अंतिम रेल बजट से अच्छे दिन की उम्मीद या कालेधन की तरह यह भी होगा चुनावी जुमला, स्पेशल रिपोर्ट

0

झाबुआ आजतक डेस्क स्पेशल रिपोर्टः 26 फरवरी को रेल बजट पेश हो रहा है। यह रेल बजट आजाद भारत का आखिरी रेल बजट साबित हो सकता है। इसके बाद सरकार की मंशा है कि हर साल आम बजट में ही रेल बजट को शामिल किया जाए। ऐसे में इस आखिरी रेल बजट से पूरे देश के साथ खासतौर पर झाबुआ अंचल को बड़ी उम्मीद है कि उनके लिए यह बजट अच्छे दिन लेकर आएगा। ‘झाबुआ आजतक’ की इस स्पेशल रिपोर्ट में जानते है किस तरह यह रेल लाइन इस इलाके के लिए संजीवनी का काम करेगी और कैसे बीजेपी पर अपना वादा पूरा करने का दबाव है। झाबुआ आजतक डेस्क स्पेशल रिपोर्ट। 

8 फरवरी 2008 को स्थानीय हरिभाई की बावड़ी के विशाल मैदान में उपस्थित हजारों लोगों के बीच प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने दाहोद-इंदौर (मक्सी गोधरा) की 210 किलोमीटर रेलवे लाइन की परियोजना के लिए शिलान्यास किया था। कहा गया था कि 2011 तक तीन वर्षों में इस योजना को पूरा कर क्षेत्रवासियों को रेलवे की सौगात दे दी जाएगी। शिलान्यास के दौरान इस योजना का बजट 678.56 करोड़ आँका गया था। तीन साल और 10 महीने बीत जाने के बाद भी योजना को गति नहीं मिल पाई है। मामला सर्वे के बाद अधिग्रहण प्रस्ताव तक ही सिमट कर रह गया है। अधिग्रहण के प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे जा चुके हैं। वहाँ से अब तक हरी झंडी नहीं मिल पाई है। वर्तमान में योजना की लागत बढ़कर 1740 करोड़ की हो चुकी है।

8 फरवरी 2008 को झाबुआ में इंदौर-दाहोद एवं छोटा उदयपुर धार रेल परियोजना का शिलान्यास देश के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह , तत्कालीन रेल मंत्री लालूप्रसाद यादव, मध्यप्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल बलराम जाखड़ आदि ने किया था। प्रधानमंत्री ने उपस्थित हजारों लोगों के बीच घोषणा की थी कि सन्‌ 2011 तक यह योजना पूरी तरह मूर्त रूप ले लेगी और क्षेत्र में रेल दौड़ने लगेगी। क्षेत्र का विकास होगा तो आदिवासियों का पलायन भी रुकेगा।

PM Manmohan Singh Jhabua Indore Dahod Rail Line
प्रधानमंत्री की घोषणा के समय इंदौर-दाहोद रेल परियोजना की लागत 678.56 करोड़ रुपए बताई गई थी, जो बढ़कर 1740 करोड़ रुपए हो गई है। अब यह तो हुई कांग्रेस की बात। कांग्रेस को चुनाव में इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी और सांसद रहते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को यहां लाने वाले कांतिलाल भूरिया को इस लोकसभा चुनाव में मुंह की खानी पड़ी। बीजेपी ने चुनाव में इस मुद्दे पर भूरिया और कांग्रेस पर जमकर तंज कसा। उस वक्त पीएम उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी से लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान हर किसी की जुबां पर रेलवे लाइन का मुद्दा था।

मोदी ने विधानसभा चुनाव के पहले इंदौर में हुई एक सभा में कहा था, “25 तारीख को आपकों कमल के चुनाव चिंह पर बटन दबाकर शिवराज के हाथ को मजबूत करना हैं। यकीन मानिए 200 दिन के बाद केंद्र में भाजपा वापस आ रही हैं, और मध्यप्रदेश की जनता के दोनों हाथों में लड्डू होंगे। मोदी ने कहा कि गुजरात ओर मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार हैं। इसीलिए दाहोद और इंदौर रेलवे लाइन पूरी करना तो दूर नक्शा तक भी नहीं बनाया गया हैं। जबकि इसका शिलान्यास 2008 में कांग्रेस के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था।”

अब जरा सीएम शिवराज सिंह चौहान ने यहां अपने भाषण में क्या वादा किया था, ‘चौहान ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया के गृह जिला मुख्यालय और गुजरात की सीमा से सटे झाबुआ में ‘आओ बनाए अपना मध्यप्रदेश’ अभियान की शुरूआत करते हुए एक जनसभा को संबोधित किया। चौहान ने केंद्र सरकार पर भाजपा, शासित राज्यों के साथ भेदभाव बरतने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब इस दल को आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी करनी की कीमत चुकाना होगी। उन्होंने लोगों से कांग्रेस को पराजित करके मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का आह्वान किया।

चौहान ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार वादे भी नहीं निभाती है1 इसका एक प्रमाण इस अंचल की इंदौर-दाहोद रेल लाइन परियोजना भी है उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने डॉ मनमोहन सिंह इंदौर, दाहोद रेल लाइन की आधारशिला रखी थी लेकिन आज तक रेल पटरी नहीं बिछ पाई है। इससे इस अंचल का विकास रूका हुआ है। उन्होंने कहा केंद्र में मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने पर इस प्रदेश का विकास और तेज गति से किया जा सकता है।

अब जब बीजेपी के मुताबिक 16 मई 2014 को अच्छे दिन आ गए इस अंचल की सेहत में कोई बदलाव नहीं आया। चुनाव के पहले जिस रेल लाइन को लेकर तंज कसे जा रहे थे वह जुमला बनकर रह गए। पूरक बजट में केवल 58 करोड़ का आवंटन किया गया जो ऊंट के मुंह में जीरे की तरह है। ऐसे में अब इस बजट में बीजेपी नेताओं पर भारी दबाव है कि इस रेल लाइन के लिए जरूरी प्रावधान बजट में किया जाए।

उम्मीद इसलिए भी है क्योंकि यह रेल लाइन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के लोकसभा क्षेत्र से लेकर पीएम नरेन्द्र मोदी के गृह राज्य को जोड़ेगी। ऐसे में अच्छे दिन की उम्मीद की जा रही है लेकिन मन में आशंका है कि कही अकाउंट में 15 लाख रूपए की तरह यह भी चुनावी जुमला ने साबित हो जाए।

Leave A Reply

Your email address will not be published.