भक्तो की मनोकामना पूर्ण करती है मां ‘भद्रकाली

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झाबुआ लाइव के लिए रायपुरिया से लवेश स्वर्णकार की रिपोर्ट

मां ‘भद्रकाली
मां ‘भद्रकाली

ग्राम रायपुरिया से दो किमी की दूरी पर टैकरी पर विराजित मां भद्रकाली का एक प्राचीन मन्दिर स्थित है। पंपावती नदी के किनारे ऊंची पहाड़ी पर स्थित यह मन्दिर कितना पुराना है,यह आज तक कोई भी बता नही पाया हे परन्तु जो जानते है उनके अनुसार इस मन्दिर का प्रथम जीर्णोद्धार भटेवरा समाज के चोहान वंशियो ने करवाया था उसके करीब 150 वर्ष बाद रायपुरिया के ठाकुर ठिकाने ने मन्दिर का जीर्णोद्धार करवा कर मन्दिर के लिए धार जिले के कोटेश्वर धाम से दो पुजारी बुलवाए थे मन्दिर के नाम कृषि भुमि भी दी थी तब से पुजारी परिवार की दसवी पीढ़ी के दशरथ नरसिंह भारती इन दिनो माता मन्दिर की सेवा पूजा कर रहे है।

प्रतिदिन देती मां तीन रुपों मे दर्शन-

मन्दिर की प्रतिमा के बारे मे पूरा क्षेत्र जानता ही नहीं अपितु विश्वास भी करता है कि मां अपने भक्तो को तीन रुपो मे सूर्याेदय से दोपहर 12 बजे तक मां बाल रुप मे दोपहर 12 बजे से शाम 6 बजे तक युवा तथा शाम 6 बजे से सूर्याेदय तक वृद्ध रुप मे प्रतिदिन दर्शन देती है।

महाभारत काल से नरबली प्रथा बन्द तब से होती हर मन्नत पूर्ण-

मन्दिर की प्राचीनता के बारे मे यहा के पुजारी बताते है कि महाभारत काल मे हिडम्बा इस मन्दिर पर अपने पुत्र घटोत्घच की बलि देने वाली थी जिसे भीम ने रोककर मन्दिर पर नरबलि प्रथा बंद करवाई तब से मां उन सब भक्तो की मनोकामना पूर्ण करती है, जो मां के दरबार मे आकर मन्नत मानता। यहा पर गोद भर कर संतान सुख भी पाता गुंगे को वाणी भी मिलती ओर तो ओर प्रत्याशी भी मां के दरबार मे मन्नत लेकर विजयश्री होता है।

मां के सम्मान के बाद ही होता मेला-

मां के सम्मान मे रायपुरिया मे पिछले 50 से भी अधिक वर्षो से प्रतिवर्ष भरने वाले मेले की शुरुआत मां को पोषाक धारण कराने के बाद ही होती पूरा गांव ही नही मेले मे आने वाला हर दुकानदार झूले वाला किसी भी धर्म को मानने वाला हो मां के दर्शन के बाद ही व्यवसाय प्रारंम्भ करते मंा की कृपा से रायपुरिया के मेले मे आया कोई भी व्यापारी निराश नहीं लोटता। परन्तु पिछले वर्षकुछ स्वार्थियो ने मेले के आयोजन पर रोक लगवा दी थी। वर्तमान पंचायत क्या मां के इस परंपरागत मेले की परंपरा को यथावत रखेगी या चन्द स्वार्थियो के आगे नतमस्तक होगी। यह आने वाला समय बताएगा परन्तु यह तय जिसने मां के मेले का विरोध किया मां ने उन्हे मां ने नहीं बक्शा।
मां का मन्दिर पर देखरेख का अभाव –

भक्तो की मनोकामना पूरी करने वाली माताजी का मन्दिर मे देखरेख का अभाव बन रहा है। मां भद्रकाली चमत्कारिक हे समय समय पर अपने भक्तो को कई चमत्कार मां ने दिखाए मां के मन्दिर की व्यवस्था मन्दिर की भुमी से प्राप्त फसल से भक्तो के चढ़ावे से ही होती नवरात्रि मे मां के भक्तो की भीड बढ़ती तो चढ़ावा भी आता जिसमे नवरात्रि की व्यवस्था हो जाती परन्तु प्रशासन समाजसेवी दानदाता न जाने क्युं इस मन्दिर को अर्थ सहयोग से वंचित किए हुए है। क्षेत्रीय विधायक भी जब प्रत्याशी बने थे मां के दरबार मे मत्था टेका मन्नत मानी विजय श्री भी हुए पर विधायक बनने के बाद शायद मां को भूल गए रायपुरिया पंचायत के जनप्रतिनिधि भी मां से मन्नत मुरादे मान कर विजयी बने पर उनका मां के मन्दिर की ओर ध्यान नहीं गया। स्थानीय ही नहीं जिलेभर के व्यापारी नेता अधिकारी समाजसेवी सभी मां के दर्शन के लिए आते मां से मन्नते मागते परन्तु मां के मन्दिर की ओर किसी का भी ध्यान नही जा रहा है। मां के मन्दिर की रंगाई पुताई हुए वर्षो हो गए दीवारो मे बडी बडी दरारे आ गई हे यदी भक्तो ने समय रहते मन्दिर की चिन्ता नहीं की तो आश्चर्य नही की मनोकामना पूर्ण करने वाली भद्रकाली का यह मन्दिर खंडहर मे बदल जाए।