पेटलावद ब्लास्ट मामला – अब आगे क्या हो सकता है समझे इस पड़ताल में ।

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झाबुआ live डेस्क ” मुकेश परमार” EXCLUSIVE

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पेटलावद ब्लास्ट त्रासदी आज 21 वे दिन मे प्रवेश कर गयी है राजनेताओ ओर नेशनल मीडिया मे भी अब हादसे को जगह मिलनी कम  हो चली है जनाक्रोश अब भी अंदर ही अंदर खदबदा रहा है 21 दिन बाद भी पेटलावद त्रासदी का जिम्मेदार ” राजेंद्र कांसवा” ना जिंदा ओर ना ही मुर्दा एसआईटी को मिला है मगर झाबुआ लाइव इस पड़ताल मे आपको अब वह सारे जांच के स्टेटस ओर भावी तस्वीर बतायेगा जो आपकी जानकारी के लिऐ बेहद जरुरी है ।हम इस पड़ताल मे अलग अलग थ्योरी आपको बताएंगे जो संभव है यह हमारा निजी या पूर्वाग्रह पूण॔ आकलन ना होकर जमीनी हालातो पर आधारित है ।

थ्योरी नंबर -1 – क्या राजेंद्र कांसवा जिंदा है ? 

इसके जवाब मे ज्यादतर लोग कहते है कि वह जिंदा है कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होंने पुलिस को बयान दिया है कि हादसे के बाद उन्होंने उसे आते जाते देखा है तो कुछ मोहनखेडा ओर मेघनगर के रास्ते उसके मुबंई भागने की बात कहते है एसआईटी ओर उसकी पत्नी के ” विधवा एक्सप्रेसन” नही लगते ओर उसका शव भी बरामद नही हुआ है ओर ना ही मिसिंग कंप्लेंन फाइल हुई है इसी थ्योरी के आधार पर शायद एसआईटी ने 10 दिन पहले की प्रेस कांफ्रेंस मे राजेंद्र के जिंदा होने की आशंका जताई थी क्योंकि उस समय ” डीएनए ” रिपोर्ट नही आई थी ।यह थ्योरी नंबर 1 संकेत देती है कि राजेंद्र कांसवा जीवित है ।

थ्योरी नंबर -2 – क्या राजेंद्र कांसवा ब्लास्ट मे मारा गया ? 

यह सबसे अहम सवाल है जो एसआईटी का सिरदर्द बना हुआ है दरअसल अब यह लगने लगा है कि यह संभव है कि वह मारा गया हो । क्योकि जिस मकान मे यह विस्फोट हुआ है उस मकान के मालिक गंगाराम की विधवा ” चंद्रकांता ” के बयान यह संकेत देते है कि कुछ गडबड तो जरुर है चंद्रकांता जिनका परिवार सहित लगभग सब कुछ इस हादसे मे तबाह हो गया कहती है कि उस रोज राजेंद्र की दुकान से कुछ धुंआ निकला जिसकी सुचना राजेंद्र को दी गयी ओर राजेंद्र अपने नोकर विक्रम के साथ आया ओर इस दोरान चंद्रकांता के पति ओर दोनो बहुऐ भी नीचे हालात देखने आ चुके थे ओर दुकान के ठीक सामने ही सभी खडे थे ओर वह ( चंद्रकांता थोडा साइड मे थी बकौल चंद्रकांता –विक्रम ( नौकर) ने यह कहा कि सेठ डर लग रहा है मै अंदर नही जाऊंगा इस पर सेठ ( राजेंद्र ) ने कहा थोडा देखो तो अंदर क्या है ओर कहा कि मै लाइनमैन को बुलवाया हुं चंद्रकांता कहती है कि इसी के साथ धमाका हो गया ओर वह बेहोश हो गयी । उनके दोनो पैर फ्रैक्चर हो गये क्योकि वह साइड मे खडी थी । अब चंद्रकांता कहती है कि उनके पति , दोनो बहुऐ , नोकर विक्रम ; ओर राजेंद्र सेठ ठीक दुकान के सामने थे इस हादसे मे राजेंद्र का शव तो नही मिला लेकिन बाकी के क्षत विक्षत शव बरामद हुऐ थे विक्रम को उसके पजामे से पहचाना गया । जबकि चंद्रकांता के परिजनो के भी टुकडे हो गये थे अब सवाल यह उठता है कि अगर राजेंद्र कांसवा भी मान ले कि मारा गया हो तो उसका शव कहां है । ऐसे मे यह जवाब हो सकता है कि उसका शव बुरी तरह टुकडे हो गया हो ओर अफरा तफरी के बीच उसके शवो के अलग अलग टुकडो को समेटकर कोई अंतिम संस्कार कर चुका हो । क्योकि अभी तक 3 शवों का कोई दावेदार नही आया इसलिए इस आशंका को बल मिलता है । लेकिन हम यहां स्पष्ट करते चले कि यह थ्योरी है अंतिम निष्कर्ष नही है ।

थ्योरी नंबर -3 – अगर जिंदा नही मिला ओर डीएनए  नेगेटिव आई तो क्या ? 

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यह अंतिम थ्योरी है अभी तक एसआईटी को ऐसा कोई सबूत नही मिला है जो राजेंद्र कांसवा को जिंदा या मुर्दा घोषित करता है ऐसे मे एसआईटी आखिर आगे क्या करेगी ? अभी तक उसका देश प्रदेश मे ना तो कोई काल डिटेल मिली है ओर ना ही कोई सीसीटीवी फुटेज मिला है उसके 300 से अधिक करीबीयो ओर रिश्तेदारो के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर बताऐ जाते है मगर कोई संकेत नही है हर संभावित ठिकाने पर उसे तलाशा जा चुका है बडा सवाल यह कि यही एसआईटी उसके परिवार ओर भाईयो को पकड लाई तो राजेंद्र के संकेत मिलते तो जरुर पकड़ी क्योकि सीएम का दबाव पुलिस पर है इसलिए राजनीतिक दबाव की बात बेमानी ओर काल्पनिक लगती है अब दूसरा सवाल अगर मर चुका है तो पेंच यहा फंसता दिखाई दे रहा है कि कानून तभी मृत मानता है जब उसकी बाडी मिले ? अब अगर उसका अंतिम संस्कार कोई उसके चीथड़ों को अपना समझकर कर चुका होगा तो उसे मृत कैसे घोषित करेंगे ? ओर डीएनए नेगेटिव आ गया तो पुलिस उन तीन अज्ञात शवों को डिसमेंटल कर देगी ओर उसे जिंदा मानकर ही तलाश जारी रखेगी । लेकिन लंबे समय तक हवा मे तीर चलाना बुद्धिमानी की बात नही होगी । मतलब साफ है यह थ्योरी स्पष्ट संकेत देती है कि राजेंद्र कांसवा को अब शायद ना मृत घोषित किया जायेगा ओर ना जिंदा मानकर व्यवहार किया जायेगा ।ओर यह संभव है कि आने वाले दिनो मे एसआईटी से यह जांच लेकिन सीआईडी को सोंप दी जाये ओर ईनाम की राशि बढा दी जाये ताकी बडी एजेंसी नये सिरे से मामले की जांच करे ।

 

 

 

 

 

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