फोन करने के बाद भी एमरजेंसी में भी नहीं आया 108 वाहन

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झाबुआ लाइव के लिए परवलिया से हरीश पंचाल की रिपोर्ट-
शासन ने कई जन कल्याणकारी योजनाएं ग्रामीणों के लिए लागू की है जिसमे उन्हें सुविधा मिल सके। इन विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए सरकार ने लाखों-करोडों रुपए खर्च भी किए हैं, लेकिन वही सुविधा आम आदमी को न मिले तो उस सुविधा का कोई औचित्य नहीं रहता। ऐसा ही एक किस्सा बीती रात को हुआ जिसमे इमरजेंसी समय में इमरजेंसी वाहन ही नहीं आया गांव के मुणिया फलिये के रहने वाले सुंदर मुणिया की पत्नी गर्भवती थी, बीती रात उसे अचानक उसे प्रसव पीड़ा हुई। इसके बाद प्रसव पीड़ा से कहरा रही महिला के लिए परिजनों ने जननी एक्सप्रेस वाहन को फोन लगाया लेकिन फोन नही लगा उसके बाद पड़ोसियों ने आपतकाल वाहन 108 को फोन लगाया और उसे रोड पर ले गए ताकि वहां से वाहन में अस्पताल ले जाया जाए जब तक वाहन नहीं आया तो दूसरी बार फोन लगाने पर कहा गया की हमने गाडी वाले को कह दिया है। आप बार बार फोन न लगाए इसी बीच महिला को ज्यादा दर्द होने लगा तो उसे वापस घर लाया गया जहां उसने एक बालिका को जन्म दिया। ग्रामीणों का कहना है कि जब आपातकल स्थिति में वाहन न आए तो फिर इमरजेंसी वाहन चलाने व शासन द्वारा लाखों खर्च करने का क्या औचित्य है?