अलिराजपुर जिले के पूर्व बीएमओ डॉ गीत वर्मा के पिता पर झूठी शिकायत करने पर हुई बड़ी कार्रवाई

अलिराजपुर जिले के पूर्व बीएमओ डॉ गीत वर्मा के पिता पर झूटी शिकायत करने पर बड़ी कार्रवाई हुई है। सेंधवा एसडीएम को दंडित किया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सेंधवा – जिला बड़वानी एसडीएम सेंधवा अभिषेक सराफ के दिनांक 20/21.02.2023 के पत्रादेश को रद्द करते हुए म.प्र उच्च न्यायालय के न्यामूर्ति विवेक रूसिया की एकल न्यायाधीशपीठ ने कानून के दायरे से परे कार्यवाही कर सेवानिवृत्त पूर्व प्राचार्य डॉ. अशोक वर्मा व उनकी पत्नी को जानभूझकर परेशान करने के लिए एसडीएम सेंधवा अभिषेक सराफ व शहर निवासी शिकायतकर्ता परीक्षित पिता रमेशचंद्र शर्मा पर संयुक्त रूप से 2 लाख रुपये का जुर्माना ठोका है। यह फाइन याचिकाकर्ता डॉ वर्मा को देय है व एसडीएम सेंधवा अभिषेक सराफ और परीक्षित पिता रमेशचंद्र शर्मा दोनों इसका वहन करेंगे । कलेक्टर बड़वानी को इस कॉस्ट रिकवरी के परिपालन हेतु निर्देशित किया गया है।

ज्ञातव्य होवे की प्राचार्य शासकीय महाविद्यालय सेंधवा को प्रेषित किये गए इस पत्रादेश पर अप्रैल 2023 में ही माननीय उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी तभी से मामले की सुनवाई न्यायालय में चल रही थी । एसडीएम सेंधवा के तानाशाह रवैये व मनमानी से व्यथित होकर पूर्व प्राचार्य डॉ. अशोक वर्मा ने म.प्र हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय द्वारा उचित सुनवाई कर उक्त शिकायत निराधार व बदनीयती से की जाना पायी गई है।

प्रकरण 2020 का है जिसमे सेवानिवृत्त पूर्व प्राचार्य डॉ. अशोक वर्मा व उनकी पत्नी निर्मला वर्मा की झूठी शिकायत कर अनुपयुक्त निवास प्रमाणक बनाकर श्रीमती वर्मा द्वारा शहर के निजी महाविद्यालय में बी.एड पाठ्यक्रम में उसके आधार पर प्रवेश लेकर अवैध लाभ लेने के निराधार आरोप लगाए गए थे। उक्त शिकायत को संज्ञान में लेते हुए पुलिस व उच्च शिक्षा विभाग द्वारा उचित जांच की गयी इसके उपरांत शिकायत के समस्त बिंदु निराधार, असत्य व भ्रामक पाए गए थे। इस सम्बन्ध में कोई अपराध, अनुचित लाभ लेना या जालसाजी होना नहीं पाया गया था।

डॉ अशोक वर्मा न ही एसडीएम के अधीनस्थ थे और न ही उनके विभाग के कर्मचारी थे इसके बावजूद भी तत्कालीन व वर्तमान एसडीएम सेंधवा ने अपनी अधिकारिता के परिक्षेत्र को लांघते हुए नियमों के विरुद्ध तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया व जांच के नाम पर वरिष्ठ नागरिक डॉ वर्मा जी व उनकी पत्नी को परेशान करते रहे।

परीक्षित पिता रमेशचंद्र शर्मा की इस फर्जी शिकायत व सेंधवा एसडीएम अभिषेक सराफ की अनुचित कार्यवाही की पोल खोलते हुए माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के कुछ प्रमुख बिंदु :

1. कोर्ट ने माना याचिकाकर्ता द्वारा निवास प्रमाणक कोई भी अनुचित लाभ लेने हेतु नहीं तैयार किया गया था। न ही डॉ वर्माजी या उनकी पत्नी द्वारा कोई गलत / झूठी घोषणा दी गई थी और न ही उनका ऐसा कोई इरादा था। इसके परे भी श्रीमती निर्मला वर्मा मध्य प्रदेश की मूल निवासी है।

2. यह तथाकथित प्रमाणक पत्र वैध न होता तो अभ्यर्थी के कॉलेज प्रवेश के समय पर ही सक्षम प्राधिकारी कॉउंसलिंग के दौरान ही इसे अस्वीकार कर देते व एडमिशन नहीं देते।

