झाबुआ लाइव के लिए झकनावदा से जितेंद्र राठौड़ की रिपोर्ट-
पेटलावद तहसील अक्सर भ्रष्टाचार और गबन के मामलों में सुर्खियों बंटोरता रहता है। 420 के प्रकरणों में तो जिले में सबसे आगे है। मध्यान्ह भोजन घोटाला हो या पोस्ट आफिस के जरिये गरीबों की मेहनत के करोड़ो डकारने का मामला हो या फिर मनरेगा, पंच परमेश्वर, स्व-कराधान योजना में लाखों गबन का मामला हो पेटलावद ने हमेशा आगे रहा है, यहां तक की कई मामले विधान सभा तक भी पंहुच गये है। लेकिन भ्रष्टों पर नाम मात्र की कार्रवाई होने से इनके हौसले बुलंदी पर है। चन्द्रशेखर बोरकर जैसे कलेक्टर ने जरूर भ्रष्टों पर लगाम लगाने के प्रयास किये थे किन्तु समय से पहले ही उन्हे यहां से रवान कर दिया गया था। वर्तमान कलेक्टर अरूणा गुप्ता के ढीले रवैये के कारण अधिकारी कर्मचारियों में किसी प्रकार को कोई खौफ नही है। ये जरूर है कि तेज तर्रार जिला पंचायत सीईओ इन पर नकेल कसने में थोडे बहुत सफल हुए है। किन्तु आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे भ्रष्टाचार से ये बिलकुल भी अवगत नही है। इनके ही विभाग के अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारी शासकीय योजनाओं में जमकर पलीता लगा रहे है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत योजना पर भी यहां डाका डाला जा चुका है। पेटलावद क्षेत्र में वर्तमान में बनने वाले शौचालयों में जमकर फर्जीवाड़ा हुआ है। यहां तक की एक शौचालय पर दस ग्रामीणों को थोडा सा लालच देकर फोटो खींचवाकर राशि निकाल ली गई है। इसमें सबसे अधिक अहम भूमिका निभा रहे है यहां के उपयंत्री, सचिव, रोजगार सहायक और सरपंच को थोडी लालच देकर अपने साथ मिलाकर शौचालयों में लाखो रूपयों का बंदर बांट हो चुका है।
जहां मनोज राय वहां सांई कृपा ट्रेडर्स..?
पेटलावद तहसील में भ्रष्टाचार को सबसे अधिक बड़वा अगर वर्तमान में कोई दे रहें है तो वह है विभाग के इंजीनियर। इंजीनियरों की सह पर ही फर्जी कार्यो को अंजाम दिया जा रहा है। इसका ताजा मामला संविदा उपयंत्रि मनोज राय का आया है। जिन पंचायतों में मनोज राय कार्य देखता है वहां पर एक ही फर्म से लाखों रूपयों की राशि निकाली जाती है। इन पंचायतों के ग्रामीणों द्वारा आन लाईन निकाली गई जानकारी के अनुसार मनोज राय ने झकनावदा, बनी, झोंसर, कोदली, उन्नई, करडावद, रूपगढ़ आदि अपने कार्य क्षेत्र की पंचायतों में सांई कृपा टे्रडर्स ओर सांई टे्रडर्स पेटलावद की फर्म के नाम से ट्रैक्टर ओर मटेरियल के लाखों रूपयों के बिल पास किये है। इन पंचायतों के ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि इस प्रकार की किसी फर्म के द्वारा यहां ना तो ट्रैक्टर चलाया गया है नाही किसी भी प्रकार का मटेरियल सप्लाई किया गया है। यहां तक की जिनके टे्रक्टरों ने वर्क कार्य किया है उन्हे अब तक भुगतान नही किया गया है। ग्रामीणो के आरोप से यह बात तो साबित हो ही जाती है कि आखिर पेटलावद की फर्म का ट्रैक्टर वहां से 25 किलोमीटर दूर झकनावदा में मुर्रम का स्पलाय केसे कर सकता है? ग्रामीणों का कहना है कि उक्त संस्था सवीदा उपयंत्री मनोज राय ही संचालित करता है क्योंकि पेटलावद में जिसके नाम से यह फर्म बनाई गई है उसी के मकान मे मनोज राय रह रहा है।
क्यों नही हुई संविदा इंजीनियर मनोज राय पर कारवाई ?
मनोज राय के कार्य क्षेत्र की झकनावदा पंचायत में फर्जी तरीके से मस्टर भरने के साथ बिना मार्ग बनाये राशि निकाले जाने के मामले में यहां के सचिव पर कारवाई की गई लेकिन संवीदा उपयंत्रि मनोज राय को बक्ष दिया आखिर क्यों ? जबकि मामले में जितना दोषी सचिव है उतना ही यहां का उपयंत्रि मनोज राय है। बिना उपयंत्रि के हस्ताक्षर के किसी भी प्रकार का गबन नही किया जा सकता है। घटिया निर्माण को लेकर भी झकनावदा के ग्राीमणों ने उक्त के खिलाफ आवेदन देकर कारवाई करने की मांग की थी। कुछ ग्रामीणों ने सेल टैक्स विभाग के अधिकारियों को भी उक्त मामले की शिकायत की है। यहां ही नही राय के प्रभार वाली अन्य पंचायतों में राय ने जमकर मलाई मारी है। हाल ही में राय ने मुख्यमंत्री खेत सड़क योजना के तहत नाहरपुरा पंचायत में मार्ग का निर्माण करवाया है। जिसमें कई प्रकार की अनियमित्ता पाई गई। यहां के ग्रामीणों ने घटिया निर्माण को लेकर जब आवाज अठाई तो वहीं के कुछ ग्रामीणों को रोजगार सहायक को साथ में मिला कर विवाद पेदा कर दिया। यहां के ग्रामीणों ने आरोप लगाये है कि बाल मजदुरों से कार्य करवा कर हाजरी किसी ओर के नाम से भर ली गई है। जिले के तेज तर्रार जिला पंचायत सीईओ ओर कलेक्टर अरूणा गुुप्ता के समक्ष यह मामला जाने के बावजूद मनोज राय को इस मामले में दोषी नही दिया जाना कई प्रकार के सवाल खड़े कर रहा है।
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