पेटलावद में मुद्दा विहीन चुनाव; इन ज्वलंत मुद्दों पर कोई नहीं कर रहा बात…

0

सलमान शैख@ पेटलावद

लजीज खोपरा पाक, दाल बाटी ओर मोरो की नगरी के नाम से मशहूर पश्चिमी मप्र के आदिवासी अंचल झाबुआ जिले का पेटलावद नगर में इन दिनों चुनावी माहौल जोरो शोरो से चल रहा है। आने वाली 27 सितंबर को नगर परिषद चुनाव के लिए मतदान संपन्न होना है।
पेटलावद नगर को धर्म नगरी और मां अहिल्या की नगरी भी कहा जाता है। अमूमन यहां सबसे ज्यादा जनसंख्या जैन समाज और सिरवी समाज की है। यह शहर हर दृष्टिकोण से जिले का मुख्य केंद्र है। राजनीति से लेकर खेती किसानी या अन्य कोई कार्य हो, हर चीज़ में पेटलावद का नाम पूरे जिले या प्रदेश ही नहीं बल्कि देश और विदेश में चर्चित है।

इस बार हो रहे पार्षद पद के लिए चुनाव प्रचार जनसंपर्क और दावतों तक सीमित हो गया है। दोनों ही दलों के पास फिलहाल कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिसके बूते चुनाव में जीत का दावा किया जा सके। जमकर हो रही धनवर्षा के साथ इस बार का चुनाव अपने अंतिम पड़ाव में है। इस चुनाव में अब तक शहर या वार्ड स्तर का कोई ऐसा मुद्दा नहीं उछला है जिसके बूत जीत की गारंटी ली जा सके। प्रत्याशी फिलहाल मुद्दा विहीन चुनाव में लगे हैं। इसके बजाय दावतों का दौर शुरू हो गया है। शाम होते ही जमकर दावत चल रही है। हर सक्षम दावेदार अपने कार्यकर्ताओं की इन दिनों हर इच्छा पूरी कर रहे हैं। जिसके कारण पार्षद चुनाव इस बार पिछले चुनावों की तुलना में ज्यादा महंगा होते जा रहा है। कोई भी दल खर्च के मामले में अपने प्रतिद्वंदी से पीछे नहीं है।

वार्ड स्तर पर बन रहे मुद्दे
नगरीय निकाय चुनाव में अब 3 दिन ही शेष बचे हैं। शहर में बिजली, पानी, सडक़, स्वच्छता, पार्किंग जैसी बुनियादी सुविधाओं का अब भी अभाव है, लेकिन यह मुद्दे चुनाव से गायब हैं। इस बार अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होने जा रहा है और किसी भी दल से अभी अध्यक्ष पद के दावेदार का नाम ही स्पष्ट नहीं किया गया है। सिर्फ राजनीतिक कयास ही लगाए जा रहे हैं। यह भी तय है कि कोई पार्षद दल से ही चुना जाएगा।
लेकिन अभी प्रचार में जो वादे और दावे चल रहे हैं वे सिर्फ वार्ड तक ही सीमित हैं। उम्मीदवार पिछले सालों में वार्ड में किए गए खुद के काम गिना रहे हैं। वहीं कुछ वार्ड तो ऐसे हैं, जहां पूर्व में पार्षद रहे प्रत्याशियों द्वारा वार्ड विकास का कोई काम ही नहीं कराया है। प्रत्याशियों ने एक तरफ जनसंपर्क कर वार्ड को समझने में अपना जोर लगाया हुआ है वहीं वार्ड स्तर के मुद्दे भी तलाशे जा रहे हैं। अब तक किसी भी वार्ड में कोई मुद्दा खड़ा नहीं हो पाया है। किसी राजनीतिक दल ने भी शहर के लिए अपना घोषणा पत्र या विकास का खाका जनता के सामने पेश नहीं किया है। इसके कारण भी मतदाता पशोपेश में है। शहर में इन दिनों सबसे बड़ा मामला सड़कों की आए दिन होने वाली खोदाई है। हालांकि यह मुद्दा अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने नहीं बनाया है।

एकता की राग का असर नहीं:

वहीं नामांकन वापसी के बाद मची अफरा-तफरी के बीच भाजपा का नेतृत्व एकता बनाए रखने की राग भले ही अलाप रहा है, लेकिन उसका कोई खास असर होते नहीं दिख रहा है। बागी अब भी अपना पूरा जोर लगा रहे हैं। इसी तरह टिकट से वंचित नेता भी मौके की तलाश में है और अपने हिसाब से चुनावी रणनीति बनाने में लग गए हैं।

कई जगह विरोध:
पिछली बार वार्ड की जनता ने जिन प्रत्याशियों को अपना नेता चुनकर विकास की आस लगाई थी। उनमें कुछ प्रत्याशी ऐसे भी हैं जिन्होने पार्षद बनने के बाद अपने वार्डवासियों का हालचाल जानना भी मुनासिब नहीं समझा। जिससे उनके कार्यकाल में वार्ड में न तो कोई विकास कार्य हुआ और न ही वार्ड के लोगो को बुनियादी समस्याओं से निजात मिल पाई। लेकिन वह एक बार फिर चुनाव मैदान में नजर आ रहे हैं ऐसे में अब जब वे पार्षद पद के प्रत्याशी जनता के बीच वोट मांगने जा रहे हैं तो जनता अपनी समस्याएं गिना रही है। कई जगहों पर उम्मीदवारों को विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है। मतदान को लेकर कई जगहों पर विरोध भी खुलकर सामने आ चुका है। एक के बाद एक कालोनियों में रहवासियों ने प्रदर्शन कर स्पष्ट किया है कि पहले समस्या सुलझाओ, उसके बाद वोट मांगने आओ।

