प्रधानमंत्री ने की आदिवासियोंं की उपेक्षा – कलावती भूरिया

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क्षेत्र के लिए कोई घोषणा नहीं, अव्यवस्थाओं के बीच हुई सभा
झाबुआ। आजादी 70 वर्ष जरा याद करो कुर्बानी, काकोरी कांड की वर्षगांठ एवं विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर 9 अगस्त को अलीराजपुर जिले के चन्द्रशेखर आजाद नगर में आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्षेत्र की जनता को खासा निराश कर दिया। प्रधानमंत्री ने सभा में विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष में मंच से कुछ नहीं बोलकर यह बता दिया कि भाजपा आदिवासियों के बारे में क्या सोच रखती है। यहां तक की मंच से क्षेत्र के आदिवासी नेता स्व. दिलीपसिंह भूरिया, जो कि भाजपा के ही सांसद रहे है और जिन्हाने पूरे देश में एक राष्ट्रीय आदिवासी नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई थी, को याद करना भी उचित नही समझा। पूरे कार्यक्रम में प्रशासन की भी घोर लापरवाही सामने आई एवं अव्यवस्था के चलते लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। यह आरोप एवं बात जिला पंचायत एवं जिला कांग्रेस कार्यवाहक अध्यक्ष कलावती भूरिया ने लगाते हुए कहा कि अपने भाशण में प्रधानमंत्री ने एक बार भी स्व. दिलीपसिंह भूरिया जिक्र तक नही किया और न हीं आदिवासियों के जीवन पर कोई टिप्पणी की।
पीएम ने नहींदिया अंचल कोई तोहफा
कलावती भूरिया ने कहा कि पीएम आगमन को लेकर झाबुआ एवं अलीराजपुर सहित आसपास के जिलो के निवासी काफी आशान्वित थे कि वह जिले की रेलवे परियोजनाओं का समय सीमा में काम पूरा करवाने की घोषणा कर जाएंगे, किन्तु लोगों को 28 मिनट के भाषण में यह बात सुनने को ही नहीं मिला। कश्मीर समस्या का ही उन्होने पूरे भाषण में जिक्र करके जहां कश्मीर के लोगों को ही साथ देने तथा युवाशक्ति के सदुपयोग का जिक्र किया वह निश्चित ही सामयिक थी, किन्तु प्रधानमंत्री ने इस अंचल में जहां आजाद ने जन्म लिया था, वहां के बाशिन्दों एवं लोकसभा क्षेत्र के लोगों को कोई भी तोहफा देने में कंजूसी की। इसे लेकर लोगों को निश्चित ही निराशा हाथ लगी।
आदिवासियों की उपेक्षा
जिपं अध्यक्ष भूरिया ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री के इस दौरे को लेकर प्रशासन द्वारा भारी राखि खर्च की गई, उसके बाद भी जनता को कुछ भी हासिल नही हुआ। पूरी तरह आदिवासियों की उपेक्षा हर किसी में टीस पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि भाजपा और उसके नेताग आदिवासियों का केवल उपयोग करते है। यह भाजपाई सोच को प्रदर्शित करता है। इससे तो अच्छा होता कि प्रधानमंत्री वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही याद करो कुर्बानी की शुरुआत कर देते, ताकि जनता की गाढ़ी कमाई के रूपयों का इस कदर दुरूपयोग तो नहीं होता।
अधिकारी-कर्मचारी और स्कूली बच्चें हुए परेशान
कलावती ने कहा कि प्रधानमंत्री की सभा में भीड़ जुटाने के लिए प्रशासन द्वारा दोनो जिलों में सैकड़ों बसों एवं अन्य वाहनों को अधिग्रहित किया गया, यहां तक की स्कूली बसे भी अधिग्रहित किए जाने से यात्रियों के साथ स्कूली बच्चों को भी अत्यधिक परेशानी हुई। वहीं प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से लौटने के बाद आपाधापी में दो बसे भी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। शासकीय कर्मचारी भी अत्यधिक परेशान हुए। भूरिया ने बताया कि इसके साथ ही आयोजनस्थल पर अव्यवस्था भी रहीं। मार्ग पर कीचड़ व्याप्त होने से, सभा को सुनने के लिए आने वाले लोगों को काफी परेशानी हुइ।

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