प्रतिबंधित दवाइयों का मरीजों पर उपयोग करने वाले झोलाछाप, कार्रवाई के बाद भूमिगत

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अलीराजपुर लाइव के लिए अलीराजपुर से रिजवान खान की रिपोर्ट-
नगर में शनिवार को झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ तहसीलदार नितिन चौहान और ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. हेमंत देवड़ा द्वारा चलाई गई मुहिम के बाद रविवार को आजाद नगर और बरझर के लगभग सभी झोलाछाप डॉक्टरों के क्लीनिक बंद नजर आए। कुछ झोलाछाप तो भूमिगत ही हो गए। स्वास्थ्य विभाग की टीम रविवार को दिनभर जब्त की गई दवाइयों के आकलन में व्यस्त रही। इस दौरान पता चला कि प्रतिबंधित दवाइयों का भी धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा था। स्वास्थ्य विभाग से सीबीएमओ ने बताया कि झोलाछाप डॉक्टरों के यहां से दवाइयों का इतना बड़ा जखीरा मिला है कि इसका आकलन करते-करते हमें रात के दस बज गए। कार्रवाई में एक झोलाछाप के यहां से 165 प्रकार की दवाइयां बरामद हुई जबकि शासन द्वारा चलाए जा रहे 30 बिस्तरों वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की दीवार पर चस्पा सूची में भी वहां 101 प्रकार की दवाइयां उपलब्ध होना दर्शाया गया है। स्वास्थ्य विभाग टीम को दवाइयों के आकलन में पता चला कि नियामानुसार जिस अलप्राजोलम नींद की दवाई पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा हुआ हैए उनका भी उपयोग ये डॉक्टर बड़ी मात्रा में कर रहे थे। इसी प्रकार एक अन्य झोलाछाप के यहां से 160 प्रकार की दवाइयों का जखीरा मिला।
न्यायालय में विचाराधीन का भी क्लीनिक-
सीबीएमओ डॉ. चौहान ने बताया कि कार्रवाई के समय हुई जांच में पता चला कि एक झोलाछाप डॉक्टर का पूर्व में किसी मामले को लेकर न्यायालय में मामला विचाराधीन है। वह भी लंबे समय से नगर में क्लीनिक डालकर लोगों का उपचार कर रहा है।
एक्सपायरी डेट की दवाइयां- झोलाछाप डॉक्टरों के यहां से जब्त दवाइयों की बड़ी मात्रा को देख तो स्वास्थ्य विभाग की टीम अचरज में थी। खास बात यह रही कि टीम को इन दवाइयों में से कई ऐसी भी मिलीए जो 2010 और 2015 में ही एक्सपायर हो गई थी।
पक्का बिल नहीं मिला- आठ झोलाछाप डॉक्टरों पर हुई कार्रवाई में जब्त की गई हजारों की एलोपैथिक दवाइयों में से एक दवाई का भी पक्का बिल टीम को नहीं मिल सका। यानी लाखों की दवाइयां ये डॉक्टर बिना बिल के खरीदकर इस्तेमाल कर रहे थे।
देर से जागा प्रशासन-तमाम सुविधा और अधिकार होने के बावजूद गरीबों की जान से खिलवाड़ करने वाले इन झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ की गई कार्रवाई में प्रशासन जागा तो सही, लेकिन काफी देर से। इसके पहले भी नगर में इन झोलाछाप डॉक्टरों के कारण कई ग्रामीण अपनी जान से हाथ धो बैठे है।
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