झाबुआ जिले की “राजनीतिक – हलचल”

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@चंद्रभान सिंह भदोरिया @ चीफ एडिटर

भारी मन से ढाई दिन मुस्कराते हुए गुजार गये मंत्रीजी

राजनीतिक मे कभी कभी राजनेताओं को बिना मन के भी काम करने पडते है अब झाबुआ के प्रभारी मंत्री विश्वास सारंग को ही लीजिये .. झाबुआ आना वह पसंद नहीं करते लेकिन किसान आंदोलन के दोरान डंडा हुआ कि जाओ ओर देखो क्या चल रहा है जनता से मिलो ; संवाद करो .. अरे भाई चुनाव आ रहा है कुछ तो करो .. मरता क्या नहीं करता डंडा सीएम का था तो मंत्रीजी आ गये दो दिन ओर कुछ घंटे बिताकर लोट भी गये .. इस दोरान उन्हे जन संवाद मे ढेरों शिकायतें मिली ; हालांकि किसानों से मिलने से वह बचने मे रणनीतिक पूव॔क कामयाब भी रहे .. पेटलावद मे बाइक पर घुमे तो आइसक्रीम भी खाई .. झाबुआ मे मीडिया के साथ डिनर भी किया लेकिन इन सब से बेहतर होता आप किसान या आदिवासी के घर अचानक जाते ओर मक्का की रोटी ओर चटनी खाते । खैर मंत्रीजी का क्या आंकलन है पता नहीं लेकिन जन समस्याऐ बताती है कि सब कुछ ठीक नहीं है ।

कलावती भूरिया पर बीजेपी की निगाहे

केंद्र मे मोदी ओर एमपी मे शिवराज के नाम के सहारे चुनावी वैतरणी आसानी से पार करने का दावा करने वाली ” बीजेपी” को झाबुआ विधानसभा फिर से जीतने के लिए “कांग्रेस ” नेत्री “कलावती भूरिया ” की जरुरत महसूस हो रही है दरअसल बीजेपी जिलाध्यक्ष मनोहर सेठिया कलावती भूरिया के राजनीतिक कदमों पर निगाह जमाए बैठै है सुत्र बताते है कि बीजेपी की कोशिश है कि अगर “कलावती ” को कांग्रेस कहीं से भी टिकट ना दे तो उन्हे बीजेपी मे लाकर कांग्रेस के खिलाफ लडाकर कांटे से कांटा निकाला जाये लेकिन यह अभी बीजेपी की सोच है कामयाब होती है या नहीं यह देखने वाली बात होगी .. बीजेपी का यह दावा भी है कि कलावती भूरिया से उनका संवाद स्थापित हो चुका है ।

इधर सेठिया के लिए जिला काय॔कारिणी की घोषणा बनी मुसीबत

बीजेपी जिलाध्यक्ष मनोहर सेठिया विगत 1 महीने से अपनी जिला काय॔कारिणी बनाने के लिए माथापच्ची मे जुटे है मगर घोषणा नहीं कर पा रहे है वजह पता नहीं है लेकिन सुत्र बताते है कि एक जिला महामंत्री के नाम पर पेंच फंसा हुआ है दरअसल तीन महामंत्रीयों मे से एक आदिवासी समाज से लेना है दूसरा प्रवीण सुराणा को महामंत्री बनाने का दबाव है खुद सेठिया भी चाहते है सुराणा बने लेकिन इसके लिए सेठियाजी को प्रफुल्ल को जिला महामंत्री पद से हटाना होगा ओर उधर कल्लीपुरा मे एक खुफिया मीटिंग मे बताते है प्रफुल्ल को ना हटाने पर सहमति बनी थी अब दिक्कत यह है कि प्रफुल्ल ओर प्रवीण सुराणा दोनों जैन समुदाय से आते है ओर कोई एक ही जिला महामंत्री बन सकता है तीसरे नाम का दबाव निर्मला भूरिया की ओर से भी है । अब देखना है कि सेठिया जी अपने अनुभवों का लाभ उठाकर कैसी गोटी फिट करते है लेकिन इतना तय है कि अगर घोषणा मे ओर देरी हुई तो सेठिया जी कमजोर जिलाध्यक्ष माने जाने लगेंगे ।

