राजनीति हलचल: नगर परिषद पेटलावद; भाजपा और निर्दलियों की प्रतिष्ठा लगी दांव पर..जीतेंगे-हारेंगे या हराएंगे ….

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दिनेश वर्मा@झाबुआ
झाबुआ जिले की नगर परिषद पेटलावद में होने वाले पार्षद चुनाव अब काफी दिलचस्प हो गए है। समस्याओं से जकड़े शहर को निजात दिलाने के लिए कर्मठ एवं जुझारु जनप्रतिनिधियों की आवश्यकता है। जलजमाव पेयजल गंदगी एवं जर्जर सडक़ें कदम कदम पर आप लोगों के धैर्य की परीक्षा ले रही हैं। सुस्त एवं जनता की अपेक्षाओं की अनदेखी करने वाले पार्षदों से पिंड छुड़ाने के लिए जनता भी आतुर है।
यही कारण है कि नगर निकाय का यह चुनाव अन्य चुनावों से अलग होने के संकेत मिल रहे हैं। चुनाव में मतदान का समय जैसे जैसे करीब आ रहा है, वैसे-वैसे समस्याओं के निदान के लिए पार्षद के घर का चक्कर लगाने वाली जनता के घर अब अपना काला मुंह लेकर कुछ पुराने पार्षद निर्दलीय उम्मीदवार की चहलकदमी बढ़ गई है।
पेटलावद के कई वार्ड के लोगों का कहना था कि योग्य उम्मीदवार के अभाव में लोग जैसे-तैसे को चुन लेते हैं नतीजा 5 साल तक वार्ड का विकास अवरुद्ध हो जाता है। इससे न केवल वार्ड में समस्या बढ़ जाती है बल्कि शहर का विकास भी थम जाता है। उन्होंने बताया कि शिक्षित एवं युवा पार्षद विकास कार्य को आगे बढ़ा सकता है। इसलिए इस बार पुराने चेहरों पर जनता कम भरोसा कर रही है।
लोगों ने बताया कि चुनाव के समय ही पार्षद वोट मांगने के लिए आते है और उसके बाद यहां के लोगों की समस्याओं के बारे में सुध लेना भी उचित नहीं समझते। हर प्रकार की समस्याओं का सामना वार्ड वासियों का करना पड़ रहा है। अब भी कई लोग चुनावों को लेकर वार्ड में सक्रिय हैं, लेकिन उनमें से योग्य उम्मीदवार को वोट दिया जाएगा, जो वार्ड में विकास करवाएगा उसी को चुना जाएगा।
5 सालो में क्या किया खुद आकलन करे पूर्व पार्षद:
इस बार चुनाव में कुछ पूर्व पार्षद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में खड़े है, लेकिन हम उनसे यह कहना चाहते है कि 5 साल पहले आपको जनता ने अपने वार्ड का प्रतिनिधि बनाकर नगर परिषद में भेजा था, कि कुछ भी गलत हुआ तो हमारे प्रतिनिधि आवाज बुलंद करेंगे, लेकिन पूरे 5 सालो में जितने भी निर्णय या काम हुए उसमें आपने विरोध करने की बजाय अपनी खामोशी बनाई रखी और जनता को 5 साल गर्त में धकेल दिया। जनता को भारी समस्याओं में डालने में आप भी उसी तरह जिम्मेदार है, जिस तरह नगर परिषद अध्यक्ष को जिम्मेदार जनता द्वारा ठहराया गया और अब आप बागी बनकर चुनाव मैदान में खड़े हो गए। आप किस मुंह से जनता से वोट मांगोगे। जनता को 5 साल जो जख्म दिए उसके लिए या जनता के जमीनी स्तर पर जो काम नहीं हुए उसके लिए। जनता आपको कभी माफ नहीं करेगी। चाहे आप इस चुनाव में अपना कितना ही जोर लगा लो।
व्यवहार और आचरण शालीनता नहीं और खड़े हो गए चुनाव में:
पेटलावद के कुछ वार्डो में कई ऐसे उम्मीदवार खड़े है, जिनमे व्यवहार और आचरण में बिल्कुल शालीनता नहीं दिखती। यह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में है। कई निर्दलीय ऐसे है, जिनके व्यवहार और आचरण के किस्से पूरे नगर में जग जाहिर है। जरा सी बात पर धमकाना, मारपीट पर उतर जाना और कोई कुछ कहे तो उसके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करवाने थाने तक पहुंच जाना। हालांकि इन निर्दलियों के पक्ष में कुछ लोगो द्वारा जरूर माहौल बनाया जा रहा है, लेकिन हम उनसे कहना चाहते है ये पब्लिक है सब जानती है। जो लोग इनके सपोर्ट में है जनता उन्हें भी पसंद नही करती है और उनके काले कारनामे और किस्से जग जाहिर है। वहीं एक शराब माफिया भी चुनावी मैदान में उतर गया, जो पूरे पेटलावद नगर में गली मोहल्लों में स्थित शराब के अड्डों पर शराब परोसने का काम में लिप्त है। वह अपने आप को जुझारू और ईमानदार प्रत्याशी बताने में नहीं चूक रहा, लेकिन इनकी ईमानदारी से जनता वाकिफ है और इन्हें सबक सिखाएगी ही।
चौराहों पर चर्चा: जो जिलाध्यक्ष है वो भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ कर रहे प्रचार:
