येलो मोजेक बीमारी के कारण उड़द फसल से कृषकों का मोह भंग, यदि ऐसा ही रहा तो उड़द की दाल के लाले पड़ सकते हैं

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

अलीराजपुर जिले की उपज के क्षेत्र में उड़द फसल का विषय स्थान है इस संपूर्ण जिले में उड़द फसल दलहन के साथ-साथ प्रमुख आर्थिक फसल भी मानी जाती है कृषकों की आर्थिक स्थिति भी इसकी उपज से आंकी जा सकती है इस प्रमुख फसल की उपज दिनों दिन कम होती जा रही है जिसके कई कारणों में फसल पर लगने वाला येलो मोजेक नामक बीमारी भी है इसे प्रमुख कारण भी माना जा सकता है।

जिले में उड़द की दाल लगभग ग्रामीण परिवारों में मक्का की रोटी या पानिया के साथ खाने खिलाने की परंपरा है इस क्षेत्र की उड़द स्वादिष्ट तथा पौष्टिक मानी जाती है यही कारण है कि इसकी मांग अधिक तथा भाव भी अच्छे मिलने से कृषकों को आर्थिक लाभ मिलता रहा है मगर विगत 6-7 वर्षों से उड़द की फसल पर पीलिया रोग (येलो मोजेक) के कारण फसले खराब हो रही है यह बीमारी तब प्रारंभ होती है जब पौधों पर फूल आने लगते हैं तथा फलने की तैयारी होती है इससे पौधे पीले पड़ने लगते हैं पत्ते झड़ने लगते हैं फूल भी झड़ने के कारण फलिया बहुत कम लगती है पौधे असमय सुख जाते हैं बताते हैं कि पौधों का भूसा भी जानवर नहीं खाते हैं महंगा खाद बीज तथा दवाइयों के खर्च के बाद कृषकों के हाथ खाली रह जाते है जिस कारण कृषक कर्ज में डूब जाता है।

इस कारण से कृषकों का उड़द फसल से मोह भंग होता जा रहा है विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष कृषकों ने बहुत कम रकबे में उड़द की बुआई की है जहां  की गई है वहां बीमारी का प्रकोप देखा गया है जिले के आम्बुआ, अडवाड़ा , हरदासपुर, बोरझाड़, चिचलाना, झौरा, टैमाची, आगौनी आदि अनेक ग्राम उड़द की पैदावार के लिए मशहूर थे जहां अब नाम मात्र की उड़द बोई जा रही है यदि यही स्थिति रही तो जो क्षेत्र उड़द बाहर बेचने भेजते थे उन्हें स्वयं दाल खाने के लिए बाहर से खरीदना पड़ सकती है तथा स्थानीय दाल का स्वाद भी भूलना पड़ेगा। येलो मोजेक  का अभी तक स्थाई इलाज यानी कि कोई दवा कारगर साबित नहीं हो रही है कृषक उड़द की जगह सोयाबीन तथा कपास मूंगफली की फसल की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

  • हमारे दादा पारदाता और पिताजी उड़द की खेती करते आए हैं हम भी कर रहे थे मगर पीलिया बीमारी के कारण धीरे-धीरे बंद करना पड़ रहा है।

         नारायण चौहान कृषक अडवाड़ा 

  • फसलों को बीमारी से बचाव हेतु अनेक प्रकार की कीटनाशक आ रहे हैं मगर येलो मोजेक  पर कोई दवा प्रभाव नहीं डाल रही है।

         डॉ. राजेंद्र सिंह राठौर , उन्नत कृषक बोरझाड़

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