आदिवासी किसान के बेटे को “शोध उपाधि”, पैतृक गांव में हर्ष

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अजय मोदी, वालपुर

देश के सबसे निरक्षर माने जाने वाले आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले के एक किसान पुत्र ने सरकारी स्कूलों मे पढाई कर पूर्व में न्यायालय में क्लर्क,वाणिज्य सहायक निरीक्षक और वर्तमान में महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक बन “पीएचड़ी” उपाधि प्राप्त कर एक संदेश दिया है कि जहां चाह वही राह..

कहते है जहां चाह वहां राह … जी हा इसी कहावत को चरितार्थ किया है आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले की सोंडवा तहसील के ” वालपुर ” गांव के एक आदिवासी किसान के बेटे ने इस किसान पुत्र द्वारा पहले न्यायालय में क्लर्क,वाणिज्य विभाग में सहायक निरीक्षक पद पर चयनित हो वर्तमान में महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक बन “पीएचड़ी” उपाधि प्राप्त की है । वालपुर गांव के किसान “भुवान सिंह ” के पुत्र धुलसिंह खरत ने यह सफलता हासिल कर अंचल का गोरव बढाया है । सभी जानते है कि आदिवासी अंचल अलीराजपुर शिक्षा के मामले में देश का सबसे निरक्षर जिला माना जाता है लेकिन उसी पिछडे जिले की सरकारी स्कूलों मे पढकर निकले धुलसीह खरत ने एक बार फिर यह मिथक तोडा कि सिर्फ प्राइवेट महंगी स्कूलों के बच्चे ही प्रतियोगिता में सफल होते है । खरत की इस सफलता से उनके पेतृक गांव वालपुर ओर उसके आस – पास के इलाके मे हर्ष का माहोल है। पिता भुवानसिंह तथा माता वानुबाई पुत्र की इस उपलब्धि पर काफी उत्साहित है।

धुलसिंह खरत को पीएच.डी.विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा  समाज विज्ञान संकाय में उनके शोध कार्य ‘पश्चिमी मध्य प्रदेश के संदर्भ में भीलों का 1740 ई. से 1947 ई. तक ऐतिहासिक अध्ययन’ शीर्षक के लिए शोध उपाधि अक्टूबर 2022 को प्रदान की गयी l

डॉ.धुलसिंह खरत ने अपना शोध कार्य डॉ. एस. एल. वरे, प्राचार्य (सेवानिवृत) श्रीकृष्णाजी राव पवार शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय देवास के मार्गदर्शन में पूर्ण किया l इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए माता पिता, धर्मपत्नी, परिवार जनों, एव इष्ट मित्रों ने बधाई तथा उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी l वर्तमान में डॉ. खरत शासकीय आदर्श महाविधालय झाबुआ में सहायक प्राध्यापक (इतिहास) के पद पर पदस्थ हैं l ग्राम वालपुर के पहले व्यक्ति जिन्हे पीएचडी उपाधि प्राप्त हुई ।