बदहाली का शिकार हो रहे स्वच्छता परिसर, न पानी की व्यवस्था है न सफाई की व्यवस्था

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत की परिकल्पना को लेकर देश के प्रधानमंत्री की सोच पर संपूर्ण देश के साथ प्रदेश तथा अलीराजपुर जिले के विभिन्न पंचायत क्षेत्रों में सुलभ शौचालय सामुदायिक स्वच्छता परिसर आदि के नाम से लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए यह स्थल बदहाली का शिकार हो रहे हैं। जिस उद्देश्य के तहत इनका निर्माण हुआ था वह सब न जाने कहां रह गया है। पानी के अभाव में ये अनुपयोगी होकर रह गए हैं, कई लोगों ने इसको अपना बसेरा बना लिया है तो कई स्थानों पर ताले लगे होकर अपनी अव्यवस्था की दास्तान कहते नजर आ रहे हैं।

           हम यहां चर्चा कर रहे हैं केंद्रीय शासन की विशेष पहल पर राज्य शासन के निर्देश पर जिला जनपद पंचायतों द्वारा ग्राम पंचायत क्षेत्रों विशेषकर वह पंचायते जो कि सड़क मार्ग के पास या उससे सटी हुई पंचायते है। उसमें सुलभ शौचालय अथवा स्वच्छता परिसर का निर्माण अलग-अलग डिजाइन, लंबाई चौड़ाई आदि अलग-अलग तरीके से लाखों रुपए खर्च कर निर्माण कराया जा कर इन्हें आकर्षक रंगों से रंग पोत दिया गया। इन स्वच्छता परिसर में महिला पुरुष के लिए अलग-अलग शौचालय पेशाब घर बनाए गए साथ ही अगले हिस्से में दो दुकानें बनाई गई भवन निर्माण के बाद दो पानी की टंकी तथा नीचे नल आदि के साथ ही विद्युत व्यवस्था हेतु बिजली फिटिंग भी कराई गई।

           इतनी सारी सुविधाएं देने के बाद समस्या पानी की बनी हुई है आसपास ना तो ट्यूबेल है और नहीं पानी भरने का कोई साधन फिर बगैर पानी शौचालय का उपयोग कैसे? यह विचारणीय है बिजली के कनेक्शन नहीं होने से बिजली नहीं, जो दुकानें बनाई गई थी उनमें दुकाने कौन लगाएगा यह दुकान किराए से देना थी ताकि इनके किराए से आने वाले पैसों से इसका रखरखाव किया जा सके। जिस कारण कुछ लोगों को रोजगार भी मिलने की कल्पना की गई थी। अलीराजपुर से जोबट, आजाद नगर, नागपुर आदि ग्रामों की सड़क किनारे ग्राम पंचायतों द्वारा निर्मित स्वच्छता परिसर बेकार पड़े है।

         आम्बुआ कस्बे में पंचायत भवन के सामने बना स्वच्छता परिसर में भी ऊपर पानी की टंकी रखी गई नल कनेक्शन बिजली की फिटिंग की गई है मगर पानी तथा लाइट का पता नहीं है। महिला शौचालय पर अभी भी ताला पड़ा है मजबूरन महिलाओं को पुरुष मूत्रालय एवं शौचालय में जाना पड़ता है। हालांकि यहां दोनों दुकानें किराए पर दे दी गई है मगर वह गोदाम के उपयोग में आ रही है साफ सफाई का कोई ध्यान नहीं होने से गंदगी भरी पड़ी है। ग्राम चिचलाना में तो जमीन मालिक ने कब्जा कर शौचालय को रैन बसेरा तथा निवास स्थल बनाकर दुकान चला रहा है ग्राम वड़ी में यह भवन खड़खड़ी टेकरी पर बना है जिसमें ताले लगे हुए हैं ग्राम पंचायत खरखड़ी द्वारा बन्द घुसबयड़ा फाटे के पास सड़क से नीचे गड्ढे में शौचालय बनाया गया है। इसमें भी पानी के अभाव में गंदगी भरी पड़ी है आशा है कि एक अच्छी जन हितेषी योजना सुविधाओं के अभाव में बदहाल हो रही है और शासन का लाखों का खर्च बेकार जा रहा है। कुछ समय बाद यहां खण्डहर न लगने लगे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।

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