सोशल मीडिया ओर चर्चाओ मे डाक्टर विक्रांत भूरिया को बढत

इधर झाबुआ विधानसभा सीट के लिए कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों मे डाक्टर विक्रांत भूरिया का नाम सबसे आगे चल रहा है रतलाम लोकसभा उपचुनाव मे उनकी कामयाब रणनीति के बाद झाबुआ नगर पालिका जीतने मे उनकी कामयाबी ओर फिर आदिवासी चेतना यात्रा ने उनका कद प्रदेश ओर एआईसीसी मे काफी बढ गया है ओर कांग्रेस के कई आला नेता भी डाक्टर विक्रांत भूरिया की काबिलियत ओर राजनीतिक समझ के कायल है पार्टी के सर्वे भी उनके नाम को हरी झंडी दे रहे है इसलिए सोशल मीडिया मे उन्हे कांग्रेस का उम्मीदवार माना जा रहा है ।

वालसिंह का वाल ढीला पडा ; फिर पेटलावद से कोन ?

पेटलावद विधानसभा सीट पर कांग्रेस के 8 से ज्यादा दावेदार उभर रहे है यह सब कुछ इसलिए हो रहा है क्योकि कांग्रेस के पूव॔ विधायक वालसिंह मैडा का निजाम कमजोर पडा है वालसिंह खुद इसके लिए जिम्मेदार है अभी हाल भी 1 जून से 10 जुन तक किसान आंदोलन का केंद्र पेटलावद रहा मगर वालसिंह उनके बीच नहीं देखें गये ; किसानों को मंडी को लेकर समस्याऐ है लेकिन वालसिंह वहां भी नहीं दिखे ऐसे भी अगर कोई नया दावेदार उम्मीदवारी हासिल कर ले तो वालसिंह को हैरान नहीं होना चाहिए दरअसल वालसिंह ने खुद को आश्वस्त कर लिया है कि महाराजा यानी सिंधिया उन्हे टिकट दिलवा ही देंगे ।

क्यो बागी है दिलीप कटारा ?

थादंला विधानसभा क्षैत्र मे निर्दलीय ओर अघोषित भाजपा विधायक कलसिंह भाबर को जिन्होंने जितवाया अब वहीं उनके खिलाफ खडे है पूव॔ थादंला जनपद अध्यक्ष दिलीप कटारा इन दिनों कलसिंह विरोधीयों का चेहरा बनकर पार्टी मे कलसिंह भाबर के खिलाफ अभियान छेडे हुए हैं हाल ही मे झाबुआ मे दिलीप कटारा कलसिंह विरोधियों को लामबंद कर सर्किट हाऊस मे आये थे मीडिया मे कलसिंह के खिलाफ कुछ बोलना चाहते थे लेकिन मेघनगर के राजू डामोर ने उन्हे रोक दिया अब राजु का एजेंडा क्या था यह तो वही जाने लेकिन मनोहर सेठिया जिलाध्यक्ष भाजपा से शिकायत कर दिलीप कटारा लोट गये थे अब देखना यह है कि चुनावी साल मे बीजेपी के भीतर मची यह घमासान किसे फायदा पहुंचाती है ।

मांदल बजवाकर ओर क्रिकेट खिलवाकर गायब हुए डामोर

बीते भगोरिया उत्सव मे पेटलावद विधानसभा मे गेर निकलवाकर ओर फिर टेनिस बाल क्रिकेट टूर्नामेंट करवाकर राजनीति मे सनसनी मचाने वाले ” जी एस डामोर ” अब इलाके से गायब है ऐसे मे सवाल उठने लगे है कि वह पाट॔ टाइम राजनीतिज्ञ बने थे या ?

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