नगर के चौराहों पर चर्चा है कि वार्ड क्रमांक 8 में पूर्व पार्षद और भाजपा अनुसूचित मोर्चा के जिलाध्यक्ष साहब इस बार टिकट न मिलने से अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार करने में जुटे हुए है। यह बात संगठन तक पहुंच चुकी है। हालाकि अभी तक इन माननीय नेता पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। उसी का फायदा यह उठा रहे है और भाजपा की नय्या डुबाने के प्रयास में है। इस वार्ड में यह भी चर्चा है कि इन माननीय नेता ने अपने करीबी रिश्तेदार को निर्दलीय मैदान में खड़ा कर दिया और अब उसी का प्रचार कर भाजपा को डेमेज करने में जुटे है। संगठन को ऐसे नेताओं पर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। चर्चा तो यह भी है कि एक तो 5 सालो में जो नगर में भ्रष्टाचार की गंगा बही उसमें इन्होंने भी कंधे से कंधा मिलाकर हाथ धोए है। यही वजह रही जो इनको इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया।
वार्ड 8 में व्यवहार, आचरण और मिलनसारिता की जंग:
इस बार वार्ड 8 में भाजपा के अधिकृत हुए जो प्रत्याशी है उनका काफी सकारात्मक माहौल दिखाई दे रहा है। हालांकि अभी जनता यहां कुछ नही कह रही है कि वह किसे अपना पार्षद बनाएगी। हां यह जरूर है कि जनता इस और इशारा कर रही है कि जो अच्छे काम करेगा और व्यवहार अच्छा रहेगा उसे ही अपना प्रतिनिधि चुनेंगे। भाजपा के प्रत्याशी बने राजेश यादव 10 वर्ष पहले भी इस वार्ड से चुनाव जीते थे वो अपने व्यवहार और कार्य कुशलता की बदौलत अपनी एक अमिट छाप छोड़ी थी। शहर की अटल बस्ती को भी बसाने में इनकी अहम भूमिका रही। यही इनके लिए प्लस पॉइंट बन रहे है। यहां व्यवहार, आचरण और मिलनसारिता की जंग चल रही है। हालांकि अब 30 सितंबर को ही पता चलेगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा।
वार्ड 6 में गेंद जनता के पाले में, बागी को मिलेगी जीत या खिलेगा समाजसेवी का फूल:
पेटलावद में सबसे चर्चित अगर कोई वार्ड है तो वह है वार्ड क्रमांक 6। दरअसल, यहां भाजपा ने जिसे अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया था उसके खिलाफ 10 साल से पार्षद रहे बागी उम्मीदवार मैदान में उतर गया है। यही नहीं इन्हे श्रेय देने में भाजपा के पदाधिकारियों और कुछ माननीय नेताओं ने भी कोई कमी कसर नही छोड़ी और आज स्थिति यह हो गई है कि भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी अकेले हो गए है, लेकिन अब यहां की बागडोर जनता के हाथ में है, कि वे एक नए चेहरे को अपना प्रतिनिधि चुनती है या फिर उसी पुराने चेहरे को मोका देती है, जिसने 5 सालों में अपनी खामोशी अख्तियार कर रखी थी। हालांकि अंदरूनी सर्वे बता रहा है कि यहां जनता बदलाव कर सकती है। देखना यह दिलचस्प है कि क्या यहां भाजपा का बागी जीतेगा या समाजसेवी का फूल खिलेगा।
सांसद, पूर्व विधायक, वर्तमान विधायक की प्रतिष्ठा दांव पर लगी:
वार्डों में प्रत्याशियों ने मोर्चा संभालते हुए प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया। जहां मतदाता पिछले सालों में हुए कार्यों का हिसाब भी मांग रहे हैं। ऐसे में उम्मीदवारों को भी अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ रहा है। इस बार चुनाव में सांसद और विधायक और पूर्व विधायक की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। पार्षद पद पर प्रत्याशियों की हार-जीत से तीनो बड़े नेताओं के राजनीति भविष्य की दिशा तय करेगी। बता दें कि 2023 में विधानसभा चुनाव हैं और उसके पहले नपा चुनाव को सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है। कुर्सी पर काबिज होने के लिए दोनों ही दल जोर लगा रहे हैं।
कांग्रेस ने अधिकांश नए प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। कुछ को राजनीतिक अनुभव कम है। ऐसे प्रत्याशियों को वार्डों में संघर्ष करना पड़ रहा है। हालांकि प्रत्याशियों के साथ विधायक ने भी वार्डों में घूमना शुरू कर दिया है, तो वहीं भाजपा की तरफ से बड़े नेता अभी प्रचार-प्रसार से दूर है।
बीजेपी: युवाओं के भरोसे:
चुनावी रण में भाजपा युवाओं के भरोसे उतरी है। पार्टी ने सबसे ज्यादा महिलाएं व युवा प्रत्याशी है। पुराने एक-दो ही पार्षदों को दोबारा मौका दिया है। किस वार्ड में किसके बीच मुकाबला:
– वार्ड 1 की बात करे तो यहां भाजपा ने विनोद भंडारी को टिकट दिया, जो पूर्व में नगर परिषद अध्यक्ष रह चुके है। वहीं इनको टिकट मिलने के बाद भाजपा के ही मुकेश परमार ने बगावती सूर अख्तियार किए और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में है। अब इस वार्ड में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा।
