जिम्मेदारों के असंवेदनशील रवैये से राष्ट्रीय पक्षी पर मंडरा रहा खतरा

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राहुल राठौड़, जामली

इन दिनों राष्ट्रीय पक्षी मोर मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में लापरवाही का शिकार हो रहा है। बावजूद इसके जिला प्रशासन तक के आला अधिकारी का उदासीन रवैया बना हुआ है।
मोर की जिंदगी पर खतरा मंडरा हुआ दिख रहा है। एक के बाद एक करकर मोरो की जान पर आफत आई हुई है और लगातार मौत होने के बाद जिला प्रशासन और वन विभाग कागजी खानापूर्ति करके चेन की नींद सोया हुआ है। ऐसे में जब गर्मी की प्रचंडता कठोर से कठोर प्राणियों का हौसला पस्त कर रही है, देश की पहचान एवं गरिमा का प्रतीक मोर भी इस कुदरती मार से बच नहीं पा रहे हैं। 
मामला जिले के पेटलावद विकासखंड के ग्राम जामली का है। जहां सोमवार सुबह राष्ट्रीय पक्षी मोर बीमारी की अवस्था में एक वृक्ष पर तड़प रहा था। मोर प्रेमी ने जब यह देखा तो उसे यह देख नहीं पाया और तत्काल पेटलावद वन विभाग को इसकी सूचना दी, तो उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि अभी कर्मचारियों की हड़ताल है हम कुछ नही कर सकते। उसके बाद जब मोरप्रेमी ने जिला कलेक्टर को इसकी सूचना दी तो भी कोई हल नही निकला।
हालाँकि जिला प्रशासन ने बाद में सख्ती दिखाई और जिले से वन विभाग की टीम पहुंची और मोर को उपचार के ले जाया गया। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर इसी दरमियान मोर की मौत हो जाती तो फिर इसका जिम्मेदार कौन होता?
दाना पानी के तलाश में विचरण करते हुए मोर ओर अन्य जीव लापरवाही से अपने प्राण गवां रहे है। ग्राम में न तो अभी तक मयूर पार्क बन पाया है और न ही मोरो के संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम उठाये गए है। हैरत की बात तो यह है कि इतना होने के बाद भी जिम्मेदार इन जीवों के प्रति असंवेदनशील बने हुए है। जीवदया प्रेमियों ने इन जीवों से सरंक्षण के लिये तत्काल कोई ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है।

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