारंभ मुख्य अतिथि सांसद कांतिलाल भूरिया, विशिष्ट अतिथि कार्यकारी अध्यक्ष अखिल भारतीय दयानंद सेवाश्रम संघ समिति धर्मपाल गुप्ता, महामंत्री अभा दयानंद सेवाश्रम संघ जोगेन्द्र कट्टर, जनपद अध्यक्ष गेन्दाल डामोर, नप अध्यक्ष बंटी डामोर, जिला उपाध्यक्ष कांग्रेस नगीन शाह, गुरुप्रसाद अरोरा समेत अतिथियों द्वारा किया गया। तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत संस्था अध्यक्ष विश्वास सोनी, संचालक दयानंद सागर, कोषाध्यक्ष गुलाबसिंह आर्य, प्रधानाध्यापक नीरज भट्ट, प्राचार्य प्रवीण अत्रे सहित आयोजकों द्वारा किया गया। इस दौरान सांसद कांतिलाल भूरिया ने कहा कि थांदला मेरी कर्मभूमि है दयानंद सेवाश्रम थांदला से मेरा जुड़ाव राजनीतिक जीवन के पहले से मैं हर समय इस संस्था से जुडक़र इसके उत्थान हेतु प्रयासरत रहा हूं, शिक्षा, स्वास्थ्य, सांस्कृतिक क्षेत्र का विकास में दयानंद सेवाश्रम समिति एवं प्रमुख प्रेमलता शास्त्री का विशेष योगदान रहा। ग्रामीण क्षेत्रों में फैली प्रतिभाओं को तराशने का कार्य स्थानीय संस्थाए कर रही है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पंडित सोमदेव शास्त्री ने स्वामी स्वतंत्रतानंदजी से लेकर स्थानीय स्तर तक के आर्य स्व. रामकृष्ण बजाज, हंसमुखलाल सोनी समेत कई नगर के जनों ने आर्यसमाजी होकर क्षेत्र को दयानंद आश्रम की सौगात दी। वेद की मत्रोच्चार एवं वैदा ऋचा ध्वनि विज्ञान से संबंधित संपूर्ण व वैज्ञानिक ज्ञान है। उन्होने बताया कि मंत्रोच्चार का एक विशिष्ट शैली एवं विधान एवं आरोह अवरोह के साथ ही इसका अपेक्षित अकल्पित प्रभाव पैदा होता है। अन्यथा इनके प्रभाव बल जाते है। वैदिक सिद्धातों का प्रचार, शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य, मंत्र एवं वैदों के साथ कई असंभव परिणाम सामने आए।

 आर्य समाज ही मानव बनाता है
इमाम मेहबूब अली से आचार्य महंद्रपाल बने आर्य अपने कुरान के ज्ञान से ऋषि दयानंद द्वारा दिए गए ज्ञान की तुलना करते हुए बताया कि केवल आर्य समाज ही है जो मानव धर्म सिखाता है व अच्छा मानव बनने की प्रेरणा देता है। उन्होंने अपने ओजस्वी उद्बोधन में विभिन्न धर्मो में ग्रंथों की तुलना में आर्य समाज एवं वैदों के ज्ञान को श्रेष्ठ बताया। आचार्य महेंद्रपाल आर्य 30 नवंबर 1983 तक मेरठ के जिला बागपथ के बरवाला की बड़ी मस्जिद के इमाम थे परंतु उसके बाद वे स्वामी दयानंद सरस्वती के सत्यार्थ प्रकाश पढकर आर्य समाजी हो गए। जिसके बाद से 36 वर्ष से वे आर्य समाज के लिए व्याख्यान दे रहे।
महामंत्री अभा दयानंद सेवाश्रम संघ जोगेन्द्र कट्टर ने भी कार्यकम को संबोधित किया। सभी अतिथियों को संस्था द्वारा प्रतीक चिन्ह भेंट किया। कार्यकम का संचालन जीववर्धन शास्त्री द्वारा किया गया। इससे पूर्व प्रात: यज्ञात्मक अनुष्ठान के साथ कार्यकम का शुभारंभ किया गया। कमलनारायण वेदाचार्य के सानीध्य में अनुष्ठान में मुख्य यजमान हंसमुख लाल-शकुंतला सोनी, नीरज-रंजना भट्ट, विजय-किरण राठौर, गुलाबसिंह-संगीता सहित 20 यजमानों द्वारा अनुष्ठान में धर्मलाभ लिया। इसके बाद आर्य समाज के हंसमुखलाल सोनी द्वारा आर्य समाज का ध्वज पहराया किया।

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