– वार्ड 2 की बात करे तो यहां 10 साल पहले पार्षद रही प्रकाश मुलेवा की पत्नि रचना मुलेवा पर भरोसा कर उन्हें टिकट दिया गया। जबकि यहां बीजेपी से 3 दिग्गज नेताओं ने टिकट मांगा था, लेकिन उन्हें टिकट नही मिला। यहां सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस से यहां कोई प्रत्याशी नही है, लेकिन 3 निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में है। यहां मुकाबला बीजेपी और निर्दलीय प्रत्याशी के बीच होने वाला है।
– वार्ड 3 में भी भाजपा प्रत्याशी का खेल निर्दलीय उम्मीदवार बिगाड़ेंगे। यहां 3 उम्मीदवार निर्दलीय है और एक कांग्रेस से उम्मीदवार है। यहां भी भाजपा से टिकट न मिलने की नाराजगी भाजपा को नुकसान कर सकती है।
– वार्ड 4 में भाजपा-कांग्रेस का सीधा मुकाबला होगा। यहां निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में है, लेकिन यहां कांग्रेस प्रत्याशी मजबूत नजर आ रहे है।
– वार्ड 5 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में नेहा जानी को टिकट मिला है। यहां कांग्रेस तो हर बार की तरह शून्य रहने वाली है। अब मुकाबला निर्दलीय प्रत्याशी और भाजपा के बीच होने वाला है। हालांकि यह भी तय है कि जो निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में है उनके पति पर कई आरोप लगे हुए है और सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है। खैर आने वाली 27 सितंबर को इसका फैसला जनता कर देगी।
– वार्ड 7 में मुकाबला भाजपा प्रत्याशी ललीता गामड़ और निर्दलीय प्रत्याशी जो भाजपा से पूर्व में पार्षद रहे है उनके बीच होने के आसार है। यहां भाजपा के ही मोहन मेड़ा बगावत कर अपनी पार्टी के खिलाफ मैदान में है। वह भाजपा प्रत्याशी ललीता गामड़ को टिकट देने से नाराज है। हालांकि यह वही पार्षद है जो बीते 5 सालों में जो अनियमितताएं नगर परिषद कार्यकाल में हुई, उसे चुपचाप गूंगे बनकर देखते रहे। अब यहां देखना दिलचस्प होगा कि किस प्रत्याशी के खाते में जीत मिलेगी।
– वार्ड 9 में जिस प्रत्याशी को भाजपा ने टिकट दिया है उससे अन्य भाजपाई नाराज है और निर्दलीय मैदान में है। यहां पूर्व परिषद में उपाध्यक्ष रही माया सतोगिया के पति सत्यनारायण राजू सतोगिया बगावत कर निर्दलीय चुनाव में है। यह भी पूर्व परिषद के कार्यकाल में हुए कारनामों में मोन साधे हुए थे। इसी के साथ एक अन्य प्रत्याशी अनुपम भंडारी भी निर्दलीय मैदान में है। यह सभी भाजपा का खेल बिगाड़ेंगे।
– वार्ड 10 में मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच है। यहां भाजपा ने संजय चाणोदिया को टिकट दिया है, अब एक बड़ा कारण यहां भाजपा को डेमेज कर रहा है, जो सभी जानते है। यहां कांग्रेस भाजपा प्रत्याशी को पूरजोर टक्कर देगी।
– वार्ड 11 में भी मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच है। हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी यहां कमजोर नजर आ रही है। देखना होगा यहां दोबारा भाजपा को जीत मिलती है या इस बार जनता बदलाव करती है।
– वार्ड 12 में मुकाबला भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवार के बीच है। यहां भाजपा के कद्दावर नेता आजाद गुगलिया ने भाजपा के प्रत्याशी को टिकट दिए जाने के बाद भाजपा से बगावत की और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में डट गए।
– वार्ड 13 में भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवार के बीच मुकाबला होने के आसार है। यहां 4 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में है। जो भाजपा प्रत्याशी को डेमेज करेंगे और माना जा रहा है कि यहां जनता बदलाव करेगी।
– वार्ड 14 की बात करे तो यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा। यहां भी जनता बदलाव के मुड़ में है, क्योकि बीते 5 वर्ष में जो भाजपा के पार्षद रहे उन्होनें कभी भी वार्ड में झांककर नही देखा, जिससे यहां के वार्डवासी खासे नाराज है।
– वार्ड 15 की बात करे तो यहां मुकाबला त्रिकोणीय है। यहां भी माना जा रहा है कि जनता इस बार बदलाव चाहती है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाली 27 सितंबर को जनता किसके पक्ष में वोट करती है।