कट्ठीवाड़ा “आलीराजपुर आजतक” डेस्क: फलों के राजा’ आम की ‘मलिका’ कहलाने वाली ‘नूरजहां’ आम पर मौसम की मार पड़ने की आशंका गहरा रही है। अफगानिस्तानी मूल की यह भारी-भरकम आम प्रजाति मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में पाई जाती है। दो तीन दिनों से मौसम की बेरूखी और फिर बारिश व ओलो की आशंका से इस बार पैदावार पर खासा असर पड़ सकता है।
इसके अलावा भी यहां आम की कई प्रजातियां होती है जो देश दुनिया में मशहूर है। अब यहां सभी तरह के आम के पैदावर पर खतरा मंडरा रहा है। खासतौर पर रविवार को पूरे अंचल में हुई बारिश हर तरह चिंता की लहर है।
मौसम में परिवर्तन और बादल छाने की वजह से भारी नुकसान की आशंका है। आम को साफ मौसम की दरकार होती है। अब इस मौसम में बादल और बारिश की वजह से पेड पर लगा ‘मोर’ जलकर जमीन पर गिर रहा है। इस तरह के आम की अच्छी ग्रोथ के लिए साफ मौसम के साथ तापमान की भी जरूरत होती है। मौसम की इस बेइमानी की वजह से इस बार तापमान में भी उतार चढ़ाव है।
नूरजहां आम की प्रजाति अफगानिस्तान से भारत लाई गई थी। देश में इसके पेड़ कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में ही पाए जाते हैं। नूरजहां के पेड़ों पर जब आम आने शुरू होते हैं तो पेड़ फलों के वजन से झुकने लगते हैं। आखिर में स्थिति यह हो जाती है कि उन्हें टेका लगाना (सहारा देना) पड़ता है। नूरजहां की बाजार में मांग इतनी ज्यादा होती है कि पेड़ पर आमों के पककर बिक्री के लिए तैयार होने से पहले ही एक-एक फल का सौदा हो जाता है।
नूरजहां आम तकरीबन एक फुट तक लम्बे हो सकता है। इसकी गुठली का वजन ही 150 से 200 ग्राम के बीच होता है। यानी बस एक आम से कोई छोटा परिवार बड़े आराम से पेट-पूजा कर सकता है।