मेनन की एमपी से विदाई एंव झाबुआ / अलीराजपुर जिले मे पढने वाले प्रभाव

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झाबुआ Live डेस्क ।

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बीजेपी के प्रदेश संगठन मंत्री पद से अरविंद मेनन की विदाई बीते 48 घंटे की सबसे बडी राजनीतिक खबर है अब मेनन  अपना प्रभार सोंप चुके है तो तय मानिए उनके एमपी से जाते ही झाबुआ / अलीराजपुर जिले की बीजेपी की राजनीति मे भी नये समीकरण देखने को मिलेगे । क्या असर होगा पढिए इस पडताल में ।

झाबुआ जिले मे यह असर –

अरविंद मेनन की विदाई का सबसे अधिक असर झाबुआ जिले की बीजेपी की राजनीति पर पड़ेगा । झाबुआ जिले मे बीजेपी की राजनीति दो गुटों मे बटी हुई है  पहला गुट ” अरविंद मेनन द्वारा पोषित ” राजगढ़ नाका गुट माना जाता है जिसका नेतृत्व ” शैलेष दुबे करते है लेकिन इस गुट को मेनन के करीब लाने में मेनन के मूल गृह राज्य ” केरल ” के ही ” विजय नायर है जो राजगढ़ नाका लाबी के सशक्त संरक्षक रहे है मेनन के अलावा इस लाबी का प्रदेश मे कोई माई बाप नही था । हालांकि यह लिखने मे कोई संकोच नही कि ” जनता से इस लाबी का जुडाव इनके आयोजनों मे दिखता है लेकिन इस लाबी पर कार्यक्रम के नाम पर कई तरह के आरोप लगते आये है अब इस लाबी को अपना माई बाप तलाशना ही होगा वरना कुछ सालो मे दिक्कत मे आ जायेगी यह लाबी । दूसरी लाबी उन लोगो कि है जो राजगढ़ नाका लाबी के साथ नही है इस लाबी के लिऐ मेनन का जाना ” बेहद अनुकूल हो गया है इस लाबी से ही अभी बीजेपी के जिलाध्यक्ष है अब दिक्कत मंडल अध्यक्षों को भी आना है क्योकि मंडल अध्यक्ष राजगढ़ नाका लाबी के है अब राजगढ़ नाका लाबी को एकमात्र सहारा जिले के विधायकों का है विधायकों की ऊर्जा ही नाका लाबी को बचाए रख सकती है ।

अलीराजपुर जिले मे असर

अलीराजपुर जिले की राजनीति मे अरविंद मेनन का जाना दोनो विधायकों एंव किशोर शाह के लिऐ आगे के रास्ते खोलने वाला है दरअसल मेनन पर्दे के पीछे से अलीराजपुर मेनन बीजेपी के भीष्म पितामह रहे ” ओ एल सोमानी ” के बेहद करीबी थे ओर सोमानी के कहने पर भी बीजेपी जिलाध्यक्ष के लिऐ उन लोगो का पत्ता मेनन ने काट दिया था जिसे जिले के दोनो विधायक चाहते थे । सुत्र तो यह भी बताते है कि विधायक नागरसिंह चौहान का मंत्री बनने का रास्ता भी मेनन ने ही रोका था । सुत्र यह बताते हे कि सीएम शिवराज नागरसिंह को पसंद करते है इसलिए मेनन अपनी लिमिट क्रास नही कर पाये थे । अब अनुमान है कि मेनन के समर्थन से बीजेपी के जिलाध्यक्ष बने राकेश अग्रवाल को थोडी असुविधा हो सकती है लेकिन राकेश अग्रवाल भी कूटनीति मे ठीक ठाक है । आने वाले कुछ हफ्ते मे मेनन की विदाई का असर दोनो जिले की राजनीति पर दिखाई देगा ।

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