काम की तलाश में जिले के श्रमिकों का पलायन शुरू, गांव के गांव हुए खाली

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मेघनगर से भूपेंद्र बरमडंलिया की रिपोर्ट-
भगोरिया, होली, रंगपंचमी, गुडी पड़वा के पश्चात जिले में काम की तलाश में ग्रामीणों का पलायन शुरू हो चुका है। पलायन करने वाले परिवार अपनी पत्नी, बच्चों के साथ अपने बुजुर्ग माता-पिता को घर पर छोडकऱ पलायन कर रहे हैं। भारी मन से ग्रामीण अपने से विदा होते दिखाई दे रहे हैं। इस दौरान पलायन में अपने छोटे-बच्चो को कुछ ग्रामीण अपने साथ ले जाते हैं तो वहीं कुछ ग्रामीण अपने बच्चों को घर पर छोडकऱ काम की तलाश व परिवार के भरण-पोषण की चिंताओं को लेकर मध्यप्रदेश के अन्य शहरों के साथ गुजरात-राजस्थान प्रांतों की ओर रुख कर रहे हैं। यह पलायन सुबह 4 बजे से लेकर देर रात 12 बजे तक चलता है। इस दौरान जिले के रेलवे स्टेशन मेघनगर, थांदलारोड, बामनिया से ग्रामीणों को पलायन करते देखा जा रहा है। अपने घर-बार जिला छोडकऱ पलायन कर रहे ग्रामीण अपने साथ राशन व अनाज भी ले जाते हैं और उनके साथ राशन का सामान भी होता है जिन्हें महिलाएं-पुरुष लादकर रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड पर दिखाई दे रहे हैं।
जिले में रोजगार मुहैया करने के नहीं है प्रबंध.
वैसे तो ग्रामीणों को काम की तलाश में मारे-मारे अन्य राज्यों व अपने गृह ग्राम व जिला न छोडऩा पड़े इसके लिए शासन स्तर पर मनरेगा योजना में केंद्र व राज्य शासन की बेरुखी के बाद लगता है वह जिले में ध्वस्त हो चुकी है। प्रशासनिक अमले की अनदेखी के चलते मनरेगा के कार्य गांवों में नहीं चल रहे हैं और इसके विपरीत कहीं-कहीं सरकारी काम चल भी रहे हो तो वे मशीनों के जरिये किए जा रहे हैं। कमोबेश रोजगार के साधन पूरे जिले में उपलब्ध नहीं होने से ग्रामीणों को गमी के सीजन में काम की तलाश में भटकना पड़ रहा है।
पलायन से जिले के बाजार हुए सूने.
त्योहारों के चलते अभी तक जिले में बाजारों में खरीददारों के कारण रौनक थी। ग्रामीणों ने इस दौरान जमकर खरीदी भी की और अब त्योहार का सीजन खत्म हो चुका हैए इसलिए ग्रामीण भी दो जून की रोटी की जुगत में अन्य राज्यों की ओर पलायन करने लगे हैं। पलायन के चलते बाजारों में सूनपान दिखाई दे रहा है। वहीं काम की तलाश में गुजरात-राजस्थान व अन्य प्रांतों में जाने पर जिले के ग्रामीणों को खासी मशक्कत उठानी पड़ती है तो कई बार काम की तलाश में जाने के दौरान भीषण दुर्घटनाओं के शिकार होकर हमेशा के लिए अपनो से दूर हो जाते हैंए तो वहीं अन्य राज्यों में काम की तलाश में जाने पर जिले के ग्रामीण श्रमिकों से दुव्र्यवहार भी किया जाता है तो वहीं महिला श्रमिकों का मानसिक व शारीरिक शोषण भी किया जाता रहा है। लेकिन जिले में बैठे प्रशासनिक आला अफसर जिले में ही श्रमिकों को काम मुहैया करवाने में नाकाम साबित हुई है। बहरहाल जिले से काम की तलाश में निकले श्रमिक अब जून माह में ही बोवनी के दौरान अपने घरों पर वापस लौटेंगे तब तक कठोर परिश्रम कर अपने परिवार से दूर रहकर वे मेहनत-मशक्कत कर अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी के साथ साधन जुटाएंगे। अब ग्रामों में वे ही लोग बचे हैं जिनके घरों में शादी-ब्याह हो रहे हैं शेष लोग पलायन कर चुके हैं।

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