रानापुर ”आजतक” डेस्कः झाबुआ जिले के रानापुर पुलिस थाने पर टीआई कैलाश बारिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। बारिया अभी भोपाल में सीआईडी में पदस्थ है। उन पर पंचायत चुनाव में एक प्रत्याशी का एजेंट बनकर बैठने का आरोप है।
रानापुर टीआई आर. एस. भास्करे ने बताया की मामला वडलीपाडा गांव का है। यहां पर कैलास बारिया एक उम्मीदवार के पक्ष में पोलिंग एजेंट बने थे। इस मामले में पीठासीन अधिकारी ने शिकायत की थी। इसी शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
बताया जा रहा है कि आईपीसी की धारा 171 (ग) के तहत यह मामला दर्ज किया गया है। प्रदेश में यह अपनी तरह का पहला मामला है। इस मामले में पुलिस के आला अफसरों को जानकारी मिलने के बाद पुलिस मुख्यालय को भी इस बारे में अवगत करा दिया गया है।
क्या कहती है धारा 171 (ग)
निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर आधारित जानकारी के मुताबिक
प्रश्नः क्या कोई धार्मिक या आध्यात्मिक नेता अपने अनुयायियों को अनुदेश दे सकता है कि वे किसी विशेष अभ्यर्थी को मत दे अन्यथा वे दैवी अप्रसन्नता के पात्र बन जाएंगे ?
उत्तर : नहीं
यदि कोई व्यक्ति किसी मतदाता को इस प्रकार प्रभावित करता है या प्रभावित करने का प्रयत्न करता है कि किसी विशेष अभ्यर्थी के पक्ष में मतदान करे अन्यथा वह दैवी अप्रसन्नता का पात्र बन जाएगा तो वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(2) के अधीन मतदाता पर अनावश्यक प्रभाव डालने के भ्रष्ट आचरण का दोषी होगा।
यह भारतीय दंड संहिता की धारा 171(ग) के अधीन अपराध भी है और या तो ऐसी अवधि, जिसे एक वर्ष तक के लिए बढ़ाया जा सकता है, के लिए कारावास, या जुर्माना या दोनों से दंडनीय है।
प्रश्न 28 : क्या कोई व्यक्ति किसी मतदाता को धमका सकता है कि यदि उसने किसी विशेष अभ्यर्थी को मतदान किया या किसी दूसरे विशेष अभ्यर्थी को मतदान न किया तो उसका बहिष्कार कर दिया जाएगा ?
उत्तर : नहीं
मतदाता को कोई धमकी कि यदि उसने किसी विशेष अभ्यर्थी को मतदान किया या किसी अन्य अभ्यर्थी विशेष को मतदान न किया तो उसका बहिष्कार कर दिया जाएगा, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(2) के अधीन अनावश्यक प्रभाव डालने संबंधी भ्रष्ट आचरण है और भारतीय दंड संहिता की धारा 171 च के अधीन या तो ऐसी अवधि जिसे एक वर्ष तक के लिए बढ़ाया जा सकता है, के लिए कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडनीय है।