फर्जी बिलों के जरिये शासन को चूना लगाने वाले दो एसडीओ व 7 उपयंत्रियों की सेवाएं समाप्त

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पेटलावद से हरीश राठौड़ की रिपोर्ट-
आरईएस विभाग के दो एसडीओ व सात उपयंत्री पर मई 2017 में भ्रष्टाचार की जांच मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं तत्कालीन अधिकारी सीईओ जिपं अनुराग चौधरी द्वारा कराई गई थी जिसमें जिस एसडीओ वह उपयंत्री द्वारा जीएसबी रोड व निस्तार तालाब में फर्जी ट्रैक्टर बिल लगाकर लाखों रुपए का भ्रष्टाचार किया गया। जांच दल ने फर्जी बिल लगाकर भ्रष्टाचार करना बताया वह जांच में भी स्पष्ट भ्रष्टाचार पाया। वही परिवहन विभाग झाबुआ ने भी इन फर्जी बिलों को फर्जी पाया। विभाग का कहना है कि इस इस नंबर के ट्रैक्टर व मालिक कार्यालय में दर्ज नहीं है। यह सब फर्जी बिल है वही 3 मई 2017 को जिला पंचायत झाबुआ के तत्कालीन सीईओ अनुराग चौधरी ने जांच प्रतिवेदन कलेक्टर आशीष सक्सेना को सौंपा था, जिसमें कलेक्टर झाबुआ द्वारा दोषी पाए गए दो एसडीओ व 7 उपयंत्रियों की सेवा समाप्ति के आदेश जारी किए गए थे। लेकिन सेवा समाप्ति तो ठीक इन अधिकारियों पर आज तक निलंबन की कार्रवाई भी नहीं हो सकी है। यह अधिकारी अभी भी वर्तमान में ग्राम पंचायत सहित विभाग के कार्य कर रहे हैं व फर्जीवाड़े कर शासन को चूना लगाकर और मलाई खा रहे हैं। वही जिला पंचायत सीईओ जमुना भिडे से इस बारे में चर्चा की गई तो उनका कहना था कि जांच चल रही है और फर्जीवाड़ा उजागर होने पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं आरटीआई कार्यकर्ता श्रवण कुमार मालवीय द्वारा पत्रों के माध्यम से व्यवहार किया गया तो उनके द्वारा बताया गया कि हम कार्रवाई कर रहे हैं। वही जिला पंचायत झाबुआ में 25.03.2017 को एक और फर्जी बिल की जांच को लेकर एक दल गठित किया गया था लेकिन लगभग 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी 286 फर्जी बिलों की जांच अधिकारी नहीं कर रहे हैं क्योंकि जांच अधिकारी खुद भी भ्रष्टों को बचाने में जुटे हुए हैं। अब देखना है कि आला अफसर जांच करवाकर दोषियों पर कार्रवाई करेंगे या फिर यूं ही सब कुछ गठन बंधन आगे भी चलेगा?

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