आरक्षक गवली की निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत,एसपी ने परिजनों को एक लाख रूपए की आर्थिक सहायता राशि का चेक सौंपा

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फिरोज खान, अलीराजपुर

कोलवाली थाने में पदस्थ आरक्षक जालम गवली की शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान रविवार शाम को अचानक मौत हो गई। जिससे साथी पुलिसकर्मियों और विभाग में शोक की लहर छा गई। मृतक आरक्षक स्व. गवली मिलनसाल और सेवाभावी थे। एसपी विपुल श्रीवास्तव सोमवार सुबह जिला अस्पताल पहुंचे और आरक्षक के पीएम के दौरान मौजूद रहे। उन्होने आरक्षक के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर अंतिम विदाई दी। इस दौरान एसडीओपी धीरज बब्बर, कोतवाली टीआई दिनेश सोलंकी, एसआई गोविंद कटारा, दिलीप चंदेल, नाथुसिंह, एएसआई धर्मेंद्र सोमवंशी सहित पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों ने भी पुष्पचक्र व पुष्पमाला अर्पित कर अंतिम विदाई दी। एसपी श्रीवास्तव ने आरक्षक स्व. गवली के परिजनों को विभाग की और से 1 लाख रूपए की आर्थिक सहायता का चेक सौंपा और ग्रेज्यूटी व अनुकंपा नियुक्ति की प्रक्रिया शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिए।
इस संबंध में मृतक आरक्षक स्व. गवली की पत्नि सुशीला और परिजनों ने बताया कि शनिवार को डूयटी के दौरान आरक्षक गवली की तबियत अचानक खराब हुई तो उन्होने शहर के आलीराजपुर जनरल हास्पिटल में डॉक्टर से चेकअप करवाया। जहां पर डॉक्टर द्वारा खुन पेशाब की जांच करवाकर दवाई दी गई। पश्चात रविवार सुबह भी तबियत ठीक नही हुई तो फिर अस्पताल पहुंचे जहां पर भर्ती कर बॉटल चढाई गई और दवाई गोली दी गई। लेकिन इलाज के दौरान शाम को अचानक उनकी मृत्यु हो गई।
पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच में लिया
इस संबंध में कोतवाली टीआई दिनेश सोलंकी ने बताया कि कोतवाली थाने में पदस्थ आरक्षक जालम पिता वालसिंह गवली 37 निवासी ग्राम जोगदरी थाना बाग जिला धार को रविवार को अज्ञात बिमारी व दर्द के चलते आलीराजपुर जनरल हास्पिटल में इलाज के लिए एडमिट किया गया था। इलाज के दौरान रात आठ बजे उनकी मृत्यु हो गई। अस्पताल से सूचना मिलने के बाद कोतवाली पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच में लिया। पोस्टमार्टम डॉक्टर्स के पैनल द्वारा करवाया गया जिसमें मृत्यु का स्पष्ट ओपिनियन सामने नहीं आया। आरक्षक गवली का विसरा जांच के लिए भेजेंगे, जिससे मौत की स्पष्ट वजह पता चलेगी।
अस्पताल में लटके ताले
उक्त निजी अस्पताल में पुलिस आरक्षक की इलाज के दौरान मौत होने के बाद सोमवार को ताले लटके रहे। हंगामे की आशंका और सुरक्षा की दृष्टि से यहां पुलिस बल तैनात रहा। इस मामले में अस्पताल के जिम्मेदारों से मोबाइल पर संपर्क कर उनका पक्ष जानने का लगातार प्रयास किया गया लेकिन उनका मोबाइल स्विच ऑफ मिला और अस्पताल का कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति अस्पताल में मौजूद नहीं मिला।

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