ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर बनाई जा रही सेवइयां, पढ़िए ग्रामीण क्यों बना रहे हैं सेवइयां 

मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

वैसे तो सेवइयां मुस्लिम समाज में अधिक बनाने का रिवाज है वह भी मीठी ईद के मौके पर लेकिन अन्य समाजों में भी बारह माह सेवइयां नाश्ते के रूप में बनाई जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषक परिवारों में भी गर्मी के मौसम में गेहूं के आटे या फिर मैदे से बनाई जाती है ताकि खेती किसानी के समय खेतों पर नाश्ते के रूप में ले जा सके क्योंकि यह कम समय में बन जाती है।

          जैसा की विदित है सेवइयां बनाकर कई घरों में रख ली जाती है यह लगभग सभी धर्म समाजों में किसी ना किसी रूप में बनती है कभी खुशी में मीठी ईद पर तो कभी नाश्ते के रूप में, यह ऐसा व्यंजन या नाश्ता है जो कम समय में तैयार हो जाता है तथा इसे पानी में उबाल कर या दूध में उबाल कर बनाया जा सकता है अधिकांश घरों में यह मीठी बनाई जाती है ग्रामीण क्षेत्रों में कृषक परिवारों में गर्मी के दिनों में जैसे फुर्सत मिली महिला बच्चे खाट पर मशीन बांधकर सेवइयां बनाने में जुट जाते हैं गेहूं के आटे या मैदे से बनाए जाने वाली यह सेवइयां अच्छी तरह से सुखाकर डिब्बो में रख दी जाती है तथा जब भी जरुरत हुई बना दी ग्रामीण क्षेत्रों में कृषक खेतों पर काम करने जाते हैं तो उन्हें नाश्ता भेजा जाता है जिसमें नमकीन मक्का की राबड़ी, रोटी, पराठा, दलिया हालांकि यह सब बनने में समय लेते हैं इस कारण सेवइयां जिन्हें गर्म पानी में भी बनाया जा सकता है तथा गुड़ शक्कर मिला कर नाश्ते में परोसा जा सकता है हमारे प्रतिनिधि में कुछ ग्रामीण क्षेत्र का भ्रमण किया तो घरों में महिलाएं बच्चे खटिया पर मशीन बांधकर सेवइयां बनाते मिले।

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