5 दिवस पर पर्यावरण दिवस विशेष : कोविड-19 काल में पर्यावरण हुआ स्वच्छ

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पीयूष चन्देल, अलीराजपुर
प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं, फिर भी हम इतने सजग जागरूक नहीं हो पाते, वापिस हम विपरीत पुरानी राहों पर चल पड़ते हैं। लेकिन इस वर्ष कोरोना ने हमें साफ-साफ तौर पर बता दिया है, कि पर्यावरण को दूषित करने वाले और कोई नहीं है, हम लोग खुद हैं। लॉक डाउन के दौरान आसमान साफ दिखाई देने लगे, नदियों का पानी स्वच्छ होने लगा, हिमालय की चोटियां दूर से दिखाई देने लगी, प्रकृति वातावरण में अपने ढंग से सृजन करने लगी। कई शहरों की हवा की शुद्धता ऐसी रही जैसे शिमला कुल्लू जैसे स्टेशनों की होती है ।लोगों ने बेहतर पर्यावरण के महत्व को सीधे तौर पर महसूस किया। करोना के वरदान के कारण पर्यावरण में अच्छे बदलाव दिखाई दिए। यह विचार ब्रह्मकुमारी सेवा केंद्र की संचालिका ब्रह्मकुमारी माधुरी बहन ने विश्व पर्यावरण दिवस पर दीपा की चौकी में स्थित ब्रह्मकुमारी के सभागृह में संबोधित करते हुए बताया। इस अवसर पर इंदौर से पधारे धार्मिक प्रभाग के राष्ट्रीय कार्यकारी संयोजक ब्रह्मकुमार नारायण भाई ने बताया कि प्रकृति को वरदानी इसीलिए कहा गया कि परमात्मा का दिया हुआ अनुपम उपहार है, जिसकी वास्तविक अनुभूति करने के लिए प्रकृति के साथ समय बिताना व तालमेल बनाए रखना अनिवार्य है। जितना प्रकृति के सानिध्य में रहेंगे आत्मा उतना ही संतोषप्रद बनती जाती है। जितना आत्मा संतोषप्रद बनती है, उतना ही प्रकृति भी अपनी उन्नत अवस्था को प्राप्त करती है। भारत में गायन है, सुजलाम सुफलाम मलयज शीतलाम। ऐसे सतो प्रदान प्रकृति को बनाने के लिए मनुष्य आत्मा को पावन बनना होगा। सृष्टि के आदि में आत्मा जब सतो प्रधान अवस्था में थी, भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। हर देश की अपनी संस्कृति होती है, वैसे ही भारत की अपनी एक संस्कृति है, जो कि आध्यात्मिक है। इसीलिए सदियों से भारत में प्रकृति की हम पूजा करते आए हैं। प्राचीन भारत में प्रकृति पेड़-पौधों नदियों पर्वतों पर्यावरण को सदा से ही महत्व देकर संरक्षित किया है। लेकिन जिस प्रकृति को हम पूज रहे हैं, उसे हम आज कलुषित कर रहे हैं। हमें अभी जागृत होना पड़ेगा ताकि जगत के समस्त जीव जंतु को बचाया जा सके एवं पर्यावरण को शुद्ध रखा जा सके।
इस अवसर पर शहर के डॉ. प्रमेय रेवड़ियां जी ने कहा कि सभी के सहयोग से पर्यावरण हेतु रक्तदान स्मृति वन विकसित किया गया जो पहले बंजर था, और सभी के सहयोग से इसको डेवलप किया। पर्यावरण के प्रति मां एवं संतान का भाव ही विश्व का संरक्षण कर सकता है। जितनी जल्दी हम इसे समझेंगे मानव आनंदमय जीवन को प्राप्त कर सकेगा। इस अवसर पर संतोष थेपड़िया सहयोग संस्थान के फाउंडर व पर्यावरण प्रेमी ने बताया कि शासन प्रशासन के सहयोग से सहयोग गार्डन लिया गया पर्यावरण के लिए। जब हम इस धरती मां पर प्रकृति के संरक्षण में हम पलते पोषते हैं, तो हमारा भी कर्तव्य होता है, पर्यावरण की रक्षा करने के लिए। कार्यक्रम के अंत में सभागृह के सामने गार्डन में सभी ने पौधारोपण किया और संकल्प किया कि हम इस वर्ष पर्यावरण की रक्षा के लिए सप्ताह में एक दिन वाहन का उपयोग नहीं करेंगे तथा हम आसपास अपनी स्वच्छता को बनाए रखेंगे गंदगी नहीं होने देंगे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए समाजसेवी अरुण गहलोत ने कविता की दो लाइन के माध्यम से बताया खुद के संग संग औरो के जीवन को बचाओ, प्रकृति से प्रेम करके तुम स्वर्णिम संसार लाओ। इस कार्यक्रम में समाजसेवी एडवोकेट अनूप शर्मा, सहयोग संस्था के अध्यक्ष दीपक दीक्षित सहयोग संस्था के भूतपूर्व अध्यक्ष कैलाश कमेडिया भी उपस्थित थे।