पद्मावती फिल्म की पूरी टीम सार्वजनिक माफी मांगे, नहीं तो परिणाम भुगतने को तैयार रहे : जीवनसिंह शेरपुर
झाबुआ लाइव के लिए विपुल पंचाल की रिपोर्ट-
राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना का पद्मावती फिल्म को लेकर गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को प्रदेशाध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर, जिलाध्यक्ष महेन्द्र सिंह झकनावदा ने पद्मावती फिल्म को लेकर संजयलीला भंसाली को चेतावनी दी है कि फिल्मकार भंसाली, फिल्म के कलाकार दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह सार्वजनिक रूप से माफी मांगे नहीं तो आगे भी उन्हें दुखद परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। जीवन सिंह ने कहा कि फिल्म से जुड़े लोगों को प्रदेश की सीमा में भी घुसने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने चेतवानी दी है कि भंसाली इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर राजपूत अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस नारी ने अपनी आन-बान के लिए खुद को चिता में स्वाहा कर लिया लेकिन अपने शील पर आंच नहीं आने दी, उस महान बलिदानी नारी को लेकर भंसाली गलत तरह की कहानी गढक़र खिलजी और पद्मावती के बीच प्रेम प्रसंग दिखा रहे हैं। राजपूत समाज ये कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भंसाली माफी मांगकर फिल्म बंद कर दे नहीं तो वे प्रदेश की सीमा आ तो जाएंगे लेकिन करणी सेना उन्हें प्रदेश के बाहर नहीं जाने देगी।
निकाली विशाल वाहन रैली-
इसके पहले राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना ने झाबुआ में विशाल वाहन रैली निकाली। उत्कृष्ट विद्यालय से शुरू हुई रैली नगर के विभिन्न मार्गों से होती हुईए राजवाड़ा चौक पहुंची। रैली में करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष जीवनसिंह शेरपुर, शैलेन्द्र सिंह कालूहेड़ा, जीतेन्द्र सिंह बरखेड़ी, झाबुआ जिलाध्यक्ष महेन्द्र सिंह झकनावदा समेत प्रदेश और जिले के कार्यसमिति के साथ-साथ सैकड़ों की संख्या में राजपूत युवाओं और समाजजन ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। केसरिया परचम और माथे पर अलग- अलग रंगों के बानों के साथ राजपूत करणी सेना के युवा अलग ही छटा बिखेर रहे थे। इस दौरान शैलेंद्रसिंह ने कहा कि राजपूत समाज न तो आरक्षण के विरोध में है और न ही किसी जाति के। करणी सेना केवल इतना चाहती है कि पूरे देश में आरक्षण आर्थिक स्थिति के आधार पर लागू किया जाए व्यक्ति किसी भी जाति-धर्म का हो। क्योंकि गरीब किसी की जाति देखकर नहीं आती है इसलिए करनी सेना पूरे देश में आर्थिक आधार पर आरक्षण व्यवस्था लागू करनी मांग कर रही है। ये आरक्षण राजपूत समाज अपने लिए नहीं मांग रहा लेकिन देश में समानता बनाए रखने के लिए अब ये जरूरी हो गया है कि परिवारों की आर्थिक स्थिति देखकर आरक्षण दिया जाए।
टंट्या मामा को किया नमन
