झाबुआ लाइव के लिए राणापुर से एमके गोयल की रिपोर्ट –
प्रतापगढ़ के सन्मति समवशरण में चल रही प्रवचनमाला में रविवार को दिगंबर जैन आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने कहा की जीवन में जो सोता रहता है वो हमेशा खोता है और जो जगता रहता है वो हमेशा पाता है आज का अधिकांश युवा वर्ग सूर्योदय के समय भी सोता रहता है रात को देर तक जागना और सुबह देर तक सोना धन और बुद्धी दोनों को नष्ट करता है |
सन्मति समवशरण में दिगंबर जैन आचार्य सुनील सागरजी महाराज के प्रवचनों को सुनने के लिए आज भी सेंकडो की संख्या में श्रावक श्राविका मौजूद थे अपने प्रवचनों में आचार्यश्री ने कहा की सूर्योदय और सूर्यास्त के समय कभी सोना नहीं चाहिए हमेशा जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना सज्जनो की प्रवृत्ती है ,प्रकृती को निहारने से ऊर्जा का संचार होता है जो प्रकृती से सीख नहीं लेता है वह दुर्भाग्यवान है |सूर्योदय से पहले उठने वालों में बुद्धी का संचार होता है सूर्योदय की दिशा उत्कर्ष ,विकास और प्रकाश की दिशा मानी जाती है इसलिए मुनि हो याँ गृहस्थ कोई भी मंगल कार्य पूर्वाभिमुख होकर करते है जिधर से सूर्योदय होता है ,वास्तु शास्त्र के विषय में बोलते हुए उन्होंने कहा की जीवन में इसका बड़ा महत्व है घर की बनावट उसके मुख्य द्वार में वास्तु शास्त्र का ध्यान रखा जाए तो वहां पर प्यार बरसता है ,परिवार के मुखिया का व्यवहार शांत रहता है इससे घर में भी शांति बनी रहती है |समाज में मुखिया का व्यवस्थीत होना जरूरी है समाज उसका अनुसरण करता है अपने आचरण से मुखिया समाज को एक रख सकता है यदि उसका आचरण और व्यवहार ठीक नहीं है तो समाज टूट सकता है इसलिए सभी से प्रेम पूर्वक व्यवहार करना चाहिए जिससे समाज के एकता बनी रहे |वास्तु में पश्चिम दिशा को क्षय होने का सूचक माना जाता है सूर्य भी अस्त होता है पश्चीम दिशा से इसलिए उस दिशा में बैठकर ज्ञानार्जन भी नहीं करते है |जीवन में चार बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए सबसे पहले द्रव्य की शुद्धी होना चाहिए ,उतम द्रव्य का उपयोग करने के साथ क्षेत्र की शुद्धी और काल भी सही होना चाहिए इन सभी का प्रभाव अपने विचारों पर पड़ता है और अंत में सबसे महत्वपूर्ण है भावो की शुद्धी भाव अगर सही है तो जीवन में सब सही होता है |
जन्म जयंती शताब्ती वर्ष का आगाज
सन्मति समवशरण में वात्सल्य रत्नाकर आचार्य श्री विमल सागरजी महाराज की जन्म जयंती शताब्ती वर्ष के तहत होने वाले कार्यक्रम का आज से आगाज हुआ ,आचार्य विमल सागरजी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आयोजित संगोष्ठी में देश के कोने कोने से आये विद्धानो ने उनके प्रति अपनी विनयान्जली अर्पित की ,आचार्य सुनील सागरजी ने कहा की ये प्रतापगढ़ वासियों का सोभाग्य है की जन्म शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम की शुरुआत प्रतापगढ़ से हो रही है इसके बाद पुरे देश में इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होगा संगोष्ठी में विद्धानो ने कहा की आचार्य श्री विमलासागार्जी निर्मलता की मूर्ती थे जिनकी किर्ती चारों दिशाओं में फ़ैली वह निमित ज्ञान की विध्या में पारंगत और भोले बाबा के नाम से जाने जाते थे और श्रमण संस्कृति के प्रचार प्रसार में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा |