ऑपरेशन कर्क में इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह की भूमिका पर इंदौर में जनहित याचिका दायर

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जब पूरा देश और विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा था। तब कुछ मौका परस्त अधिकारियों ने अपनी कुर्सी की ‘लाज’ को ‘ताक’ पर रखकर तमाम ऐसे कृत्य किए हैं जो मानवता, देशहित, जनसेवा की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले हैं।ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों ने देश को खोखला कर रहे कुछ व्यापारियों के साथ मिलकर ना केवल करोड़ों का टैक्स चोरी करवाया बल्कि आम नागरिकों की जिंदगी में भी जहर घोला है।

यह हम नहीं इंदौर में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने वाले एक आदिवासी अंचल के जागरूक नागरिक लोकेश कुमार परिहार कर रहे हैं।जी हां आज दायर की गई याचिका में लोकेश कुमार परिहार ने बताया कि आपरेशन कर्क में इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह की भूमिका पूरी तरह से संदेह के घेरे में हैं।उक्त याचिका हाईकोर्ट अधिवक्ता कुणाल भवर एवं मनुदेव पाटीदार के सहयोग से लगाई गई।
उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग पर स्थानीय प्रशासन की मदद से करोड़ों का टैक्स चोरी किया है। इसका सीधा फायदा पान, मसाला, गुटखा व्यापारियों की जेब में गया है। वहीं कलेक्टर सिंह की मदद से कुछ ऐसे राज्यों में भी तस्करी की गई जहां उक्त वस्तुएं प्रतिबंधित है।

जानकारी देते हुए याचिकाकर्ता लोकेश परिहार ने बताया कि देशव्यापी लॉक डाउन के दौरान ऐसी 70 गाड़ियों के पास प्रशासन द्वारा जारी किए गए हैं, जो पान, मसाला, गुटखा ले जा रही थी।उल्लेखनीय है कि लॉक डाउन में केवल उन्हीं वाहनों के परिवहन की अनुमति थी। जो आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत आती है।बावजूद इसके प्रशासन द्वारा गाड़ियों को पास जारी किए गए।

यही नहीं इंदौर के मुख्य सियागंज बाजार में लॉक डाउन में कुछ दुकानें भी खोली गई।
जहां एक तरफ गरीब तबका अपनी रोजी-रोटी को बंद कर कई महीनों तक अपनी भूख के मारे पेट दबाकर घर में दुबक कर बैठा रहा। वहीं बड़े-बड़े धनपति, अपने कुबेर में से कुछ भीख प्रशासन को देकर अपनी दुकान खोलकर लोकडाउन में खुलेआम नंगा नाच करते रहे। और प्रशासन मूकदर्शक बन बैठा रहा।महाराष्ट्र राज्य में गुटखा पूर्ण प्रतिबंध है। बावजूद इसके लोकडाउन में इसकी आपूर्ति कैसे और किसकी अनुमति से की गई।याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि देशव्यापी लोकडाउन नियमों का स्थानीय प्रशासन ने उल्लंघन किया है। संविधान की शपथ लेकर जनता के हित के लिए नियुक्त सेवक द्वारा इतनी बड़ी सुनियोजित लापरवाही अपराध की श्रेणी में आती है। पूरे कृत्य में कलेक्टर मनीष सिंह की अहम भूमिका नजर आती है। जिसके परिणाम स्वरुप यह घटना संभव हो सकी।