भूपेंद्र सिंह नायक@पिटोल
[ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में एक- दिन पहले गुजरात में फंसे उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को मध्यप्रदेश के रास्ते आने की इजाजत के आदेश के दिए थे।उसी के तहत परसों को एवं कल दिनभर हजारों की संख्या में बस और ट्रक और टेंपो मोटरसाइकिल आदि स्वयं क खर्चे पर निजी वाहन करके लोग उत्तर प्रदेश अपने गंतव्य की ओर खुशी-खुशी जाने लगे परंतु कल रात 10बजे झाबुआ प्रशासन के पास एक आदेश आया उत्तर प्रदेश में बिहार के मजदूरों को मध्य प्रदेश के रास्ते नहीं जाने देना है। उसी के चलते रात्रि 12 बजे से झाबुआ कलेक्टर प्रबल सिपाहा एवं पुलिस अधीक्षक विनीत जैन पिटोल बॉर्डर पर गुजरात खंगेला चेक पोस्ट पर दलबल सहित मोर्चा संभालकर उत्तर प्रदेश एवं बिहार के मजदूरों से भरी गाड़ी रोककर वापस भेजने के लिए प्रयास करने लगे परंतु उत्तर प्रदेश के मजदूरों से भरी गाड़ियां रात्रि से दोपहर 3 बजे तक खंगेला चेक पोस्ट पर खड़ी रही जिसके चलते हैं वहां गुजरात प्रशासन द्वारा ना ही खाने-पीने भोजन आदि की कोई इंतजाम नहीं होने से आक्रोशित होकर चक्का जाम करने लगे और कहने लगे कि हमें हमारे राज्य तक जाने नहीं दोगे तो हम किसी को भी नहीं जाने देंगे।
इस बात को लेकर गुजरात पुलिस और मजदूरों के वार्तालाप के साथ माहौल गर्मा गया जिसके चलते मजदूरों ने पुलिस पर पथराव करने से मजदूरों ने गुजरात पुलिस की कुछ वाहन बसों को फोड़ दिया और अफरा-तफरी का माहौल होने से भगदड़ मच गई। भगदड जाने के कारण लोग बदहवास होकर भागने लगे मजदूरों का कहना है कि हम लोगों को जाने नहीं देना था तो ई पास क्यों दिया गया एवं 3 से 5 हजार तक किराया देकर यहां तक पहुंचे हैं वहां गुजरात में हमारे पास ना खाने पीने रहने की व्यवस्था है। ठेकेदार ने हम को भगा दिया है मकान मालिक ने घर से निकाल दिया है ।अब हम लोग जाएं तो कहां जाएं दोपहर 3 बजे दाहोद जिले के पुलिस अधीक्षक और दाहोद जिले के कलेक्टर द्वारा खंगेला चेकपोस्ट पर मौके को देख कर स्थिति को देखा और उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों से भरे वाहनों को वापस गुजरात में अपने शहरों में जहां से मजदूर आए थे वही पहुंचाया रात्रि 12 बजे से दोपहर 3 बजे तक करीब 100 वाहनों में 5000 से ज्यादा लोग खंगेला चेक पोस्ट पर परेशान होते रहे जिन लोगों ने पुलिस पर पथराव किया था उन्हें गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया और कानूनी कार्रवाई की जा रही है। इससे पहले झाबुआ प्रशासन हो गुजरात पुलिस के साथ संयुक्त रूप से मोर्चा संभाल रहा था परंतु इस विवादित घटना के बाद अपनी सीमा में क्षेत्र में आकर उत्तर प्रदेश जाने वाले मजदूरों को वापस करेंगे और विडंबना यह है कि चोरी छुपे उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूर पिटोल बॉर्डर से अपने नन्हे-मुन्ने बच्चों के साथ पैदल पैदल रवाना हो गए। अब सवाल यह है कि अगर करो ना महामारी से लोग बच गए भी जाएंगे तो सैकड़ों किलोमीटर तक इस 45 डिग्री की तपती धूप तापमान वाली धूप में भूखे प्यासे ही मर जाएंगे। सरकारों को इन बेबस लाचार मजदूरों के प्रति संवेदनशीलता दिखाकर अपने राज्य ग्रह गांव तक छोड़ना चाहिए। आज कई मजदूर विकलांग और कई बीमारियों से लाचार थे इन मजदूरों के बारे में अगर प्रशासन द्वारा उचित खाने-पीने का इंतजाम भी करना चाहिए। यह मजदूर हमारे देश की विकास की नींव है और आने वाले समय में क्या देश का विकास हो पाएगा। क्योंकि गुजरात के विकास में मध्य प्रदेश , राजस्थान , उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूरों के पसीने से ही हुआ है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी द्वारा सपना दिखाया कि उत्तर प्रदेश में मजदूरों को वापस लाएंगे और सपना तोड़ दिया।