पियुष चन्देल, अलीराजपुर
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तपती रोहिणी नक्षत्र में लोगों के साथ पशु पक्षी सभी बेहाल हैं। पक्षी पानी की तलाश में इधर उधर भटक रहे हैं। सारे जलाशय नदी, नाले सूख चुके हैं। इससे पानी की तलाश में पशु-पक्षी गांवों व नगरों की ओर पहुंच रहे हैं। मूक पशु पक्षियों की इसी ज्वलंत समस्या के मद्देनजर अलीराजपुर के पूर्व नपा उपाध्यक्ष विक्रम सेन द्वारा आज शहर में दो दर्जन से अधिक स्थानों पर पानी की सीमेंट टंकियों का वितरण किया गया।
रविवार को इस चरण की शुरुआत चारभुजा पैलेस से की गई, जहाँ संस्थान के संचालक रघु कोठारी एवँ जवाहर कोठारी ने तत्काल ही टंकी में पीने के पानी का इंतजाम करते हुए इसे भरा। इस अवसर पर पत्रकार साथी राकेश तंवर, आशीष अगाल, आशुतोष पंचोली, हितेन्द्र शर्मा, रफीक कुरेशी तथा आशीष वाघेला ने भी अपने घर पर इन टंकियों को रखवाया, तथा इसे नियमित पानी से परिपूर्ण रखने की बात कहीं।
उल्लेखनीय हैं, कि गर्मी में पानी को अमृत के समान माना जाता है, मनुष्य को प्यास लगती है, तो वह कहीं भी मांग कर पी लेता है, लेकिन मूक पशु पक्षियों को प्यास में तड़पना पड़ता है, हालांकि जब वे प्यासे होते हैं तो घरों के सामने दरवाजे पर आकर खड़े हो जाते हैं। कुछ लोग पानी पिला देते हैं, तो कुछ लोग भगा भी देते है। पशु पक्षियों की प्यास बुझाने की मुहिम में सभी जन की सहभागिता करने के लिये प्रतिवर्ष दो चरण में 50 टंकिया सेन द्वारा शहर में विभिन्न स्थानों पर सहमति से रखी जाती हैं। अभी सैकड़ो स्थानों पर ये मौजूद हैं, जिन्हें नियमित शहरवासी भरते हैं। विदित हो कि गर्मियों में कई परिंदों व पशुओं की मौत पानी की कमी के कारण हो जाती है। लोगों का थोड़ा सा प्रयास घरों के आस पास उड़ने वाले परिंदों की प्यास बुझाकर उनकी जिंदगी बचा सकता है। सुबह आंखें खुलने के साथ ही घरों के आस-पास गौरेया, मैना व अन्य पक्षियों की चहक सभी के मन को मोह लेती है। घरों के बाहर फुदकती गौरेया बच्चों सहित बड़ों को भी अपनी ओर आकर्षित करती है। गर्मियों में घरों के आसपास इनकी चहचहाहट बनी रहे, इसके लिए जरूरी है, कि लोग पक्षियों से प्रेम करें और उनका विशेष ख्याल रखें। जिले में गर्मी बढऩे लगी है। यहां का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस पार हो गया है। आने वाले सप्ताह में और अधिक गर्मी पडऩे की संभावना है। गर्मी में मनुष्य के साथ-साथ सभी प्राणियों को पानी की आवश्यकता होती है। मनुष्य तो पानी का संग्रहण कर रख लेता है, लेकिन परिंदे व पशुओं को तपती गर्मी में यहां-वहां पानी के लिए भटकना पड़ता है। पानी न मिले तो पक्षी बेहोश होकर गिर पड़ते हैं। इसी जीव सेवा हेतु घर घर टंकीयो को पहुंचाने में तिलक राज सेन, प्रतीक सेन, जतिन सोलंकी, वैभव गुप्ता, बहादुर तोमर आदि साथियों ने सेवा प्रदान की।
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