जल में जीवन मिशन : आम्बुआ कस्बे में पाइपलाइन तक नहीं डाली गई 

May

मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

केंद्र शासन की महत्वपूर्ण योजना जिसके तहत घर-घर नालों के माध्यम से पेयजल प्रदाय किया जाना है आम्बुआ में इस योजना का बंटाधार विभागीय अधिकारियों एवं ठेकेदारों ने मिलकर कर दिया शिकायतों पर ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर दिया जिस कारण वह भी भाग गया और जवाबदार बैठे बैठे बगैर योजना कार्य स्थल के निरीक्षण के खाना पूर्ति कर ऊपर तक ठीक है कार्य प्रगति पर है, पूर्ण हो गया है आदि की फाइल भेजने में मशगूल है और जनता इस भीषण गर्मी में सुखे कंठ योजना की विफलता के नजारे देखने को मजबूर है।

जैसा की विदित है देश के प्रधानमंत्री तथा केंद्र शासन की एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना जिसके बारे में पूर्व में किसी न सोचा भी नहीं होगा वह योजना है “जल जीवन मिशन” इस योजना के तहत देश के प्रत्येक गांव फलियों मोहल्लों तक ही नहीं अपितु प्रत्येक घर के दरवाजे तक नलों के माध्यम से पेयजल प्रदान किया जाना है योजना पर विगत वर्षों से कार्य चल रहा है अलीराजपुर जिले के आम्बुआ में इसी योजना के तहत कस्बे से 2 किलोमीटर दूर कालादगड़ा नामक स्थान पर ऊंची पहाड़ी पर एक टंकी का निर्माण कराया गया टंकी तक जल पहुंचाने हेतु लगभग 8 ट्यूबवेल का खनन कराया गया तथा सभी में विद्युत मोटरे डाली गई टंकी स्थल से ग्रामीण क्षेत्र कालादगड़ा, समदनी फलिया, चौगड़ी फलिया, पटेल फलिया तथा फुलझड़ी एवं आश्रम फलिया आदि में पाइप लाइन बिछाकर नल कनेक्शन तथा नालों के स्टैंड बना दिए गए मगर आम्बुआ का कस्बा क्षेत्र छोड़ दिया गया जहां पाइपलाइन नहीं डाली गई। कार्य में ठेकेदार ने घोर लापरवाही की घटिया कार्य किया योजना समय पर पूर्ण नहीं करने आदि की शिकायतों पर ठेकेदार जो कि गुजरात प्रांत का था को ब्लैक लिस्ट ( काली सूची) में डाल दिया गया जिस कारण वह भी काम अधूरा छोड़कर विभागीय उदासीनता तथा मिली भगत के कारण भाग गया जल प्रदाय नहीं होने से नागरिक परेशान है। नलों के स्टैंड पर भेड़ बकरियां जानवर बांधे जा रहे हैं घटिया निर्माण के कारण नल स्टैंड उखड़ कर जमीन पर गिर गए।

           जल जीवन मिशन की शिकायत आम्बुआ पत्रकार संघ द्वारा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारी को अवगत कराया गया जहां बताया गया की जांच की जा रही है ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है साथ ही बताया गया है कस्बे के लिए अलग से टेंडर की प्रक्रिया की जा रही है या फिर नई पाइपलाइन को पुरानी पाइपलाइन से जोड़ दी जाएगी यानी कि कस्बे में पाइप तथा पाइपलाइन बिछाने का जो कार्य जल जीवन मिशन के ठेकेदार को कार्य योजना की स्वीकृति के अनुसार करना था वह न करा कर यहां पर होने वाले खर्च का बन्दरवार किया जाने पर विचार किया जा रहा है या कर भी दिया गया हो तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए इधर जिला स्तर पर मिशन की समीक्षा तो की जा रही है मगर कार्य स्तर पर कार्य हुआ या नहीं इसे देखने कोई नहीं जा रहा है आम नागरिकों ग्रामीण से कोई नहीं पूछ रहा कि उन्हें पानी मिल रहा है या नहीं नहीं मिल रहा है तो क्यों नहीं मिल रहा है स्थिति ऊंट पर बैठकर बकरियां चराने जैसी हो रही है और जनता सूखे कण्ठ पानी का इंतजार कर रही है या जहां तहां से खरीद कर काम चला रही है मगर आगे मिशन भीषण गर्मी में क्या होगा? यह विचारणीय होगा।