झाबुआ की आदिवासी गुडिया को मिलेगा जीआई टैग ..!!

May

दिनेश वर्मा @ झाबुआ

अब बहुत जल्दी ही भारत के विश्व प्रसिद्ध उत्पादों दार्जिलिंग चाय ; गोवा की फैनी ; महाराष्ट्र के अलफांसो आम एंव झाबुआ के कडकनाथ की तरह मध्यप्रदेश की झाबुआ एंव अलीराजपुर के भील एंव भिलाला आदिवासी समाज की गुडिया को भी 53 अन्य उत्पादों के साथ केंद्र सरकार की जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानी जीआई ( GI) टैग मिल सकता है केंद्र के वाणिज्य मंत्रालय के अधीन उद्योग ओर आंतरिक कारोबार को बढावा देने के लिए विभाग की ओर से मान्यता प्राप्त 370 जीआई टैग उत्पादों मे से सिर्फ 50 उत्पाद ही आदिवासियों से जुडे है जबकि इससे अधिक उत्पाद इस श्रेणी मे आ सकते है इसे बढावा देने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत भारत के आदिवासी सहकारी विपणन विकास महासंघ ने प्रमाणिक पारंपरिक आदिवासी उत्पादों के लिए एक बाजार बनाने का टारगेट करते हुऐ 54 ऐसे आदिवासी उत्पादो की पहचान की है जो आदिवासी विरासत को संरक्षित भी करते है ओर जिनमे जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानी जीआई टैग लेने की क्षमता है । इस प्रयास के तहत अब जनजातीय मामलो की सहकारी संस्था टीआरआईएफईडी अब झाबुआ मे आदिवासी गुडिया बनाने वालो ओर उसकी आपूर्तिकर्ताओ की तलाश करेगी ओर जीआई टैग के लिए उनसे आवेदन करवायेगी

प्रयासो से खूश है शक्ति एंपोरियम एंव उनके कारीगर

आदिवासी गुडिया को बढावा देने के केंद्र सरकार के प्रयासो से झाबुआ जिले मे आदिवासी गुडिया बनाने वाले शक्ति एंपोरियम के संचालक सुभाष गिदवानी काफी खुश है उनके अनुसार देश ओर दुनिया मे नया बाजार खडा होने से स्थानीय आदिवासी कारीगरों ओर हम जैसै आपूर्तिकर्ताओ को फायदा होगा ओर आदिवासी विरासत को देश ओर विदेश मे पहचान मिलेगी ..इस आदिवासी गुडिया के कारीगर बद्दुबाई ओर अगनेश वसुनिया कहते है कि सरकार का यह प्रयास ऐतिहासिक है हमे इसका फायदा होगा साथ ही हमारी कला संरक्षित होगी ।