पेटलावद से हरीश राठोड की रिपोर्ट ॥ स्थानीय आदिवासी समाज की रीति रिवाज कई बार बारातियों पर भारी पड जाती है ऐसा ही हुआ झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील मे जहाँ दुल्हन ब्याहने पेटलावद के रामपुरा से रायपुरिया के बनी गांव पहुँचे दुल्हे किशन को बारात के साथ अघोषित रुप से इसलिए बंधक बनना पड़ा क्योकि दुल्हा पक्ष तय वधू मूल्य ओर चांदी लेकर नही पहुँचा था नतीजा रविवार शाम को बनी गांव पहुँची इस बारात का कोई अतिथि सत्कार नही हुआ ओर ना ही पांडाल मे उन्हें ठहरने दिया गया । दुर एक खेत मे बारात रुकने को मजबूर हुई ओर आनन फानन मे सोमवार को दुल्हे का पिता वापस अपने गांव आया ओर अपनो दो बीघा जमीन गिरवी रखनी पड़ी ओर फिर 500 ग्राम चांदी ओर तय रकम लेकर जब लडके का पिता दुल्हन के घर पहुँचा तब जाकर शादी की रस्में हुई ओर मंगलवार देर शाम को लडकी की विदा की गई । इस तरह समय पर वधू मूल्य ना चुका पाने के चलते बारात ओर दूल्हे को 30 घंटे से अधिक वक्त दुल्हन के गांव मे खेत पर बिना अतिथि सत्कार के गुजारना पडा ओर उसका जो खर्चा आया वह भी दुल्हें पक्ष को वहन करा..बहरहाल अंत भला तो सब भला कि तर्ज पर दुल्हा किशन अपनी दुल्हन जानकी को पाकर खुश है भले ही खेत गिरवी रखना पडा ।
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