झाबुआ / अलीराजपुर लाइव डेस्क EXCLUSIVE
विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पति की दीर्घायु एवं स्वास्थ्य की कामना करने के साथ-साथ कुंवारी कन्याएं भी इस दिन मनचाहा वर पानें के लिए चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर व्रत को पूरा करती हैं। इस व्रत में रात में शिव, पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा के तस्वीरों और सुहाग की वस्तुओं की पूजा का विधान है। इस दिन निर्जला व्रत रखकर चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य अर्पण कर भोजन ग्रहण करना चाहिए।
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इस बार करवा चौथ 30 अक्टूबर को है। करवा चौथ के बारें में पूर्ण निवरण वामन पुराण में दिया गया है। जानिए करवा चौथ का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजन करने की विधि के बारें में।
चन्द्रोदय होने का शुभ समय
इस साल करवा चौथ में पूजा के समय शाम को 5: 42 मिनट से 6: 57 मिनट तक है। इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से आपको अच्छा फल मिलेगा। साथ ही चन्द्रोदय का समय रात 8: 39 मिनट है। इस समय पर आप चांद को अर्ध्य देकर व्रत का पारण कर सकते है।
करवा चौथ का महत्व
इस त्योहार को मनाने के पीछे महिलाओं का अपने पति के प्रति प्रेम, पारिवारिक सुख-समृद्धि एवं सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ-साथ भारतीय नारियों के त्यागमय जीवन के दर्शन होते हैं। इस पर्व में महिलाएं सोलह श्रृंगार करती है। माना जाता है कि यह श्रृंगार प्रकृति का श्रृंगार होता है। इसलिए यह व्रत वैवाहिक स्त्री के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।