मां बच्चे की पहली गुरु होती है वह जैसा सिखाती है वैसा वह सीखता है : पंडित शिव गुरु शर्मा

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

बच्चे हमेशा बड़ों से ही कुछ सीखते हैं उन्हें जैसा सिखाया जाता है वह वैसा सीखते हैं घर बच्चे की प्रथम पाठशाला होती है और मां उसकी प्रथम गुरु होती है वह उसे जैसा सिखाऐगी  वह वैसा ही सीखेगा बच्चों को  संस्कारवान बनाने में मां की अहम भूमिका रहती है।

उक्त विचार आम्बुआ में सांवरिया धाम में चौहान परिवार द्वारा श्राद्ध पक्ष में पितरों के उद्धार हेतु श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ पर विराजमान पंडित शिव गुरु शर्मा उन्हेल (उज्जैन) वाले के श्रीमुख से अविरल बह रही कथा गंगा के दौरान जनमानस के समक्ष प्रस्तुत किए गए पंडित श्री शर्मा जी ने कथा के तृतीय दिवस ध्रुव चरित्र पर व्याख्यान देते हुए आगे बताया कि ध्रुव तथा उत्तम दो भाई थे मगर उनकी माताएं अलग अलग थी ध्रुव की माता सुनीति थी जिसका जैसा नाम वैसा काम था वह सुंदर नीति वाली थी जबकि उत्तम की मां सुरुचि थी जो कि अपना ही हित देखती थी एक दिन ध्रुव  तथा उत्तम खेलते हुए राज दरबार में पहुंचे तथा अपने पिता (राजा) की गोद में बैठने लगे तब सुरुचि ने ध्रुव को पिता की गोद में बैठने से मना कर दिया कहा कि मेरी कोख से जन्म लेना फिर पिता की गोद में बैठना। ध्रुव अपनी सुनीति के पास पहुंचा तथा सारा किस्सा सुनाया मां ने कहा कि तू भगवान की गोद में बैठ उसका भजन कर । ध्रुव रात को घर से निकल जाता है जंगल में श्री नारद जी मिलते हैं तथा उसकी परीक्षा लेकर उसे गुरु मंत्र देकर ब्रज (वृंदावन) भेज देते हैं जहां ध्रुव तपस्या करता है तब भगवान साक्षात रूप में दर्शन देते हुए गोद में बैठा लेते हैं वह कहता है प्रभु मुझे अपने साथ ले चलो मगर भगवान उसे राजकाज करने और भक्ति करने का कहते वह घर आता और उसके पिता ने उसे  राजा बना दिया।

इधर उत्तम उत्पाद मचा रहा तथा युद्ध में उसका अंत हो गया तब ध्रुव ने अपने भाई की हत्या का बदला लेने हेतु मार- काट की जिस कारण वह पाप का भागीदार बना जिस कारण उसके परिवार में एक राक्षस का जन्म हुआ इन्हीं के वंश में राजा प्रथु  का जन्म हुआ जिन्होंने पृथ्वी पर  बाण चलाना चाहा तो पृथ्वी गाय के रूप में खड़ी हो गई तब राजा प्रथु ने शस्त्र रख दिया इसी प्रसंग में पंडित श्री शर्मा जी ने गाय माता की महत्ता पर प्रकाश डाला गो सेवा को सर्वोपर्य बताते हुए गाय के गोबर गोमूत्र आदि से होने वाले लाभ को विस्तार से बताया  उन्होंने कहा कि संसार का सबसे बड़ा “ब्रांड” गौ माता ही है गाय विश्व की माता है समुद्र से निकले 14 रत्नों में प्रमुख रत्न गौमाता ही थी भगवान कृष्ण को गौ माता प्रिय थी वह सुबह उठकर गाय सेवा करते मां यशोदा उन्हें गाय का मक्खन खिलाती भगवान कृष्ण ने गौ सेवा की इसलिए उनका नाम गोपाल पड़ा।

आगे कथा में राजा भरत की कथा और राजा भरत का हिरण के बच्चे में आसक्ति तथा मरने के बाद हिरण के रूप में जन्म एवं इसके बाद मृत्यु होने पर पुनः भारत के रूप में जन्म मगर इस जन्म में वे जडभरत कहलाऐ क्योंकि वह कुछ करते ही नहीं थे भगवत भजन करते रहते। इसके बाद अजामिल की कथा तथा उसे संतो द्वारा बताया गया कि वह अपने छोटे बेटे का नाम नारायण रखें इस तरह जब वह मरा तो अपने पुत्र नारायण को पुकारा मगर नारायण भगवान स्वयं आ गए और उनके पार्षद अंजामिल  को देवलोक ले गए तदोपरांत हिरण कश्यप की कथा प्रहलाद चरित्र तथा भगवान का नरसिंह अवतार तथा अपने भक्त पहलाद को बचाने हेतु हिरण कश्यप को मारकर उसकी मुक्ति कराने की कथा विस्तार के साथ सुनाई कथा में आजाद नगर, अलीराजपुर, जोबट आदि स्थानों से कथा रसिक पधारे तथा कथा का आनंद प्राप्त किया।

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