काकनवानी में ढाई माह के जुड़वा बच्चों की मौत, परिजन बोले टीके लगने के बाद हुई मौत, प्रशासन ने कुपोषण को बताया मौत की वजह

May

झाबुआ लाइव के लिए ब्यूरो चीफ विपुल पंचाल की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट-

मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ के काकनवानी गांव में 31 जुलाई एवं 1 अगस्त को जुड़वा बच्चों की अचानक एक दिन के अंतराल के बाद मौत हो गई थी। इस मौत पर मृत बच्चों के मां-बाप ने आरोप लगाया है कि 28 जुलाई को आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने दबावपूर्वक उसके दोनों बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र बुलवाया एवं निलेश को एक साथ तीन टीके जबकि बच्ची ललिता को दो टीके लगा दिए गए। उसके दो दिन बात उनकी तबीयत बिगडऩी शुरू हुई और 31 जुलाई को ढाई माह की ललिता ने व 1 अगस्त को ढाई माह के निलेश ने दम तोड़ दिया। ललिता की मौत पर तो माता-पिता ने कोई कानूनी कदम नहीं उठाया लेकिन जब 1 अगस्त को निलेश की मौत हुई तो निलेश के पिता कालिया डामोर ने काकनवानी पुलिस थाने पर पहुंचकर मर्ग की रिपोर्ट दर्ज करवाई, जिस पर काकनवानी पुलिस ने निलेश के शव का पोस्टमार्टम करवाया और जांच शुरू की।

डॉक्टर एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के अनुसार मौत की वजह कुपोषण
काकनवानी के तड़वी फलिया के कालिया डामोर के इन जुड़वा बच्चों की मौत के मामले में निलेश के शव का पोस्टमार्टम करने वाले काकनवानी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के मेडिकल ऑफिसर डॉ. सोभान बबेरिया का कहना है कि कालिया डामोर के दोनों बच्चों ललिता एवं निलेश की मौत टीके लगने के कारण नहीं हुई है बल्कि अति कुपोषण के चलते उनकी मौत हुई है। डॉ. बबेरिया के मुताबिक 28 जुलाई को आंगनवाड़ी केंद्र पर तीन दर्जन बच्चों को टीके लगाए गए थे, लेकिन इन दोनों बच्चों को छोडक़र सभी बच्चे सुरक्षित है। डॉ. बबेरिया ने बताया कि उन्होंने पोस्टमार्टम के समय खुद ढाई माह के निलेश का वजन लिया था वह उस समय 1 किलो 670 ग्राम था। डॉ. बबेरिया के अनुसार दोनों बच्चों की मौत कुपोषण के चलते ही हुई है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि निलेश के पोस्टमार्टम के पश्चात उसका विसरा जांच के लिए भेज दिया गया है। वहीं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता रेजीना डामोर का कहना है कि इसमें हमारी कोई गलती नहीं है दोनों बच्चे कुपोषित थे हम लगातार मृतक बच्चों की मां को समझाइश देते थे कि उसे टीके लगाए। लेकिन न तो जन्म के समय लगने वाले उसे टीके लगाए, न डेढ़ माह में लगने वाला टीका लगाया गया इसलिए जब ढाई माह में हमने 28 जुलाई को समझाइश देकर ललिता और निलेश को उसकी मां समेत बुलाया तो निलेश को हमने एक साथ तीन टीके लगाए और ललिता को दो। उसके दो-तीन दिन बाद दोनों की मौत हो गई। रेजीना डामोर कहती है कि उनकी मौत टीकाकरण से होने का आरोप गलत है यह मौत दोनों बच्चों के अति कुपोषित होने के चलते हुई है।

कलेक्टर का बड़ा बयान, मौत की वजह कुपोषण, टीका नहीं
इस पूरे मामले पर झाबुआ कलेक्टर आशीष सक्सेना का कहना है कि दोनों बच्चे जन्म के समय से ही कुपोषित थे, हालांकि उनको टीका लगाया गया था लेकिन मौत की वजह टीका नहीं है बल्कि बच्चों का कमजोर और कुपोषित होना मौत की वजह है। लेकिन फिर भी मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट में जिले में यह है कुपोषण की स्थिति
-झाबुआ जिले में बच्चों में कुपोषण 45.6 फीसदी
-झाबुआ जिले में गर्भवती महिलाओं में कुपोषण 74.2 फीसदी
-झाबुआ जिले में बच्चों में पूर्ण टीकाकरण 25 फीसदी
-ग्रामीण झाबुआ में बच्चों में टीकाकरण 19.9 फीसदी
-झाबुआ जिले में जन्म के तुरंत बाद स्तनपान 21 फीसदी
-झाबुआ जिले में छह माह तक केवल स्तनपान 55.8 फीसदी
-बच्चों में खून की कमी 72.4 फीसदी