झाबुआ live डेस्क ” EXCLUSIVE ” रिपोर्ट
पेटलावद ब्लास्ट को हुऐ एक पखवाड़ा पूरा हो चुका है राजनेता अपना काम करके पेटलावद इलाके से जा चुके है उनकी घोषणाऐ जमीन पर कब ओर कितनी आकार लेंगी यह आने वाला वक्त बतायेगा । लेकिन हादसे के एक पखवाड़े यानी 15 दिन बाद भी मामले की जांच एजेंसी झाबुआ पुलिस की ” एसआईटी” खाली हाथ ही है मुख्य आरोपी को ना तो जिंदा पकड पा रही है ओर ना उसके मरने की पुष्टि करने की स्थिति मे एसआईटी है ऐसे मे बडा सवाल क्या अब नये सिरे से किसी बडी एजेंसी को यह जांच नही दी जानी चाहिए । वैसे अगर बारीक नजरिए से देखे तो एमपी पुलिस की पोल भी यह जांच खोलती नजर आती है देखिए इस पडताल मे एसआईटी ओर सरकार की खामिया ।
अभी तक नार्को या पॉलीग्राफ टेस्ट क्यो नही ?
हादसे के 15 दिन हो चुके है इस दौरान एसआईटी ने मुख्य आरोपी राजेंद्र कासवा के परिवार ओर भाइयो को पकडकर कई बार की पूछताछ की उसके बाद परिवार यानी पत्नी ओर बच्चो को छोड दिया गया जबकि दो भाईयो फूलचंद कासवा ओर नरेंद्र कासवा को गिरफ्तार कर पुलिस रिमांड पर लिया गया ओर फिर जेल भेज दिया गया । यहा सवाल यह है कि 100 से अधिक जिंदगी जिस ब्लास्ट मे तबाह हो गयी उसके आरोपी के रिश्तेदारो पर एसआईटी ने भरोसा कैसे कर लिया कि वह सच बोल रहे है ? उनका कोर्ट की इजाजत लेकर नार्को या पॉलीग्राफ टेस्ट क्यो नही करवाया गया ? जिससे एसआईटी यह तकनीकी सबूत के साथ जान लेती कि कासना के भाई ओर परिवार झूठ बोल रहे है या गलत ? अभी भी वक्त है सरकार बडी एजेंसी को जांच दे ओर नारको या पॉलीग्राफ टेस्ट करवाये ।
हादसा बडा – रफ्तार सुस्त क्यो ?
पेटलावद ब्लास्ट मामूली हादसा नही है 100 से अधिक जिंदगी तबाह हुई है लेकिन एमपी के इतिहास की सबसे भीषणतम त्रासदी में जांच की रफ्तार बेहद सुस्त है आजकल महज दो घंटे मे ” DNA” रिपोर्ट देनी वाली तकनीक मौजूद है मगर आज 10 दिन बाद भी सागर से एसआईटी को अभी तक DNA रिपोर्ट नही मिली है । इससे जांच की गति ओर तकनीक के इस्तेमाल की सुस्ती समझी जा सकती है ।
इसलिए अब सीबीआई जांच जरुरी —
चुंकि राजेंद्र कासवा के बारे मे एसआईटी को अनुमान है कि वह दक्षिण भारत के किसी राज्य मे है साथ ही भागने मे यूनियन यानी संघीय परिवहन माध्यमों रेल , वायुमाग॔ आदि का इस्तेमाल कर सकने का अनुमान है तो ऐसे मे एसआईटी की क्षमता नही है कि वह यह सब कर पाये । एसआईटी को तो रेल्वे के सीसीटीवी फुटेज ओर आरक्षण चाट॔ जुटाने मे काफी दिन लग गये थे साथ ही ब्रांद्रा रेल्वे स्टेशन के फुटेज भी आज तक एसआईटी के हाथ नही है ।इसलिये अब सीबीआई ही एक मात्र विकल्प है ।
ईनाम क्यो नही बढाती सरकार ?
राजेंद्र कासवा पर सरकार ने 1 लाख का ईनाम घोषित किया था लेकिन अब इस ईनाम को रिव्यू किये जाने की जरुरत है क्योंकि राजेंद्र पर 100 से अधिक जिंदगी तबाह करने का आरोप है ओर उसकी सूचना जिन लोगो को हो सकती है वह आर्थिक रुप से सक्षम है लिहाजा ईनाम की राशि 5 लाख से ऊपर किये जाने की जरूरत है ।ताकी ईनाम के लालच मे कोई उसकी सूचना दे सके ।
मामले मे उलझन वाला सवाल ओर उसका संभावित जवाब
सवाल – क्या राजेंद्र कासवा भी ब्लास्ट मे मर गया है ?
संभावित जवाब — अगर मर गया होता तो उसका शव या उसके चिथड़े मिलते क्योकि जब शटर खोलने वाले उसके नोकर विक्रम के शव की पहचान हो गयी तो कासवा की बाडी तो उससे बेहतर ही मिलती क्योंकि शटर विक्रम ने खोली थी ।
साथ ही उसका परिवार भागता नही बल्कि मौके पर उसका शव तलाशता ओर मग॔ कायम करवाता !
बहुत से लोग यह बयान नही देते कि उसे हादसे के बाद जाते देखा गया है ।
एसआईटी उसे 15 दिन से जीवित मानकर फिर नही तलाशती ।