चंद्रभानसिंह भदौरिया @ चीफ एडिटर
सियासी वादे ऐसे ही होते है साहब जैसै माधौ दादा से किये गये थे
कहते है राजनीति मे वादे उस लालीपॉप की तरह होते है जो बच्चों को रिझाकर अपना काम निकलवाने के लिए किये जाते है अब अपने माधौदादा का मामला ही देख लीजिए.. वादा किया गया था निगम मंडल का अध्यक्ष बनाकर सैफ रिटायरमेंट ओर पुरस्कार दोनो देंगे .. चुनाव हो गये.. बीजेपी उर्फ शिवराज सरकार जीत भी गयी .. निगम मंडल अध्यक्षों की सूची भी जारी हो गयी लेकिन अपने माधौदादा को भुला दिया गया.. अब दादा के सामने कोई विकल्प भी हाल फिलहाल नही है इसलिए मन ही मन मे शिवराज जी से शायद कह रहे होंगे “” क्या हुआ तेरा वादा – वह कसम वह इरादा “” …।।
अपने भदु भई की भी यही कहानी
सियासी वादो के सहारे ओर लटके हुए बेचारों मे सिर्फ माधौदादा ही अकेले नही है अपने भदु भाई भी सियासी वादो का शिकार होकर भाजपा मे आए थे लेकिन अब भीष्म पितामह बनाकर छोड दिये गये है वादा जिला पंचायत का था …नही बन पाये.. फिर नगर पालिका अलीराजपुर लडवाकर अपनो ने ही निपटा दिया.. फिर बात जब विधानसभा चुनाव या उपचुनाव की आई तो फिर सपने दिखाकर लटका दिये जाते है .. बेचारे भदु भाई राजनीति मे हर तरह से सक्षम होते हुए भी अंत मे भीष्म पितामह बना दिये जाते है ।