Covid -19 महामारी के बीच पोतों ने लव -कुश बनकर करवाया पारणा

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 राज सरतालिया@पारा

जैन धर्म की मान्यतानुसार प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव को अयोध्या नगरी में दीक्षा के बाद विहार के दौरान लगातार 400 दिनों तक खाने में भोजन नहीं मिल पाया था। दीक्षा के पूर्व एक राजा होने के कारण वे जहां जाते लोग उन्हे सोना, चांदी, हीरे और माणिक देते थे।लेकिन उन्हें कोई भोजन नहीं दे पाया। इसके बाद हस्तिनापुर जाने पर उनके पड़पोते राजा श्रेयांश ने उन्हें आखातीज के दिन इक्षु रस से पारणा करवाया था। इसी तरह यह तपस्या के रूप में प्रचलित हो गई। पारा में भी लगातार 2 वर्षीतप पूर्ण कर जैन समाज की श्राविका निर्मला अमृतलाल जैन को रविवार आखातीज पर उनके पोतों अग्रिम तथा प्रथम ने इक्षु (गन्ने) रस से पारणा करवाया। परिजनों ने बताया कि लॉक डाउन के चलते निज निवास पर ही पारणा करवाया गया।
निर्मला जैन ने बताया कि आज होने वाला ये पारणा पुण्य सम्राट के पट्टधर वर्तमानाचार्य नित्यसेनसुरीश्वर की निश्रा में विधायक चेतन्य काश्यप द्वारा सामुहिक रूप से रतलाम शहर में करवाये जाने थे। लॉक डाउन के कारण उन्होंने पूज्य गुरुदेव की फोन द्वारा मांगलिक सुन कर सर्व प्रथम अपने पोतों द्वारा पारणा किया।

कैसे आया लव-कुश का आइडिया

परिवार की बहू पलक तथा कोमल जैन ने बताया कि लॉक डाउन परिवार के साथ वे भी प्रतिदिन रामायण देख रही थी इस दौरान सीरियल में लव- कुश का रूप देख कर उन्हें ये आइडिया आया कि जिस प्रकार भगवान को उनके पड़पोते राजा श्रेयांश ने पारणा करवाया ठीक उसी तरह दो पोतों को लव-कुश के रूप में सजा कर दादी का पारणा करवाया जाए।

परिवार हुआ वीडियो कॉन्फ्रेंस में शामिल

परिवार के सदस्य विभाष जैन ने बताया कि लॉक डाउन के कारण इतनी उग्र तपस्या के बाद भी हम परिवार को आमंत्रित नहीं कर सकते थे ऐसे में हमने पूरे परिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मम्मी का पारणा करते दिखाया।

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