भगवान किसी भक्त की सुंदरता, धन, वैभव व पद प्रतिष्ठा नहीं देखता वह तो अपने भक्त के भाव देखता है : गोपाल कृष्ण महाराज
आरिफ हुसैन, चंद्रशेखर आजाद नगर
कथा का अंतिम दिन चिंतन का दिन हैं कि भगवान व भक्त की कथा सुनकर अपने अंदर हमने कितना उतारा हैं| भगवान किसी भक्त की सुंदरता,धन-वैभव,पद-प्रतिष्ठा नहीं देखते|भगवान तो भक्त के भाव देखते हैं न कि धन वैभव,पद प्रतिष्ठा|प्रसंगवश महाराजश्री ने बताया कि नगर की यह कथा अद्भूत कथा हैं मैंने देखा हैं अधिक से अधिक जगह कथा का आयोजन धन के प्रभाव में हुई लेकिन चंद्रशेखर आजाद नगर की कथा मन के प्रभाव की कथा हैं| देश भर के 27 प्रातों में अभी तक 689 कथा की लेकिन पहला अवसर हैं जब मात्र तीन माह के अंतर में नगर में दूसरी कथा का आयोजन हो रहा हैं|नगर की धर्मप्रेमी सनातनी बधाई के पात्र हैं|

महाराज श्री ने “नानीबाई का मायरो” कथा के अंतिम पांचवे दिन की कथा कहते हुवे कहाकि रिश्तेदार इसलिये बनाएं जाते ताकि मुसीबत में वे एक दूसरे का साथ दे लेकिन नरसिंह जी की स्थिति देख हमें सबक लेना चाहिए|रिश्तेदार ऐसे ही बनाएं जो विपत्ति में हमेशा साथ दे|सत्य परेशान हो सकता हैं पराजित नहीं होता|नरसिंहजी का भगवान कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम के चलते भगवान कृष्ण ने अंततः नरसिंह महाराज की नातिन का मायरा केवल रंगजी के परिवार के लिये ही नहीं पूरे गांव के लिये किया| यह सब देख रंगजी व उसका परिवार नरसिंह जी के हाथ जोड़ने लग गये व माफी मांगते हैं और आगे के लिये क्षमा मांगने लगे| दूसरी ओर नानीबाई अपने पिता को मायरे को लेकर कहे शब्दों को लेकर शर्मिन्दा हैं| गुरूजी ने कहा कि जीवन में व्यक्ति को किसी को कुछ गलत बोलने से पहले सोच ले कहीं वह वक्त के साथ दौबारा मिलने पर ग्लानि न हो| वास्तविक रिश्तेदार वह हैं जो कभी किसी को एक दूसरे के आगे झुकने न दे|अंततः जब नरसिंहजी व भगवान कृष्ण मायरा कर लौटने लगे तो रंगजी व उनके परिवार ने बार बार माफी मांगी उनसे रूकने का आग्रह किया लेकिन दोनों ही अपने धाम लौट गये|

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