आदेश को लेकर विधायक पटेल हुए मुखर, जताया विरोध मनमानी पूर्वक जारी स्थानांतरण आदेश तत्काल निरस्त करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री और आदिम जाति कल्याण मंत्री को लिखा पत्र

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आलीराजपुर।
जिले में शिक्षक संवर्ग में जिला प्रशासन द्वारा लालफीताशाही और मनमानी करते हुए शिक्षक संवर्गो के थोकबंद तबादले करने को मामले को लेकर विधायक मुकेश पटेल मुखर होते हुए कडा विरोध दर्ज करवाया है। मनमानी पूर्वक जारी इन स्थानान्तरण आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग को लेकर विधायक पटेल ने मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री और आदिम जाति कल्याण मंत्री को पत्र लिखा है और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी पत्र भेजकर मामले से अवगत करवाया है।
बगैर ठोस कारण के कर दिए गए स्थानान्तरण
विधायक पटेल द्वारा भेजे गए पत्र में बताया गया कि स्थानांतरण नीति 2021-22 के अनुसार तीन वर्ष से अधिक एक ही स्थान पर पदस्थ कर्मचारियों का स्थानांतरण किया जाए। लेकिन जिले में ऐसे कर्मचारी जिनका पूर्व में स्थानांतरण होकर पदस्थ हुए उन कर्मचारियों का पुनः तीन वर्ष पूर्ण हुए बिना ही बगैर ठोस कारण के स्थानांतरण कर दिया गया है। जबकि कोविड-19 के कारण सभी शैक्षणिक संस्थाए बंद होने के बाद भी स्थानांतरण किया जाना अनुचित है।
पति पत्नि के स्थानान्तरण में भी नियमों को किया अनदेखा
स्थानांतरण नीति के अनुसार पति-पत्नि यदि अलग-अलग जगहो पर सेवारत है तो उन्हें एक ही जिला व विकासखण्ड मुख्यालय पर स्थानांतरण करने के निर्देश है। लेकिन वर्तमान में जिला प्रशासन द्वारा जारी स्थानांतरण आदेश में ऐसे कर्मचारी जो पति-पत्नि एक ही विकास खण्ड मुख्यालय पर साथ में रह कर शासकीय सेवा दे रहे थे उन्हें भी लगभग 70-80 किमी की दूरी पर बिना किसी कारण के स्थानांतिरत कर दिया गया। कई कर्मचारियों के छोटे-छोटे बच्चे एवं उनके माता-पिता वृद्धावस्था में होने से उनकी देख-भाल और पालन-पोषण की भी जिम्मेदारी निभा रहे है। ऐसी स्थिति में वे अपने बच्चों और परिवार के वृद्धजनो की देख-रेख कैसे कर पाएंगे।
कोराना काल में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को भी नहीं बख्शा
जिन शिक्षको का स्थानांतरण किया गया है। उन शिक्षको द्वारा कोरोना वायरस की पहली व दूसरी चरण की महामारी में अपने परिवार की चिंता किए बिना कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दिन-रात कार्य किया गया। उक्त संक्रमण कार्य की रोकथाम में कुछ कर्मचारियों की मृत्यु भी हो गई।
जिले के शिक्षक कर्मचारियों को वर्तमान सरकार द्वारा कोरोना में उत्कृष्ट कार्य करने पर सम्मानित भी किया गया। सरकार द्वारा सम्मानित किए जाने के बाद उन्हें बिना कारण के स्थानांतरण कर परेशान किया जा रहा है। सरकार कर्मचारियों को एक तरफ सम्मानित करती है और दूसरी तरफ अनावश्यक स्थानांतरण कर प्रताड़ित किया जा रहा है। ये अन्याय है।
वर्ग विशेष व समुदाय को किया गया टारगेट
जिले में जिला प्रशासन द्वारा वर्ग विशेष व समुदाय के 94 कर्मचारियों को ही टारगेट बनाकर राजनैतिक एवं सामाजिक द्वेषता के कारण प्रशासनिक तौर पर स्थानांतरण किया गया है और कई महिला शिक्षको को निवास स्थल से लगभग 50-60 किमी दूरी पर ऐसे स्थान पर स्थानांतरण किया गया है जहॉ महिला अकेले आना-जाना नहीं कर सकती है। जबकि शासन के नियम अनुसार महिलाओं को ऐसे स्थान पर पदस्थ किया जना चाहिए जहॉ आने-जाने में असुविधा न हो।
कई स्कूले शिक्षक विहिन होने की कगार पर
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र जिले में लगभग 400 से अधिक शालाए शिक्षक विहिन होने के बाद भी शिक्षक संवर्ग एवं कर्मचारी लगन व ईमान्दारी से कार्य कर रहें है उन्हें द्वेष पूर्ण रवैये से स्थानांतरित किया गया है। जिससें कई स्कूलों में शिक्षा की व्यवस्था प्रभावित होगी एवं कई स्कूले शिक्षक विहिन होने की कगार पर है।
स्थानांतरण नीति अनुसार अतिशेष शिक्षको को ही एवं विशेष परिस्थितियों में ही स्थानांतरण किया जाना चाहिए था। आरटीई के तहत स्वीकृत पदो के अनुसार सभी स्कूलों में रिक्त पद होने के बाद भी शिक्षको का स्थानांतरण कर दिया गया है जो स्थानांतरण नीति के विपरित है।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी नहीं छोडा
साथ ही चतुर्थ कर्मचारियों का भी स्थानांरतण किया गया है जो दुर्भावना पूर्वक है। कई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जो मानदेय एवं मजदूरी दर पर कार्यरत है उन्हें भी शिक्षक संवर्ग के अनुरूप स्थानांतरण किया गया है। जबकि मानदेय एवं मजदूरी दर पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए स्थानांतरण नीति में कोई प्रावधान ही नहीं है। ऐसे कर्मचारियों का भी स्थानांतरण कर दिया गया है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सुबह कार्यालय खोलने से लेकर दिनभर कार्य कर कार्यालय बंद करने के बाद भी सेवाए देते है ओर कम वेतन के कारण घर नहीं चला पाते है तो वह बाकी समय में निजी खेती बाड़ी से आय अर्जित कर अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। ऐसी स्थिति में इनका स्थानांतरण किया जाना अनुचित है। इस सम्पूर्ण घटना क्रम से स्पष्ट है कि वर्तमान सरकार का रवैया आदिवासी अधिकारी/कर्मचारी विरोधी दिखाई दे रहा है।
स्थानांतरन नीति अनुसार राज्य शासन से मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों को दो पदावधि तक सामान्यतः स्थानांतरण नहीं किये जाने के निर्देश शासन द्वारा दिए गए है। जबकि स्थानांतरण आदेश में कई कर्मचारी है जो कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी है उन्हें भी नियम के विरूद्ध स्थानांतरण किया गया है।विधायक पटेल ने कहा कि जिले में लालफीता शाही पूर्ण तरीके से मनमानी पूर्वक प्रशासनिक तौर पर किए गए स्थानांतरण आदेश को तत्काल रद्द करने की कार्रवाई करे।

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