सबसे पहला मुद्दा है:सफाई व्यवस्था
सफाई व्यवस्था के लिए नगर पालिका के पास अच्छा खासा अमला है। 50 से अधिक सफाईकर्मी और करीब दर्जन भर कचरा कलेक्शन वाहन होने के बाद भी सफाई व्यवस्था फेल नजर आती है। नियमित रूप से कचरा नहीं उठाया जा रहा है। शहर की एक भी कालोनी ऐसी नहीं है जिसे कचरा मुक्त कहा जा सके। पिछले बार के स्वच्छ सर्वेक्षण में भी शहर की परफार्मेंस खराब रही थी।
दूसरा मुद्दा है: यातायात व्यवस्था
शहर की यातायात व्यवस्था भी समुचित नहीं है। इसका मुख्य कारण है कि कहीं भी नगर परिषद की पार्किंग नहीं है। पार्किंग न होने की वजह से बाजारों में अव्यवस्थित तरीके से वाहन खड़े होते हैं। मुख्य बाजार में भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। शहर की यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने किसी प्रत्याशी ने कोई दावा या उपाय प्रचार में नहीं सुझाया है।
तीसरा बड़ा मुद्दा है: अवैध कालोनियां

शहर में नगर परिषद द्वारा ही चिन्हित कई अवैध कालोनियां हैं। इसके बाद भी धड़ल्ले से अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं। इनमें कालोनाइजर सुविधाएं नहीं देता है और बाद में जनता के दबाव में नगर परिषद को ही व्यवस्था करना पड़ती है। जिस कालोनी से टैक्स के रूप में नगर परिषद को आय होना चाहिए, वहां उल्टा राशि व्यय करना पड़ती है। कालोनी में हरियाली के लिए जगह भी नहीं छोड़ी जाती है। यदि वैध कालोनियां बनें तो इससे न सिर्फ नगर परिषद की आय बढ़ेगी, बल्कि शहर में हरियाली बढ़ेगी और शहर का विकास भी व्यवस्थित तरीके से होगा।

चौथा मुद्दा: बस स्टेण्ड रोड के किनारें-
नगर का बस स्टेण्ड जो मार्ग के किनारे ही हैं। वह अभी तक प्रगति की सीढी नहीं चढ पाया। राजकीय मार्ग होने के कारण दुर्घटनाएं इस स्थान पर अवश्य बडी ओर कई बार लंबा ट्राफिक जाम भी हुआ। किसी भी राजनीतिक दल ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो प्रशासन में भी ईमानदार पहल का अभाव रहा।

पांचवा बड़ा मुद्दा:  सुव्यवस्थित पार्क की कमी
एकमात्र बगीचा जो नगर के बीचों बीच स्थित है। जो नपं के पहले चुनावो में बढ चढकर मुद्दा बना उस पर नेताओं ओर अधिकारियों ने डर के साथ बातें तो बहुत की पर कोई कुछ कर नहीं पाया। तत्कालीन परिषद में बने बगीचे को शुरू करने को लेकर सीएमओं से लेकर सीएम तक पहुंचे जागरूक नागरिकों की समस्या हल नहीं हुई। बीते समय में हुए भ्रष्ट्राचार के कारण इसमें कोई अपने हाथ काले नहीं करना चाहता था, लेकिन जब खुद भ्रष्टाचारी अध्यक्ष दोबारा अध्यक्ष बने तो उन्होंने बचा कूचा सामान भी तहस नहस कर बालोद्यान का नाम ही मिटा दिया। अब उस जगह केवल और केवल उजाडखाना और यूं कहो बंजर जमीन है। जनता के करोड़ों रुपए कैसे बर्बाद किए गए इसकी दास्तां बालोद्यान खुद बयां कर रहा है।

छठा बड़ा मुद्दा: आरओयुक्त पेयजल को तरस रहे कंठ

सरकार के द्वारा कराये जा रहे विकास कार्यो में ठेकेदार ही खलनायक बनकर सरकार-एमएलए-मंत्रियों को गुमराह करते है इसकी बानगी आपको 20.28 करोड़ रुपए की आरोयुक्त पेयजल योजना में देखने को मिल जाएगी। यह योजना नगरवासियों के लिए एक अभिशाप से कम नही है। कंपनी के ठेकेदार ने अप्रैल 2017 से ठेकेदार ने काम शुरु कर दिया था। वर्ष 2020 तक काम पूरा करना था, लेकिन आज तक इसका कार्य पूर्ण नहीं हो सका। हालात यह हैं कि इसकी समयावधि पूरी होने के बाद भी यह कार्य पूर्ण नही हुआ हैं।

यह मुद्दे भी गायब है:

पिकनिक स्पॉट, सिवरेज लाईन, पंपावती नदी में नाव चलने, चौराहों का सौंदर्यीकरण, कई महापुरुषों की प्रतिमाएं लगाने आदि कई वादे किए गए, लेकिन वादे वादे ही रह गए, लेकिन यह मुद्दे भी इस चुनाव में मानो गायब हो गए हो। 

Leave A Reply

Your email address will not be published.