तेंदुए की मोत प्राकृतिक नही यह सदोष वध है जिसका जिम्मेदार वन विभाग है

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चंद्रभानसिह भदोरिया @ चीफ एडिटर

मध्यप्रदेश के झाबुआ मे आज वन विभाग के निकम्मेपन ने एक वयस्क तेंदुए की जान ले ली .. घटनास्थल की परिस्थितियां ओर रेस्क्यू टाइमिंग चीख चीखकर कह रही है कि मध्यप्रदेश मे वन विभाग तेंदुए की मोत का जिम्मेदार है ओर विभाग के आला अधिकारी इस मोत को मीडिया के कैमरों के सामने स्वीकार करने तक को तैयार नही थे ।

ऐसे समझे घटनाक्रम
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आज सुबह करीब 8 बजे झाबुआ जिला मुख्यालय से सटे नलदी गांव के जंगल मे एक वयस्क तेंदुए के फंसे होने की सूचना वन विभाग को देता है वन विभाग के दर्जनो स्थानीय वन कर्मी मोके पर पहुंचते है देखते है तो तेंदुआ कराहता ओर छटपटाता नजर आता है सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी जाती है ..इंदोर से एक रेस्क्यू टीम रवाना की जाती है टीम करीब 1 बजे घटनास्थल पर पहुंचती है ..ट्रंकुलाइजर लगाने के पहले जब रेस्क्यू टीम ने देखा तो तेंदूऐ की मोत हो चुकी थी .. रेस्क्यू अभियान का नेतृत्व कर रहे झाबुआ एसडीओ मीडिया से बचने के लिए अपनी गाडी मे बैठ गये लेकिन मीडिया के दबाव मे उन्हे उतरना पडा ओर बयान देना पडा ..बयान भी उन्होंने गोल माल दिया ।

यह सवाल साबित करते है वन विभाग का नकारापन

1)- जब वन विभाग को आज सुबह 8 बजे सूचना मिल गयी थी तो रेस्क्यू टीम आने मे 5 घंटे क्यो लगे ?

2)- अलीराजपुर – झाबुआ – धार मे जब जंगल है ओर तेंदूऐ निकलते रहते है तो रेस्क्यू टीम इंदोर क्यो रखी जाती है ?

3)- इलाके के डीएफओ मोके पर क्यो नही पहुंचे ?

4)- तेंदुए की मोत भूख – प्यास के साथ घायल होने से हुई है क्या स्थानीय अमला प्रारभिंक सहायता उसे नही दे सकता था ?

5)- तेंदूऐ का पैर सूअर के शिकार के लिए लगाऐ गये फंदे मे फंसा था ..साफ है जंगल मे शिकारी सक्रिय है

कुल मिलाकर तेंदुआ अपनी जान देकर वन विभाग के निकम्मेपन को उजागर कर यह बता गया कि देश का टाइगर स्टेट का वन अमला नकारा है ।

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