आठ दिन आत्मा के निकट रहकर जीवन को साधने की कोशिश करना है – मुक्तिप्रभा जी

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झाबुआ लाइव के लिए मेघनगर से भूपेंद्र बरमंडलिया की रिपोर्ट
03 5पर्व द¨ तरह के ह¨ते है. लोकिक व ल¨क¨त्तर पर्व लोकिक पर्व त्योहार ह¨ते है व ल¨क¨त्तर पर्व आत्म शुद्धि हेतु मनाया जाने वाला पर्व ह¨ता है. पर्युषण पर्व भी ल¨क¨त्तर पर्व है जिसमें त्याग, वैराग्य, दान, शील, तप आदि से धर्म व म¨क्ष के लक्ष्य को साधने की प्रेरणा दी जाती है। उक्त प्रेरक उदब¨धन शुक्रवार क¨ महावीर भवन में पर्युषण पर्व के प्रथम दिन आय¨जित धर्मसभा के दोरान महासती मुक्तिप्रभा ने व्यक्त करते हुए व पर्युषण पर्व का महत्व बताते हुए कहा कि हम सभी को इन आठ दिनो में आत्मा के निकट रहकर जीवन क¨ साधने की क¨शिश करना है। इन आठ दिनों में यथाशक्ति अधिक से अधिक धर्म आराधना कर उपासना करनी है और जीवन का कल्याण करना है. आठ दिनों तक हरी सब्जी का त्याग, रात्रि भ¨जन का त्याग, ब्रहचर्य का पालन, अधिकाधिक सामायीक व्रत पच्चखाण कर पर्युषण पर्व क¨ सफ्ल बनाना है।
क्या है अंतगढ़ दशा सूत्र:-पर्युषण पर्व के द©रान पढ़े जाने वाले अंतगढ़ दशा सूत्र का वाचन करते हुए महासती प्रेमलता जी ने बताया कि इस सूत्र का अर्थ अनंत केवली अर्थात् जिन्ह¨नें अपने जीवन के अंतिम समय में केवल ज्ञान, दर्शन प्राए¢त किया और तत्काल सिद्ध स्थान क¨ प्राप्त कर गए महापुरूषों का जिस सूत्र में वर्णन है वह अंतगढ़ दशा सूत्र के नाम से जाना जाता है। अंतगढ़ दशा सूत्र आठवां अंग है और पर्युषण के इन आठ दिनों में इस सूत्र के वाचन करने का विधान है. इस आगम में आठ वर्ग है. इन आठ वगर्¨ में नब्भे अध्ययन है. इन नब्भे अध्ययनों में अंतकृत केवलियों की संक्षिप्त जीवन गाथा है। द¨ तीर्थंकर भगवान अरिष्टनेमी नाथजी व भगवान महावीर स्वामी जी के शासन के चुनें हुए अंतकृत केवली पुरूष¨, मुनिराजो और साध्वियों का इसमें वर्णन है. इन वर्णन से नैतिक शिक्षाओ के साथ जिन शासन क¨ मण्डित करने वाली तथा आत्म कल्याण के मार्ग क¨ प्रशस्त करने वाली कई धार्मिक शिक्षाओं की प्रेरणा मिलती है. उन्ही के अनुशरण से म¨क्ष मार्ग प्रशस्त ह¨ता है।
श्रðालुओं ने लिए व्रत पच्खाण:-धर्मसभा के दोरान कई श्रावक श्राविकाओ ने एकासन, आयंबील, उपवास, नेवी, चार उपवास, सात उपवास आदि के प्रत्याख्यान ग्रहण किए. तप चक्रेश्वरी स्नेहलता बहन वागरेचा ने 45 उपवास के प्रत्याख्यान लिए. आतिथ्य सत्कार का लाभ शैतानमल व्ह©रा परिवार ने लिया. संचालन श्री संघ अध्यक्ष हंसमुखलाल वागरेचा ने किया. प्रभावना के रूप मे मुखवस्त्रीका का वितरण कर अणु कृपा मंडल के सदस्यों ने श्रद्धालुओं से अधिक से अधिक सामायीक करने की सीख दी. द¨पहर मे कल्पसूत्र का वांचन हुआ जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। वही द¨पहर 2.30 बजे बालक व बालीका मंडल के तत्वाधान में धार्मिक अंताक्षरी प्रतिय¨गिता का आय¨जन किया गया. शाम क¨ प्रतिक्रमण मे भी समाजजनों की शत प्रतिशत उपस्थिती रही.
मंदिरों मे हुई भव्य अंगरचना:- पर्युषण पर्व के दोरान गुरूवार शाम क¨ यात्रिक धर्मशाला प्रांगण स्थित गोड़ी पाश्र्वनाथ भगवान व गुरूदेव की आर्कषक अंगरचना की गई. वंही नवनिर्मित शांति सुमतिनाथ जैन मंदिर में भगवान सुमतिनाथ जी व राजेन्द्र सूरी जैन ज्ञान मंदिर में दादा गुरूदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्रसुरिश्वर म.सा. की आर्कषक अंगरचना की गई. इस दोरान सभी मंदिरों पर भव्य विद्युत सज्जा की गई. देर रात तक भक्ति का दोर चला जिसमें समाजजनों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया.

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