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झाबुआ लाइव के लिए पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
कृषि विज्ञान केंद्र कालूखेड़ा की मृदा वैज्ञानिक कामीनी ने कहा कि मिट्टी हजारों वर्षो में प्रकृति द्वारा बनाई जाती है। किसान अंधाधुंध रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग कर मिट्टी की जीवंतता से खिलवाड़ कर रहे है यह घातक है धार जिले के अग्रणी जैविक कृषक राजेश जैन ने कहा कि भूमि का वास्तविक भोजन गोबर की खाद कंपोस्ट तथा गोमूत्र है यदि किसान को अपनी खेती की लागत कम करना है तो गौ-पालन को खेती से जोडऩा पड़ेगा। उज्जैन जिले में भारतीय किसान संघ के वरिष्ठ नेता दयाराम धाकड़ ने कहा कि कंपनियों के भरोसे रहे तो किसान बर्बाद हो जाएंगे। अपना खाद,अपना बीज और अपना श्रम के बलबूते ही खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सकता है। रतलाम जिले के ख्यात जैविक लहसून उत्पादक किसान नानालाल धाकड़ ने बताया कि भूमि में पर्याप्त पोषक तत्वों को बनाए रखने के लिए गोबर, गोमूत्र और गुड के घोल के मिश्रण से बनी खाद आवश्यक है इससे भूमि मित्र जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है। इससे पूर्व संपर्क की ओर से निलेश देसाई ने किसानों की वर्तमान दशा, बीजों का बाजार और रासायनिक कृषि की विसंगतियों पर प्रकाश डालते हुए जैविक कृषि को अपनाने पर जोर दिया। कार्यक्रम में बीज तकनीक के जानकार दुलीचंद्र पंवार बदनावर, जैविक उत्पाद विपणन विशेषज्ञ मोहन लाल पिरोदिया रतलाम, जीवीटी के युवा कृषि वैज्ञानिक डॉ.वरूण सिंह,वरिष्ठ सर्वोदय विचारक हरिवल्लभ पाटीदार, ठा.हनुमंत सिंह डाबड़ी ने भी संबोधित किया.