सात दिवसीय भागवत कथा का समापन हुआ, सैकड़ो श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण कर लिया धर्म लाभ

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भूपेंद्र नायक, पिटोल

पिटोल के समीप ग्राम कालिया के नायक बस्ती में कैलाश एवं दिनेश घोती परिवार द्वारा अपने पितरों को मोक्ष के लिए भागवत कथा का आयोजन किया। भागवत कथा को देवास के भागवत कथाकार 17 वर्षीय पंडित अमन आदित्य के श्री मुख से सात दिन तक भागवत संगीतमय भागवत कथा का आयोजन किया गया। किशोरावस्था के पंडित अमन आदित्य द्वारा भागवत को बहुत ही सरल एवं सरल तरीके से उनका वर्णन किया गया। 

पंडित अमन के अनुसार भागवत कथा का सार यह है  शादी उसी कथा में भागवत कथा में जितने भी अध्याय में कृष्ण जन्म रुक्मणी विवाह सुदामा कृष्ण मिलाप आदि का वर्णन बड़ी मार्मिकता के साथ किया गया कथाकार पंडित द्वारा किया गया। उन्होंने कहा श्रीमद्भागवतम् पुराण या कथा हिन्दुओं के सबसे प्रसिद्ध अट्ठारह पुराणों में से एक है। इस पुराण में भगवान् श्री कृष्ण को सभी देवों में श्रेष्ठ माना गया है। श्रीमद्भागवतम् पुराण के रचयिता श्री वेद व्यास को माना जाता है।   श्रीमद्भागवत कथा सर्व प्रथम भगवान शुकदेव जी द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाया गया था। इस पुराण में साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ श्रीमद् भागवत कथा में ज्ञान, भक्ति, तथा वैराग्य की महानता  है। इस पुराण में विष्णु और कृष्णावतार की कथाओं के सम्पूर्ण ज्ञान। श्रीमद् भागवत पुराण में विद्या का अक्षय भंडार है।उन्होंने कहा कि अगर आप धर्म मार्ग पर हैं तो परमात्मा निश्चित ही आप पर कृपा करेंगे और आपका कल्याण होगा। उन्होंने कहा है कि श्रीमद्भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटा कर उसके मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है।  श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान का वह भण्डार है, जिसमें सभी ग्रंथों का सार निहित है।    मानवमात्र को जीवन की सच्ची राह दिखाने वाले और पंचम वेद कहे जाने वाले श्रीमद्भागवत का श्रवण करने  से ही मानव संस्कृति के लिए श्रीमद्भागवत से  संस्कृति समृद्ध होती है

पंडित अमन आदित्य ने कहा  कि भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि अर्जुन सफलता और असफलता की आशक्ति को त्याग कर सम्पूर्ण भाव से समभाव होकर अपने कर्म करो।  आज हम सभी ने समता भावना के मार्ग पर चल कर विश्व को समभाव का संदेश देना है। श्रीमद्भागवत ही एक पुराण है, जिसे जीवन में अपनाकर प्राणी मात्र का कल्याण सम्भव है। यही भगवतस्वरूप का अनुभव कराने वाला और समस्त वेदों का सार है। संसार में फंसे हुए जो लोग इस घोर अज्ञान रूपी अन्धकार से पार पाना चाहते हैं उनके लिए आध्यात्मिक तत्वों को प्रकाशित कराने वाला यह एक अद्वितीय दीपक है।

जहां भगवान का नाम नियमित रूप से लिया जाता है, वहां सुख, समृद्धि व शांति बनी रहती है। जीवन को कर्मशील बनाने के लिए श्रीमदभागवत कथा का श्रवण करना जरूरी है।  भागवत श्रवण से मनुष्य को परम आनन्द की प्राप्ति होती है। भागवत श्रवण मनुष्य को भक्ति की ओर अग्रसर करती है। मनुष्य जब अच्छे कर्मों के लिए आगे बढ़ता है तो सृष्टि की सारी शक्ति समाहित होकर मनुष्य को और शक्तिशाली बनाती हैै और सारे कार्य सफल होते हैं। व्यक्ति को सांसारिक भौतिक सुखों का त्याग कर ईश्वर का भजन करना चाहिए। ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो, भगवान की लीला का कोई पार नहीं है। यही भागवत का सार है। भागवत में शरीर को आत्मा का वस्त्र कहा गया है। जीव चेतन स्वरूपी है, इसीलिए उसे बहते पानी की तरह होना चाहिए।, जिसमें योग और अध्यात्म को स्थान दिया गया है। जब अध्यात्म और नैतिक व संवैधानिक मूल्यों आध्यात्म और भारतीय मूल्यों का हमारी युवा पीढ़ी को ज्ञान होगा तो देश में भ्रष्टाचार, व्यभिचार के साथ-साथ सामाजिक कुरीतियों का खात्मा होगा और एक आदर्श समाज की स्थापना होगी।   श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव का आयोजन मैं सर्व समाज के लोग के साथ नायक समाज के लोग संपूर्ण रमभापुर क्षेत्र  एवं गुजरात के कई गांव के नायक समाज के लोगों ने  कथा का श्रवण किया कथा के अंतिम दिन भागवत कथा समापन के बाद भागवत पोथी को सर पर शिरोधार्य कर भव्य जुलूस निकाला गया एवं आयोजक परिवार द्वारा महा प्रसादी भंडारे का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम का सात दिवस का संचालन रमभापुर के विक्रम नायक द्वारा किया गया।

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