दान-पुण्य करने पर व्यक्ति सभी को बताता है और गलत कार्य करने पर किसी को नहीं बताता- दयानंदजी

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dd gअलीराजपुर लाइव के लिए आम्बुआ से बृजेश खंडेलवाल की रिपोर्ट-
को बताता फिरता हैं कभी पाप को भी बतायेंण्
संसारी व्यक्ति की आदत होती है कि वह कुछ भी धर्म कर्म करता है दान पुण्य करता है। वह सबको बताना चाहता है सबको बताता फिरता। मगर जब कोई गलत कार्य करता है कोई पाप करता है तो किसी को नहीं बताता है। वह भी बताया करें यह पाप वह जगत को नहीं जगत को पालनकर्ता भगवान को बताया तो उसका उद्धार हो जाए। उच्च विचार आम्बुआ में पितरों की शांति हेतु राठौड़ समाज द्वारा आयोजित भागवत के समापन सत्र के सातवें दिवस व्यासपीठ पर विराजमान पंडित दयानंदजी ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जिस तरह गीले कपड़ों को झटक कर बाहर सूखाने पर सूर्य भगवान उनकी नमी को सूख लेते हैं वैसे ही भगवान को यदि आप बताएंगे तो आप के पाप रुपी नमी को सूखाकर मन को पवित्र बना देंगे।
अहिंसक बनो
उससे कुछ भी छिपा नहीं है दाता के दरबार में सब लोगों का खाता भजन के माध्यम से संदर्भ प्रस्तुत किया गया हिंसा मत करो, अहिंसक बनो, हिंसा किसी को मारने से ही नहीं होती है शरीर के विभिन्न अंगों इन्द्रियों से हिंसा होती है। भगवान महावीर सोते समय करवट नहीं लेते थे कि कहीं कोई जीव दबकर मर न जाए भगवान हरि है वह पापों को हर लेता है जीवन में जो कमी हे उसे देखो और पूरा करने का प्रयास करो जैसे भोजन में नमक कम हो तो मिलाया जा सकता है वैसे जीवन में जो कमी है उसे भजन से पूर्ण किया जा सकता है मंदिर जाने से अच्छा अपने मन में मंदिर बना लो।
सुदामा चरित्र को बताया
आगे कथा में सुदामा चरित्र तथा सुदामा द्वारा उज्जैन में शिक्षा प्राप्त करते समय जब उन्होंने कृष्णा से झूठ बोला कि मैंने कुछ नहीं खाया है जबकि उन्होंने चुपके से गुरु मां के दिए हुए चने खालिए थे इस एक झूठ के पाप ने उन्हें दरिद्र बना दिया उनकी पत्नी सुशीला ने पुण्य रुपी चावल देकर द्वारका भेजा इसके बाद भगवान की कृपा हुई उन्हें धन-धान्य सब कुछ मिला सुशीला जैसी धर्मपत्नी होना चाहिए जो पति को धर्म के मार्ग पर चलाएं कथा के अंत में परीक्षित जी का उद्धार होने की कथा के बाद भागवत कथा का समापन किया गया कथा के मध्य भजनों पर महिला पुरुष जमकर थिरके। कथा समापन के अवसर पर जोबट से राठौर समाज के राजेंद्र टवली एवं अलीराजपुर राठौर समाज के अध्यक्ष श्रीकृष्ण राठौड़ ने आम्बुआ राठौड़ समाज द्वारा आयोजित भागवत कथा पर हर्ष व्यक्त करते हुए पांडाल में उपस्थितजन समुदाय आह्वान किया कि जीते जी रक्तदान एवं मरने के बाद नेत्रदान का संकल्प लें तथा अधिक से अधिक यह दान करें और कराएं पंडित अजय आनंद द्वारा भागवत कथा में सहयोग देने वाले को आशीर्वाद प्रदान कियाा। मीडिया के अच्छा कवरज करने पर पंडितजी ने आशीर्वाद प्रदान किया। कथा समापन के बाद भागवत कथा को यजमान के सिर पर उठा कर विशाल जुलूस निकाला गया एवं प्रसाद वितरण किया गया।

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