बाबा साहब की जयंती पर हुई व्याख्यान माला

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झाबुआ। बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर की 124वीं जन्म जयंती के अवसर पर मंगलवार की रात को आधुनिक भारत के निर्माण में बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर के योगदान विषय पर मीडिया की ओर एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश शासन के कैबिनेट मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री अंतरसिंह आर्य, विशेष अतिथि के रूप में विधायक शांतिलाल बिलवाल, कलेक्टर बी. चन्द्रशेखर, पुलिस अधीक्षक कृष्णावेणी देसावतु, एडवोकेट दिनेश सक्सेना, नागपुर से पधारे चेतन वासनिक एवं डीडी वासनिक ने अपने विचार रखेे। वही कार्यक्रम में सीईओ धनराजू एस,डा. विक्रांत भूरिया, डीएसपी सुंदरसिंह कनेश, एसडीएम अंबाराम पाटीदार सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्ध वर्ग एवं एवं प्रेस एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथी उपस्थित थे।  प्रभारी मंत्री अंतरसिंह आर्य ने कहा कि राजनैतिक व्यक्ति होने से हम लोगों को सार्वजनिक, सामाजिक, राजनैतिक स्तर पर काम करते हुए विचारों को पहुंचाने का काम करना होता है। बाबा साहेब आम्बेडकर जेैसा व्यक्तित्व बिरला ही होता है जिसने अभावों में रहते हुए भी तत्समय की व्यवस्थाओं से जुझते हुए अपना अलग मुकाम हासिल किया। उन्होंने किन विषम परिस्थितियों में संविधान निर्माण जेसा कार्य किया इस बात का इतिहास साक्षी है। झाबुआ में बाबा साहेब की विशाल प्रतिमा का स्थापित होना इस आदिवासी अंचल के लिए गौरव की बात है।बाबा साहेब को यातनाओं को झेलने के बाद भी देश के संविधान लिखने का अवसर प्राप्त हुआ। प्रभारी मंत्री ने कहा कि बाबा साहेब ने संविधान लिख कर संपूर्ण समाज पटल तक अपनी छाप छोड़ी है देश को आधुनिक भारत के रूप में औद्योगिक, विज्ञान क्षेत्र में आगे आने का श्रेय भी उन्हंे ही जाता है। कलेक्टर बी चन्द्रशेखर ने अपने कहा कि यदि आम्बेडकर नहीं होते तो आधुनिक भारत का क्या यह स्वरूप होता ? देश की आजादी के लिए जो लोग शहीद उन्हे उन्हे क्या ऐसे आजाद भारत की कल्पना थी ? तत्समय की स्थितियों परिस्थितियों का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय दलित वर्ग की यह स्थिति थी कि उन्हें पीछे झाडू लटका कर चलना पड़ता था ताकि उनके कदमों के निशान छू जाने से कोई अपवित्र न हो जाए। उन्होने मनुवाद का उल्लेख करते हुए इसे समाज में वर्ग भेद का परिचायक बताते हुए तुसलीदास की चोपाई ढोल गंवार, शुद्र पशु नारी का उल्लेख करते हुए ऐसे पिछड़े एवं दलित वर्ग की पीडा एवं उनके साथ हो रहे छूआछूत के बारे में बताते हुए नारी एवं दलितों के प्रति उच्चवर्ण वर्ग के शोषण का बड़े ही रोचक तरीके से वर्णन किया। कलेक्टर चन्द्रशेखर के अनुसार आम्बेडकर को इतिहास के पन्नों से हटाकर देखें तो संविधान दुसरा कोई ओर लिखता तो क्या वर्तमान संविधान जेसा होता? कदापि नहीं। हम सभी तथा अजजा-अजा पिछडे़ वर्गो का सौभाग्य है कि हमें आम्बेडकर जैेसा संविधान निर्माता मिला। उन्होंने भगवान के अस्तित्व को नकारते हुए कहा कि भगवान की कल्पना केवल चमत्कार से है। डा. आम्बेडकर ने संविधान लिखने का जो चमत्कार किया उससे बड़ा कोइ चमत्कार हो ही नहीं सकता। उन्होंने हरेक की जिंदगी की बेहतरी के लिए आधुनिक भारत की कल्पनाओं को साकार किया है। कलेक्टर ने आगे कहा कि मानवीय मूल्यों के लिये जीवन भर उन्होने संघर्ष किया। केवल संविधान लिखने तक उनका कर्तव्य सीमित नहीं था। एसपी कृष्णावेणी देसावतू ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा इतिहास भूतकाल का वर्णन होता है वह वर्तमान एवं भविष्य की प्रेरणा भी देता है। आजादी के बाद देश के संविधान की जरूरत महसूस होने की बात कहते हुए उन्हांेने कहा कि बाबा साहब का बनाया संविधान काफी प्रभावशाली है। उन्होंने कार्यपालिका व्यवस्थ विधायिका एवं न्यायपालिका व्यवस्था का प्रावधान किया जो आज भी लागू है। भीमराव आम्बेडकर वर्ग विशेष के नहीं होकर वे प्रखर राष्ट्रवादी थे उनके विचार किसी समुदाय विशेष के नही होकर सभी के विकास के लिए है।वे प्रेक्टिकल थे समाज की सच्चाई को जानते थे आर्थिक व सामाजिक विषमता के बाद भी उनके ही प्रयासों के कारण प्रजातंत्र आगे भी जिन्दा रहेग ।हम सभी को संकल्प लेना होगा कि इस विषमता को समाप्त कर प्रगतिशील बनाने में अपनी भूमिका निभाएंगे। इस अवसर परश्नागपुर से पधारे चेतन वासनिक ने बाबा साहेब के विपरित परिस्थितियों के जन्म होने तथा अभावों के साथ आगे बढने की ऐतिहासिक जानकारी देते हुए विपरित परिस्थितियों संविधान निर्माण में उनकी भूमिकाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी । वही डीडी वासनिक ने अपने प्रेरक उदबोधन में हिन्दू महासभा द्वारा बाबा साहब के विरोध, चातुर्वर्ण , मनु की व्यवस्था तथा अंग्रेजी व्यवस्था के विरोध के बारे में ऐतिहािसक जानकारी दी ।डा आम्बेडकर उस वंचित तबके के अछूत होने से उन्हे हर कदम पर परेषानिया झेलना पडी ।गुलामों से भी बदतर इस वर्ग की स्थिति का वर्णन करते हुए संविधान निर्माण में उनकी भूमिका एवं देष से छूआ छूत के निर्मूलन एवं बौद्ध धर्म ग्रहण करने के बारे में विस्तार से बताया । कार्यक्रम मे हरिष यादव ,अहद खान, हेमेन्द्र पंवार , महेष राठोर, अमित शर्मा इकबाल हुसेन, आफताब कुरेषी, बी के सिह, आदि के साथ बडी संख्या मे समाजजन उपस्थित थे।DSC03422 DSC03403

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