चातुर्मास में जप-तप का दौर जारी 44 दिनी सिद्धितप आराधना शुरू

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झाबुआ लाइव के लिए पारा से राज सरतलिया की रिपोर्ट-
आज का समाज धर्म से विमुख हो रहा है। वर्तमान में इंसान चिंता और तनाव से ग्रस्त रहता हैए इसलिए आज धर्म की आवश्यकता है। जैन धर्म की महत्ता बताते आचार्य देवेश श्रीमद विजय जयंत सेन सूरीश्वरजी मसा के दिव्य आशीर्वाद से साध्वी जी शशिकला श्रीजी की सुशिष्या अविचल द्रष्टा श्रीजी मसा ने पारा चातुर्मास के दौरान गुरु ज्ञान मंदिर में प्रवचन देते कहा कि संस्कारों से ही सम्यक दर्शन, ज्ञान चारित्र और शुद्ध भावों की प्राप्ति होती है। साध्वीजी ने कहा कि जीव अेसे शुद्ध भाव द्वारा ही जैन धर्म की महिमा जानकर तू इसे अंगीकार कर और राग, द्वेष, मान, माया को धर्म ना मान। जो स्वार्थ वश इसे धर्म मानता है वह मात्र भोग की इच्छा रखता है।इसलिए ही पुण्य की भावना से किया जाने वाला धर्म ही मोक्ष की ओर ले जाता है। साध्वीजी भगवंत के चातुर्मास हेतु पारा प्रवेश के बाद से ही नगर में जप और तप का दौर शुरू हो गया था। शनिवार को 13 उपवास, 8 उपवास तथा 5 उपवास के तपस्वियों के साथ अन्य 36 तपस्वियों नेभी पच्चखाण लिए।36 तपस्वियों ने किए बियास ने शनिवार को 44 दिनी सिद्धि तप के 28 तपस्वियों के साथ कुल 36 तपस्वियों ने स्थानीय महावीर भवन में बियासने किये। बियासने के दौरान साध्वीजी भगवंत ने कहा कि आप सभी लोग ज्यादा से ज्यादा तप करने का उच्च भाव रखें। चातुर्मास में पहली बार विश्व शांति के लिए 108 महा अभिषेक का आयोजन किया जाएगा। प्रचार मंत्री सुशील छाजेड़ ने बताया कि रविवार को होने वाले इस आयोजन मे भगवान के अभिषेक करने का लाभ दिलीप कोठारीए राजेन्द्र कोठारी, जितेंद्र कोठारी तथा प्रकाश कोठारी परिवार ने लिया वहीं गुरुदेव के अभिषेक का लाभ गौरव कोठारी तथा जितेंद्र भंडारी परिवार ने लिया। रविवार को ही लोकसंत, पुण्य सम्राट आचार्य देवेश श्रीमद विजय जयंत सेन सूरीश्वरजी मसा की गुरुपद महापूजन का लाभ सुभद्रा कोठारी, राखी भंडारी, बेला भंडारी परिवार ने लिया। तपस्याओं की झड़ी में रविवार से ही शंखेश्वर पाश्र्वनाथ के तेले अ_म तप भी प्रारंभ हो रहे हैं।
36 उपवास रखेंगे
शुक्रवार से आरंभ हुई सिद्धि तप की तपस्या जैन धर्म की कठिनतम तपस्याओं में से एक मानी जाती है। 44 दिनों तक चलने वाली इस तपस्या में कुल 36 उपवास आते हैं। पारा में 25 श्राविकाओं तथा 3 श्रावकों सहित कुल 28 तपस्वी ने सिद्धि तप की धारणा की है। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष जितेंद्र कोठारी, अशोक छाजेड़, विमल कांठेड़, शांतिलाल कोठारी, मुकेश भंडारी, मनीष छाजेड के साथ कई सदस्य तपस्याओं के दौर में बीच में आने वाले बियासने कि व्यवस्था में जुटे हैं।

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