पर्युषण पर्व में हो रही धर्म आराधनाएं

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bbझाबुआ लाइव के लिए बामनिया से लोकेंद्र चाणोदिया की रिपोर्ट-
नगर में विराजित साध्वी रत्नत्रयाश्रीजी व तत्वत्रयाश्रीजी के सानिध्य में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के दौरान प्रतिदिन विभन्न सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजन की धूम है, जिसके अंर्तगत तप-आरधना, जप आरधना, कल्पसूत्र वाचन व धार्मिक नाटक की प्रस्तुतियां स्थानीय श्रावक-श्राविकाओं द्वारा दी जा रही है। पर्युषण पर्व के तीसरे दिन बुधवार को साध्वीद्वय के सानिध्य में ढोल-ढमाकों के साथ पौथाजी कल्पसूत्र का जुलस गुरू मंदिर से प्रांरभ हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हुए। जुलूस नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए रमेशचंद्र मेहता के निवास पर पहुंचा, जहां जुलूस का समापन हुआ और साध्वीजी ने सभी को मांगलिक श्रवण करवाई। उक्त आयोजन का लाभ नाकोड़ा आशीर्वाद बामनिया ने लिया।
पापों को बय करने का मार्ग है पर्युषण
साध्वी रत्नत्रयाश्रीजी ने कहा कि पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के दौरान धर्म-आरधना से जुड़कर पापों का बय करे, जिस प्रकार घर में मेहमान आते है तो हम तोरण बांधते है, उसी प्रकार पर्युषण पर्व के दौरान हमे तप का तोरण बांधना है. हमें इस भव में तन को तप में, धन को दान में, समय को धर्म में लगाकर अपना मानव जीवन सफल बनाना है। साध्वी तत्वत्रयाश्रीजी ने कहा कि वर्तमान में हम दो प्रकार के पर्व मनाते हैं जिसमें लौकिक पर्व व लौकोत्तर पर्व, भय व लोभ के कारण हम जो पर्व मनाते है उसके लौकिक पर्व कहा जाता है और जो पर्व हम अपने भव को सुधारने के लिए मनाते है उसे लौकोत्तर पर्व कहा गया है। ऐसे ही महापर्व हमारे आगम में आया हैं जिसमें हमें हमारी आत्मारूपी कर्मबल को घिसना है। हमारा धर्म अहिंसा परमों धर्म है, हम उससे दूर होते जा रहे है, बिना नींव के मकान टीक नहीं सकता उसी प्रकार दया और करूणा नहीं है तो हमारा जीवन भी निसफल है।
जंबूस्वामी के संयम का नाट्य रूपातंरण
साध्वीद्वय की निश्रा में सांध्य भक्ति में जंबू स्वामी के संयम का नाटक के रूंपातरण किया गया, जिसमें जंबूस्वामी का 8 रानियों से विवाह होने के बाद भी पहले दिन जंबूस्वामी द्वारा संयम पथ (दीबा) पर अग्रसर होते हुए सभी रानियों व 547 डाकुओं को भी संयम पथ पर ले गए।