राधा कृष्ण मंदिर पर संत रघुवरदास महाराज के श्रीमुख भागवत कथा में बह रही धर्मगंगा

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भूपेंद्रसिंह नायक, पिटोल
पिटोल राधा कृष्ण मंदिर पर विगत छह दिनों से राजस्थान तलवाड़ा से पधारे संत शिरोमणि परम पूज्य गोपालक संत रघुवरदास महाराज के श्रीमुख से भागवत कथा का वाचन चल रहा है जिसमें पिटोल के आसपास के ग्रामीणों के अलावा गुजरात के कठला कतवारा आदि गांव से काफी संख्या में कथा सुनने के लिए माताएं-बहने पिटोल आ रहे हैं। रघुवर दासजी की कथा में झाबुआ जिले के धार्मिक स्थल तपोभूमि पीपल खुटा के संत दयाराम महाराज ने भी कथा श्रवण करने के लिए पिटोल आए कथावाचक संत रघुवरदास कहते हैं कि क्यों भारत विश्व गुरु कहलाता है जीवन जीने के लिए हर परिपेक्ष में व्यक्ति स्वतंत्र हैं परंतु सहजता से जीवन जीने की कला बिना धार्मिक मूल्य को धारण किए नहीं आ सकती है। वर्तमान में लोगों में जातियों में समाजों में असहिष्णुता दया की कमी करुणा मय हृदय का भाव और दूसरे मनुष्यों के हित आदि माननीय मूल्य कम हो गए या लुप्तप्राय हो गए हैं जिस कारण प्रत्येक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का शत्रु बना हुआ है। भागवत कथा इन्हीं मानवीय मूल्यों को सुदृढ़ बनाने का ब्रह्मास्त्र है कथा से हृदय बुद्धि करुणा प्रेम समर्पण शुद्धता मैत्री आदि पुष्पों को मन के बगीचे में पुष्पित करती है। दिल के बाद जब प्रेम का पुष्प खिलता है तब भगवान भंवरे बन कर नित्य मन रूपी बगीचे में ही भ्रमण करते रहते हैं नाना प्रकार के धर्म भारत में हैं और प्रत्येक धर्म की अपनी-अपनी आस्था और विश्वास है इसलिए मनुष्य को चाहिए कि जिस धर्म में हमारा जन्म हुआ है उसी धर्म का पालन करने में मृत्यु हुए स्वधर्म नींद नम श्रेष्ठ पर धर्मों भया वाह गीता जी में भगवान ने यही बात कही कि जो परिवर्तित हो जाता है वह धर्म नहीं कहलाता है और जो जन्म से प्राप्त धर्म का त्याग करता है भला वह दूसरे धर्म का मन से आदर कर पाएगा यह संभव नहीं है। आजकल धन-संपत्ति शिक्षा उपचार सम्मान आदि का लालच देकर कई क्षेत्रों में धर्म परिवर्तन कराए जाने की बात सामने आ रही है भौतिक लालच के कारण धर्म अपनाया जाता है वह आज नहीं तो कल उन्हीं भौतिक वस्तुओं को लेकर त्यागा भी जा सकता है। इसलिए अपने धर्म को मनुष्य को डरता से पकड़कर रहना चाहिए भागवत कथा के सात दिनों में भगवान के अवतारों की कथा है भगवान अपने-अपने अवतार मनुष्य देव पशु-पक्षी आदि योनियों में अलग अलग अवतार में आते हैं। इसका कारण यह है कि कोई भी प्राणी भगवान से दूर ना रहे जैसे भगवान ने मत्स्य अवतार लिया तो सभी जल के जीव भगवान को अपना जाति का मान कर जुड़े इसी तरह जब भगवान नरसिंहए अवतार लिया तो वन्यजीवों को लगा कि भगवान तो हम जैसे वन्यजीव ही हैं जब भगवान ने मनुष्य का अवतार लिया तब हम मनुष्य को लगा कि भगवान हमारे जैसे मनुष्य ही है प्रत्येक प्राणी भगवान के निकट जाकर उनसे अपने अपनों सा प्रेम करे इसलिए 7 दिनों में प्रभु के प्रमुख 24 अवतार का कथा में वर्णन किया जाता है श्री रघुवर दास जी का त्रिपुरा सुंदरी रोड राजस्थान के तलवाड़ा में 258 गायों की बहुत बड़ी गौशाला है जिसमें महाराज श्री द्वारा राजस्थान में उदयपुर संभाग में 100 से अधिक गौ संवर्धन केमपो का आयोजन किया जाता है महाराज श्री का संकल्प है कि वागड़ क्षेत्र को वृंदावन धाम बनाना है प्रत्येक किसान को गो आधारित कृषि करने के लिए प्रेरित करना अगर झाबुआ प्रशासन द्वारा सरकारी जमीन उपलब्ध करवाता है तो यहां भी बड़ी गौशाला खोलने का संकल्प है और प्रत्येक गांव में गोचर की भूमि उपलब्ध हो जाए प्रत्येक जिला स्तर पर एक गो अभ्यारण बनाया जाए ऐसा संकल्प रघुवर दास जी ने गौ सेवा के लिए ले रखा है शासन को प्रशासन को इस कार्य हेतु विचार करना चाहिए।
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