युग निर्माण को अपना माध्यम बनाने वाले स्वर्ग को प्राप्त होते है : प्रज्ञा दीदी

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अलीराजपुर लाइव के लिए आम्बुआ से बृजेश खंडेवाल की रिपोर्ट-
जब-जब किस युग में पाप बड़े है हर उस युग में भगवान ने उसका नाश करने के लिए अलग-अलग रूप में अवतार लिया है। पूर्व में एक रावण था मगर वह भी निष्ठाचारी था, जिसने माता सीता का हरण तो किया मगर किसी प्रकार से क्षति नहीं पहुंचाई। मगर वर्तमान मे हजार रावण है जो रोजाना कितने हरण कर दुराचार कर रहे हैं। सदयुग मेें मातासीता का चीर हरण हुआ था। मगर आज से इस घोर कल युग में लड़कियां अपना चीर हरण स्वयं कर रही है द्य कम वस्त्र धारण पहकरन कर अंग प्रदर्शन कर रही है जिससे महिला समाज लज्जित हो रहा है। पूर्व में राक्षसों को मारने के लिए भगवान ने अवतार लिया था। मगर आज परिशिष्ट अलग है अब हर जगह राक्षसों का अम्बार है। राक्षसों के अवतार में सबसे ज्यादा जवाबदेह हम महिला ही है। अगर हम युग निर्माण को जीवन का माध्यम बना ले तो हमें स्वर्ग में जाने कोई नहीं रोक सकता है। यह बात ब्रहावादिणी प्रज्ञा दीदी पराशर ने आम्बुआ में महिला सम्मेलन मे कहीं। कार्यक्रम के पूर्व मां गायत्री के चित्र पर माल्यार्पण किया। अतिथियों का स्वागत रमिला माहेश्वरी एवं कमला खंडेलवाल ने किया। श्रोताओं का पुष्प वर्षा से ललीता राठौड़, मनोरमा वाणी ने किया। कार्यक्रम में जोबट शक्तिपीठ के डॉ. सक्सेना ने उपस्थित लोगों से मरणोपरांत नेत्रदान की बात कहीं।

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