3. एसडीएम सेंधवा ने प्रकरण के तथ्यों को अनदेखा कर कोर्ट में जवाब दायर करते हुए डॉ वर्मा जी द्वारा शासकीय महाविद्यालय के लेटर पैड पर बिना किसी अधिकार के मूल निवासी प्रमाण पत्र जारी करने की बात कही। वहीं शिकायत में उल्लेखित प्रमाणक पत्र केवल श्रीमती निर्मला वर्मा के डॉ अशोक वर्मा की पत्नी होना व उनके साथ में निवास करने की पुष्टि करता है। कोर्ट ने इस विषय पर माना की याचिकाकर्ता डॉ अशोक वर्मा द्वारा एसडीएम के अधिकारों को हड़पने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। एसडीएम सेंधवा को बी.एड पाठ्यक्रम में प्रवेश से सम्बंधित मामले की जांच करने का अधिकार नहीं था।

4. आरटीआई कार्यकर्ता के नाम पर परीक्षित पिता रमेशचंद्र शर्मा ने बदनीयती से अनावश्यक परेशान करने का षड़यंत्र रचा जिसमे सेंधवा एसडीएम अभिषेक सराफ ने क़ानून के दायरे से बहार जाकर अनुचित कार्यवाही कर उसका पूर्ण समर्थन किया। यह और कुछ नहीं बल्कि SDM की शक्ति व अधिकार के दुरूपयोग की पराकाष्ठा है।

5. इस विषय में कोर्ट ने राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को एसडीएम सेंधवा की लापरवाही व कदाचरण की जांच करने व आवश्यकता होने पर एसडीएम के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने को भी कहा है।

डॉ अशोक वर्मा से बात करने पर उन्होंने बताया की अपने सम्पूर्ण सेवाकाल में पूर्ण निष्ठा, ईमानदारी व बेदाग छवि के साथ गर्व से शासकीय सेवा, छात्रहित में मार्गदर्शन व अध्यन-अध्यापन का कार्य करते रहे हैं परन्तु शहर निवासी परीक्षित पिता रमेशचंद्र शर्मा विघ्नसंतोषी प्रवत्ति व व्यक्तिगत द्वेष रखते हुए अधिकारीगण बदलने पर दस्तावेजों की कलाकारी व साजिश कर बार-बार बोगस/अनर्गल शिकायतें कर मुझे व मेरे परिवार को परेशान व बदनाम करता रहता है। डॉ अशोक वर्मा व श्रीमती निर्मला वर्मा ने बताया की एसडीएम सेंधवा की सम्पूर्ण जांच में अनुचित और अन्यायपूर्ण कार्रवाई से उन्हें अत्यंत मानसिक प्रताड़ना पहुंची है। एसडीएम सेंधवा यही नहीं रुके – नियम विरुद्ध अनुचित आदेश निकालकर उन्होंने सम्पूर्ण प्रक्रिया का पालन कर लिए गए श्रीमती निर्मला वर्मा के बी.एड के प्रवेश को भी निजी महाविद्यालय से निरस्त करवा दिया। आश्चर्य की बात तो यह है की इतने काबिल अधिकारी फर्जी शिकायतें व पेपरबाजी के चलते दबाव में आ रहे है।

डॉ अशोक वर्मा व श्रीमती निर्मला वर्मा माननीय उच्च न्यायालय के इस सम्मानजनक न्यायसंगत फैसले का स्वागत करते है एवं हर्षित है। उन्होंने कहा सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। इस तरह की फर्जी शिकायत व अवैध काम कर अधिकारियों व कोर्ट को गुमराह कर समय-श्रम व्यर्थ करने वाले फर्जी आरटीआई कार्यकर्ताओं पर प्रकरण दर्ज कर ठोस कार्यवाही की जाना चाहिए।

उक्त प्रकरण में याचिकाकर्ता डॉ अशोक वर्मा की ओर से अधिवक्ता श्री एल.सी पटने ने पैरवी की। शिकायतकर्ता परीक्षित को नोटिस तामील होने पर भी उसने कोई जवाब नहीं दिया।

यह भी जानने योग्य है की परीक्षित पिता रमेशचंद्र शर्मा की पूर्व में भी दलित मोची को जातिसूचक शब्द बोल उसका शोषण करने, शासकीय भूमि पर स्थायी-अस्थायी अतिक्रमण कर दादागिरी करने व अन्य शिकायतें की थी परन्तु पीड़ित को धमकाकर एवं कार्यवाही करने वालो से लेन देन कर उक्त मामलों को भी इसने दबा दिया था ।

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